By कमलेश पांडे | Mar 25, 2023
भारतीय सभ्यता-संस्कृति का दुनिया में विशेष स्थान रहा है। यह कभी विश्व गुरु करार दिया जाता था। यही वजह है कि भारत को देखने-सुनने-समझने की उत्सुकता देश-दुनिया के हर समझदार व्यक्ति में बनी रहती है। इस नजरिए से हमारे देश में घूमने-फिरने के लिए एक से बढ़कर एक धार्मिक और प्राकृतिक महत्व के जगह मौजूद हैं। इसे देखने के लिए सिर्फ देश भर से ही नहीं बल्कि विदेशों से भी लोग आते हैं।
यही कारण है कि आज के समय में पर्यटन से कई लोगों को रोजगार भी मिल रहा है। देश की अर्थव्यवस्था में भी पर्यटन का महत्वपूर्ण योगदान रहता है। केंद्र में सत्तारूढ़ नरेंद्र मोदी सरकार ने इसे समझते हुए राज्यों को भी प्रोत्साहित करने का कार्य किया है। इन्हीं सब बातों को ध्यान में रखते हुए और देश की पर्यटन व्यवस्था को और भी ज्यादा बेहतर बनाने के लिए केंद्र सरकार ने स्वदेश दर्शन योजना की शुरुआत की है, जिसके अंतर्गत देश के सभी पर्यटन स्थलों के विकास में वृद्धि की जा रही है।
वैसे तो स्वदेश दर्शन योजना विषयगत पर्यटन सर्किट के एकीकृत व समन्वित विकास के उद्देश्य से पर्यटन और संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा वर्ष 2014-15 में शुरू की गई एक केंद्रीय क्षेत्र की योजना है। जिसका मूलभूत उद्देश्य भारत में पर्यटन की क्षमता को समझते हुए उसे बढ़ावा देना, विकसित करना और उसका दोहन करना है। स्वदेश दर्शन योजना के तहत, पर्यटन मंत्रालय सर्किट के अवसंरचना के विकास के लिए राज्य सरकारों, संघ राज्य क्षेत्रों के प्रशासन को केंद्रीय वित्तीय सहायता- सीएफए प्रदान करता है, जिससे पूरे देश में पर्यटकीय सम्भवनाओं का सुनियोजित विस्तार किया जा रहा है।
इसलिए यहां पर हम आपको बताएंगे कि स्वदेश दर्शन योजना क्या है, इसका उद्देश्य क्या है, इस योजना की क्या विशेषताएं हैं, इस योजना के अंतर्गत आने वाले पर्यटन सर्किट आदि से जुड़ी अद्यतन महत्वपूर्ण जानकारी क्या है?
# जानिए, स्वदेश दर्शन योजना क्या है?
भारत सरकार द्वारा स्वदेश दर्शन योजना की शुरुआत वर्ष 2014-15 में की गई है। इस योजना को दो योजनाओं के साथ जोड़ कर बनाया गया है जिसमें पहला प्रसाद दर्शन योजना और दूसरा स्वदेश दर्शन योजना है। आपको पता होना चाहिए कि प्रसाद दर्शन योजना के अंतर्गत प्रत्येक धर्म के तीर्थ स्थलों को कतिपय सुविधाएं प्रदान की जाती है और स्वदेश दर्शन स्कीम के तहत पर्यटन सर्किट के विकास में वृद्धि की जा चुकी है, जिसमें भविष्य में और इजाफा किया जा सकता है।
समझा जा रहा है कि देश में लोगों के बीच पर्यटन स्थलों के प्रति बढ़ती हुई लोकप्रियता को दृष्टिगत रखते हुए इन दोनों योजनाओं का शुभारंभ किया गया है ताकि इन पर्यटन स्थलों को और भी ज्यादा बेहतर व आकर्षक बनाया जा सके। स्वदेश दर्शन योजना के माध्यम से पर्यटन स्थलों के विकास में वृद्धि की जा रही है, साथ ही साथ परिवहन, आर्थिक स्थिति, रोजगार और भोजन जैसी आवश्यक चीजों पर भी यथोचित ध्यान दिया जा रहा है।
