World Thalasaemia Day 2022: क्या होता है थैलीसीमिया? जानें इस जानलेवा बीमारी के लक्षण, इलाज और बचाव के तरीके

By प्रिया मिश्रा | May 07, 2022

दुनियाभर में 8 मई को वर्ल्ड थैलेसीमिया डे मनाया जाता है। इस दिन को मनाने का सबसे बड़ा उद्देश्य लोगों को इस गंभीर बीमारी के बारे में जागरुक करना है। थैलीसीमिया की बीमारी मां-बाप से बच्चों को अनुवांशिक तौर पर मिलती है। इस बीमारी में रोगी बच्चे के शरीर में रक्त की भारी कमी होने लगती है। जिसके कारण उसे बार-बार बाहर ही खून चढ़ाने की जरूरत पड़ती है। इस रोग की पहचान बच्चे में जन्म से 3 महीने के बाद ही हो पाती है।

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क्या होता है थैलेसीमिया 

थैलेसीमिया की बीमारी में खून की कमी के कारण हीमोग्लोबिन नहीं बन पाता है। जिसकी वजह से बच्चों को बाहरी खून चढ़ाने के लिए अस्पताल ले जाना पड़ता है। बार-बार खून चढ़ाने के कारण मरीज के शरीर में अतिरिक्त लौह तत्व जमा होने लगता है, दिल में पहुंचकर जानलेवा साबित होता है। डॉक्टर्स के मुताबिक एक स्वस्थ व्यक्ति के शरीर में लाल रक्त कण की उम्र करीब 120 दिनों की होती है। लेकिन थैलेसीमिया से पीड़ित रोगी के शरीर में लाल रक्त कण सिर्फ 20 दिनों में ही खत्म हो जाते हैं। इस वजह से शरीर में हीमोग्लोबिन की कमी हो जाती है और व्यक्ति एनीमिया का शिकार हो सकता है। 


थैलेसीमिया के प्रकार 

थैलेसीमिया दो तरह के होते हैं माइनर थैलेसीमिया और मेजर थैलेसीमिया। जब किसी महिला या पुरुष के शरीर में मौजूद क्रोमोजोम खराब होने पर बच्चा मलेशिया का शिकार बनता है। वहीं, अगर महिला और पुरुष दोनों के क्रोमोसोम खराब हो जाते हैं तो बच्चे को मेजर थैलीसीमिया हो सकता है।  इसकी वजह से बच्चे के जन्म लेने के 6 महीने बाद उसके शरीर में खून बनना बंद हो जाता है।

 

थैलेसीमिया के लक्षण 

बार बार बीमार होना

सर्दी जुकाम होना

हर वक्त कमजोरी महसूस होना

आयु के अनुसार शारीरिक विकास न होना

शरीर में पीलापन होना

सांस लेने में तकलीफ होना

दांत बाहर की होना

पेट में सूजन

डार्क यूरीन

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थैलेसीमिया का इलाज 

थैलीसीमिया से पीड़ित व्यक्ति को 1 महीने में दो से तीन बार खून चढ़ाने की जरूरत पड़ सकती है। कई गंभीर मामलों में बोन मैरो प्रत्यारोपण से भी इसका इलाज किया जा सकता है। हालाँकि, यह प्रत्यारोपण काफी मंहगा होता है। 


थैलेसीमिया से बचाव के लिए क्या करें 

- शादी से पहले ही लड़के और लड़की की खून की जांच करवानी चाहिए।

- यदि माता या पिता में से किसी एक को भी मेजर थैलेसीमिया है तो डॉक्टर की निगरानी में ही बच्चा प्लान करें।

- समय-समय पर फोन की जांच करवाएं।

 

- प्रिया मिश्रा 

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