By प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क | Oct 03, 2022
इस बैठक को कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष पदचुनाव के लिए गहलोत की संभावित उम्मीदवारी के मद्देनजर राज्य में नेतृत्व परिवर्तन की कवायद के रूप में देखा गया था। राजस्थान के लिए अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी (एआईसीसी) महासचिव अजय माकन और राज्यसभा में विपक्ष के तत्कालीन नेता मल्लिकार्जुन खड़गे, जो अब कांग्रेस अध्यक्ष चुनाव लड़ रहे हैं, को पार्टी आलाकमान ने पर्यवेक्षक के रूप में विधायक दल की बैठक (सीएलपी) आयोजित कराने के लिए राजस्थान भेजा था। उल्लेखनीय है कि 25 सितंबर को मुख्यमंत्री आवास पर कांग्रेस विधायक दल (सीएलपी) की बैठक शुरू होने से कुछ घंटे पहले गहलोत के वफादार विधायकों ने संसदीय कार्य मंत्री शांति धारीवाल के आवास पर समानांतर बैठक की थी। विधायक सीएलपी की बैठक में शामिल नहीं हुए और विधानसभा अध्यक्ष सीपी जोशी के आवास पर गए और अपना इस्तीफा सौंप दिया। उनकी मांग गहलोत के वफादार 102 विधायकों जिन्होंने जुलाई 2020 में राजनीतिक संकट के दौरान गहलोत का समर्थन किया था उनमें से किसी को नए मुख्यमंत्री के रूप में चुनने की थी।
उल्लेखनीय है कि जुलाई 2020 में तत्कालीन उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट ने 18 अन्य कांग्रेस विधायकों के साथ मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के खिलाफ बगावत की थी। इस राजनीतिक संकट के चलते मुख्यमंत्री आवास पर बुलाई गई विधायक दल की बैठक नहीं हो सकी। गहलोत ने बृहस्पतिवार को नई दिल्ली में पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी से मुलाकातविधायक दल की बैठक में एक पंक्ति का प्रस्ताव पारित नहीं हो पाने के लिए ‘माफी’ मांगी थी। उन्होंने संकट की नैतिक जिम्मेदारी ली और घोषणा की कि वह पार्टी के अध्यक्ष का चुनाव नहीं लड़ेंगे। मुख्यमंत्री के दिल्ली से लौटने के बाद उन्होंने पिछले कुछ दिनों से सामान्य कामकाज और नियमित काम के माध्यम से संकेत दिया है कि वह मुख्यमंत्री के रूप में बने रहेंगे।