By टीम प्रभासाक्षी | Dec 10, 2021
तमिलनाडु हेलीकॉप्टर क्रैश में देश ने अपने चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल बिपिन रावत को खो दिया था। आज शाम उनका अंतिम संस्कार हो गया और बिपिन रावत पंचतत्व में विलीन हो गए। पंचतत्व में विलीन होकर भी बिपिन रावत देश और देशवासियों के दिलों में हमेशा के लिए अमर हो गए। जब कोई शहीद जवान मरता है तो उसका अंतिम संस्कार पूरे सैन्य सम्मान के साथ किया जाता है। अंतिम संस्कार के कुछ नियम और प्रोटोकॉल होते हैं। जिसमें से एक होती है 21 तोपों की सलामी देना। इक्कीस तोपों की सलामी क्यों दी जाती है? यह सवाल भी अक्सर हमारे मन में उठता है आज हम इसी सवाल का जवाब लेकर आए हैं। इक्कीस तोपों की सलामी के पीछे क्या वजह है और यह क्यों दी जाती है?
यह सम्मान देने की एक प्रक्रिया है। जिसका फैसला सरकार करती है के किसे सम्मान देना है या किसे नहीं देना। राजनीति, साहित्य, कानून, विज्ञान, और कला से जुड़े लोगों और अपने अपने क्षेत्र में योगदान करने वाले शख्सियतों के निधन पर राजकीय सम्मान दिया जाता है। गणतंत्र दिवस, स्वतंत्रता दिवस सहित कई और अन्य मौकों पर भी तोपों की सलामी दी जाती है। विशेष मौकों पर भी तोपों की सलामी देकर सम्मान दिया जाता है। वहीं भारतीय सेना का सैन्य सम्मान उन सैनिकों को दिया जाता है जिन्होंने शांति अथवा युद्ध में अपना विशेष योगदान दिया हो। राजकीय सम्मान के वक्त भी तोपों की सलामी दी जाती है।
दिवंगत को राजकीय सम्मान अंतिम संस्कार के दौरान दिया जाता है उस दिन को राष्ट्रीय शोक के तौर पर घोषित किया जाता है। भारत के ध्वज संहिता के अनुसार राष्ट्रीय ध्वज को भी आधा झुका दिया जाता है दिवंगत के पार्थिव शरीर को राष्ट्रीय ध्वज से ढक दिया जाता है और बंदूकों की सलामी भी दी जाती है। अंतिम संस्कार के दौरान प्रोटोकॉल का पालन किया जाता है आमतौर पर राजकीय सम्मान अंतिम संस्कार वर्तमान और पूर्व राष्ट्रपतियों, प्रधानमंत्रियों, केंद्रीय मंत्रियों, और राज्य के मुख्यमंत्रियों और सेना के शहीद जवानों को दिए जाते हैं। इस राजकीय सम्मान अंतिम संस्कार की मुख्य विशेषताओं में से एक है बंदूक की सलामी।
क्यों दी जाती है 21 तोपों की सलामी
तोपों की सलामी के इतिहास के बारे में बात करें तो भारत को 21 तोपों की सलामी की परंपरा ब्रिटिश सरकार से विरासत में मिली है। आजादी से पहले सर्वोच्च सलामी 101 तोपों की होती थी। जिसे शाही सलामी के रूप में जाना जाता था जो केवल भारत के सम्राट को दी जाती थी। इसके बाद 31 तोपों की सलामी या शाही सलामी दी गई। यह महारानी और शाही परिवार के सदस्यों को दी जाती थी यही सलामी भारत के गवर्नर और वायसराय को भी दी जाती थी। 21 तोपों की सलामी राज्य के प्रमुख और विदेशी संप्रभु और उनके परिवारों को दी जाती थी। राष्ट्रपति के रूप में भारत गणराज्य के प्रमुख के रूप में कई अवसरों पर राष्ट्रपति को 21 तोपों की सलामी से सम्मानित किया जाता है। शपथ ग्रहण समारोह के बाद भी नए राष्ट्रपति को इसी सलामी से सम्मानित किया जाता है। भारतीय राष्ट्रीय ध्वज और राष्ट्रपति दोनों को स्वतंत्रता दिवस और गणतंत्र दिवस के दौरान इक्कीस तोपों की सलामी दी जाती है।