# ये है स्वदेश दर्शन योजना का उद्देश्य
भारत सरकार द्वारा स्वदेश दर्शन योजना का मुख्य उद्देश्य पर्यटन सर्किट का एकीकृत व समावेशी विकास करना है। इस योजना के माध्यम से भारत के सभी तीर्थ स्थलों पर परिवहन, आर्थिक स्थिति, रोजगार और भोजन जैसी आवश्यक चीजों पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। स्वदेश दर्शन योजना के द्वारा योजनाबद्ध तरीके से और प्राथमिकता के साथ पर्यटन क्षमता वाले सर्किट को विकसित करने का लक्ष्य रखा गया है। साथ ही सम्बन्धित क्षेत्र में आर्थिक विकास को बढ़ावा देना और रोजगार उत्पादन करना भी इस योजना का मूलभूत उद्देश्य है।
# स्वदेश दर्शन स्कीम के लाभ व विशेषताएं
स्वदेश दर्शन योजना को केंद्र सरकार के द्वारा शुरू किया गया है। यह योजना मिनिस्ट्री ऑफ टूरिज्म द्वारा संचालित थीम पर आधारित योजना है, जिसको पर्यटन सर्किट के सम्पूर्ण विकास के लिए शुरू किया गया है। इस योजना का मुख्य उद्देश्य भारत के पर्यटक स्थलों का विकास करना और वहां की पर्यटन की क्षमता में वृद्धि करना है। इस योजना के माध्यम से गंगा किनारे बसे सभी पर्यटन स्थलों में आवश्यकता के अनुसार छोटे छोटे गेस्ट हाउस, छोटे हट, पार्क आदि बनवाये जा रहे हैं।
प्राप्त जानकारी के मुताबिक, स्वदेश दर्शन योजना 2023 के माध्यम से सम्बन्धित पर्यटक स्थलों पर परिवहन, आर्थिक स्थिति, रोजगार और भोजन जैसी आवश्यक चीजों पर भी विशेष ध्यान दिया जायेगा। इस योजना के तहत चुने गए शहरों के पर्यटन स्थलों को रिनोवेट भी किया जाएगा।
इस योजना के लिए कुल लागत 2048 करोड़ रुपये का प्रावधान तय किया गया है। वहीं, पर्यटन मंत्रालय द्वारा स्वदेश दर्शन योजन के तहत बौद्ध सर्किट के विकास के लिए 325.53 करोड़ रुपयों की 5 परियोजनाओं को स्वीकृति दे दी गई है।
# ये हैं स्वदेश दर्शन योजना के तहत चयनित किये गए 15 सर्किट
स्वदेश दर्शन योजना के कुल 15 सर्किटों की पहचान की गई है, जो इस प्रकार है:-
बौद्ध सर्किट: इस सर्किट के अंदर बौद्ध तीर्थ स्थलों को शामिल किया गया है। केंद्र सरकार के द्वारा एक बौद्ध सर्किट ट्रेन एफएएम टूर का भी आयोजन किया है, जिसमें बिहार से गया-बोधगया, राजगीर से नालंदा, यूपी में सारनाथ-वाराणसी स्थलों को शामिल किया गया है। बौद्ध सर्किट के तहत सम्मिलित किये गए राज्य मध्यप्रदेश, बिहार, उत्तर प्रदेश, गुजरात और आंध्र प्रदेश हैं।
कृष्णा सर्किट: इस सर्किट के तहत 5 राज्यों के 12 डेस्टिनेशन्स को सम्मिलित करने का प्रस्ताव है जिनमें द्वारका (गुजरात), कुरुक्षेत्र (हरियाणा), गोकुल-वृंदावन- बरसाना, मथुरा, नंदगांव-गोवर्धन (उत्तर प्रदेश), पुरी (ओडिशा), नाथद्वारा-जयपुर-सीकर (राजस्थान) है। कृष्णा सर्किट का मुख्य उद्देश्य हरियाणा और राजस्थान में भगवान कृष्ण की किंवदंतियों से संबंधित स्थलों का विकास करना है।
रामायण सर्किट: इस सर्किट का उद्देश्य देश भर में भगवान राम की किंवदंतियों से संबंधित स्थलों का विकास करना है, ताकि उन सभी पर्यटन स्थलों पर पर्यटन की वृद्धि की जा सके तथा पर्यटन को और भी ज्यादा सुविधाजनक बनाया जा सके।
