By अंकित सिंह | Oct 05, 2023
राजस्थान की सियासत में लाल डायरी का खूब जिक्र हो रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज भी एक सभा में लाल डायरी का जिक्र कर कांग्रेस और राजस्थान की गहलोत सरकार पर जबरदस्त तरीके से निशाना साधा। उन्होंने कहा कि 5 साल में यहां कांग्रेस की सरकार एक कदम भी नहीं चली, यहां 24 घंटे कुर्सी का ही खेल चलता रहा... आपने लाल डायरी के बारे में सुना होगा, लोग कहते हैं लाल डायरी में कांग्रेस के भ्रष्टाचार की काली करतूत है। हालांकि, कांग्रेस लगातार इसे कल्पना बता रही है। कांग्रेस का साफ तौर पर कहा कहना है कि लाल हो या पीली हो या नीली हो, कहीं कुछ नहीं मिलने वाला। लेकिन बड़ा सवाल यह है कि आखिर लाल डायरी का मुद्दा राजस्थान में इतना बड़ा क्यों होता जा रहा है?
दरअसल पिछले दिनों गहलोत सरकार में मंत्री रहे राजेंद्र सिंह गुढ़ा अचानक ही चर्चा में आ गए। उन्होंने महिलाओं को लेकर अपने ही सरकार पर सवाल उठा दिए। इसके बाद उन्हें मंत्रिमंडल से बर्खास्त कर दिया गया। तब राजेंद्र गुढ़ा विधानसभा में एक लाल डायरी लेकर पहुंचे थे और दावा किया था कि इसमें मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और कांग्रेस सरकार के कई राज छिपे हैं। इसके बाद लाल डायरी को जब्त करके सदन से उन्हें निकाल दिया गया। तब गुढ़ा ने एक और डायरी का जिक्र कर दिया। इसी के बाद राजस्थान की राजनीति में लाल डायरी ने एक बड़ा तूफान खड़ा कर दिया।
राजेंद्र गुढ़ा से की गई बातचीत के मुताबिक जिस वक्त सचिन पायलट की बगावत की वजह से राजस्थान की राजनीति में बवाल मचा हुआ था, तब अशोक गहलोत के करीबी धर्मेंद्र राठौर के यहां इनकम टैक्स का छापा पड़ा था। धर्मेंद्र राठौर लगातार डायरी में अपने दिनचर्या लिखते थे। छापे के दौरान उन्होंने पुलिस से मदद मांगते हुए कहा कि उनकी डायरी को किसी भी तरह से यहां से निकला जाए। गुढ़ा ने जैसे-तैसे उस लाल डायरी को वहां से निकला। उन्होंने बताया कि कई लाल डायरी को जला दिया गया। लेकिन कुछ डायरियां उनके पास मौजूद रहीं। इसके साथ ही गुढ़ा का दावा है कि जब उन्होंने पूरी कहानी सीएम गहलोत को सुनाई तब उन्होंने कहा था कि तुम्हें तो हॉलीवुड में होना चाहिए।
गुढ़ा के मुताबिक जिसे भाजपा भी मुद्दा बना रही है, इस लाल डायरी में अशोक गहलोत के सरकार के काले करना में छिपे हुए हैं। इसमें विधायकों के लेनदेन का हिसाब है। इसमें राजस्थान क्रिकेट एसोसिएशन के चुनाव का भी हिसाब किताब है। एक बार राजेंद्र गुढ़ा ने दावा किया था की शायरी में 5000 करोड रुपए के लेनदेन का हिसाब है। उनके मुताबिक इस लाल डायरी में अशोक गहलोत सरकार द्वारा किए गए भ्रष्टाचार के सारे सबूत भी मौजूद हैं। उनके मुताबिक वे इस डायरी को विधानसभा के पटल पर रखना चाहते थे। लेकिन उन्हें ऐसा नहीं करने दिया गया। सरकार की ओर से लगातार उन पर माफी मांगने का दबाव बनाया जा रहा है।
अमित शाह ने कहा था कि गहलोत लाल डायरी से डरते हैं और अगर कोई लाल कपड़े पहनता है तो उन्हें लाल डायरी की याद आती है। उन्होंने कहा, लाल डायरी में सैकड़ों करोड़ के भ्रष्टाचार का लेखा-जोखा है। इसमें खनन घोटाला, शिक्षक स्थानांतरण घोटाला, कालीसिंध बांध घोटाला का जिक्र है।
कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने कहा था कि राज्य सरकार द्वारा इतना काम करने के बाद भी हमको डराने की कोशिश की जाती है। कहा जाता है कि मेरे पास लाल डायरी, पीली डायरी, काली डायरी है... क्या क्या बोलते हैं। उन्होंने कहा कि अपनी डायरियां अपने पास रखें। कांग्रेस नेता ने कहा कि अगर कुछ है तो दिखा दो। हम अदालत में लड़ेंगे। लोगों को सच बताएंगें, (लेकिन हमें) डराने की कोशिश मत करो।
जेपी नड्डा ने कहा था कि आज गहलोत सरकार अपनी लाल डायरी के लिए जानी जाती है। उन्होंने कहा, लाल डायरी में क्या है? क्या कारण है कि जो मंत्री उस डायरी को लाता है उसे बर्खास्त कर दिया जाता है। राजस्थान के लोगों को लाल डायरी की रक्षा करने वालों को सबक सीखना चाहिए तथा उसे आने वाले चुनावों में खारिज कर देना चाहिए।
राज्यसभा सदस्य कपिल सिब्बल ने रविवार को केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह पर पलटवार किया जिन्होंने राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत पर लाल डायरी को लेकर निशाना साधा था। सिब्बल ने शाह से कहा कि यदि उन्हें पता है कि डायरी कहां है तो वह उसे पेश करें।
अशोक गहलोत ने बृहस्पतिवार को कहा कि असली लूट तो प्रधानमंत्री ने लाल सिलेंडर को 1150 रुपये में बेचकर मचा रखी है। इसके साथ ही गहलोत ने दावा किया कि ऐसी कोई लाल डायरी मौजूद नहीं है और यह कपोलकल्पित है। कांग्रेस नेता ने कहा कि आने वाले समय में जनता भाजपा को लाल झंडा दिखाएगी।
जितनी मुंह उतनी बातें। हालांकि, लाल डायरी राजस्थान की राजनीति में फिलहाल चर्चा का विषय बना हुआ है। भाजपा को अशोक गहलोत सरकार पर भ्रष्टाचार का बड़ा आरोप लगाने का मौका मिल गया है। भले ही अशोक गहलोत और कांग्रेस इससे साफ तौर पर इनकार करते रही है। लेकिन भाजपा पूरे मुद्दे पर फ्रंट फुट पर बैटिंग करती नजर आ रही है। बाकी का फैसला जनता के हाथों में है। यही तो प्रजातंत्र है।