आध्यात्मिक सर्किट: इस सर्किट के अंतर्गत आने वाले सात राज्य है जिनमें केरल, उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, राजस्थान, बिहार, मणिपुर और पुडुचेरी है। इस सर्किट के तहत चार धर्मों- बौद्ध धर्म, जैन धर्म, सिख धर्म और हिन्दू धर्म से जुड़े डेस्टिनेशन्स में पर्यटकों की सुविधा का विकास करना है।
तीर्थंकर सर्किट: हमारे देश में हर साल अनेक लोग जैन तीर्थ स्थलों में पर्यटन करने आते हैं। तीर्थंकर सर्किट का उद्देश्य आने वाले पर्यटकों के लिए वास्तुकला, व्यंजन व शिल्प कला आदि को विकसित करना है।
ग्रामीण सर्किट: इस सर्किट के अंतर्गत चंद्रहिया, तुर्कोर्लिया बिहार गांधी सर्किट, मलनाड मालाबार क्रूज पर्यटन और भितिहारवा सर्किट को सम्मानित किया गया है। ग्रामीण सर्किट का उद्देश्य ग्रामीण पर्यटन का विकास करना है।
नार्थ ईस्ट सर्किट: इस सर्किट के अंतर्गत असम, मणिपुर, अरुणाचल प्रदेश, मिजोरम, नागालैंड, मेघालय, सिक्किम और त्रिपुरा राज्य को सम्मिलित किया गया है।
हेरिटेज सर्किट: इस सर्किट के अंतर्गत असम, उत्तरप्रदेश, राजस्थान, उत्तराखंड, पंजाब, पुडुचेरी, गुजरात, मध्यप्रदेश, तेलंगाना राज्यों को सम्मिलित किया गया है। इस सर्किट का उद्देश्य विश्व भर से आने वाले यात्रियों की जरूरतों को पूरा करना है।
डेजर्ट सर्किट: इस सर्किट का उद्देश्य डेजर्ट पर्यटन का विकास करना है ताकि पूरी दुनिया से आने वाले पर्यटकों को और भी ज्यादा बेहतर सुविधा प्रदान की जा सके।
इको सर्किट: इस सर्किट के अंतर्गत सम्मिलित किये गए राज्य झारखंड, केरल, मध्यप्रदेश, तेलांगना, उत्तराखंड और मिजोरम है। इको सर्किट का उद्देश्य पर्यावरण और प्रकृति के अनुकूल पर्यटक स्थलों का निर्माण करना है।
ट्राइबल सर्किट: इस सर्किट के अंतर्गत तेलांगना, छत्तीसगढ़ और नागालैंड राज्यों को सम्मिलित किया गया है। ट्राइबल सर्किट का उद्देश्य देश और विदेश से आने वाले पर्यटकों को आदिवासी प्राचीन रीति-रिवाजों, परम्परा, संस्कृति, त्यौहार, शिल्प कौशल, कला से परिचय करवाना है।
वाइल्ड लाइफ सर्किट: इस सर्किट के अंतर्गत असम और मध्यप्रदेश राज्य को सम्मिलित किया गया है। भारत वन्यजीव पर्यटन का मुख्य केंद्र है, जिस कारण प्रत्येक साल लाखों पर्यटक यहाँ के वन्य जीवों को देखने आते हैं। इस सर्किट का मुख्य उद्देश्य देश में राज्य वन्यजीव संरक्षण और अभयारण्यों का विकास करना है।
सूफी सर्किट: इस सर्किट का मुख्य उद्देश्य देश की प्राचीन सूफी परम्परा को कायम रखना है ताकि देश में सदियों से चली आ रही सूफी परंपरा और सूफी संतों के अस्तित्व को ठीक उसी प्रकार बनाये रखा जा सके, जैसे कि वह पहले हुआ करते थे।
बता दें कि इस योजना की परिकल्पना स्वच्छ भारत अभियान, स्किल इंडिया, मेक इन इंडिया, आत्मनिर्भर भारत आदि जैसे अन्य योजनाओं के साथ समुचित तालमेल बिठाने के लिए की गई है, जिसमें पर्यटन क्षेत्र को रोजगार सृजन, आर्थिक विकास के लिए प्रेरक शक्ति केंद्र बनाने और विभिन्न क्षेत्रों के साथ तालमेल बनाने के लिए एक प्रमुख इंजन के रूप में स्थान दिया गया है, ताकि पर्यटन उद्योग को अपनी क्षमता का एहसास हो सके।
- कमलेश पांडेय
वरिष्ठ पत्रकार व स्तम्भकार