मेक इन इंडिया कार्यक्रम क्या है? इससे भारतीय अर्थव्यवस्था को कितनी गति मिली है?

By कमलेश पांडे | Jul 15, 2023

'मेक इन इंडिया' यानी भारत में निर्माण प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सरकार का एक क्रांतिकारी आर्थिक विचार है जिससे देश में निवेश एवं नवाचार को बढ़ावा मिल रहा है। इस महत्वाकांक्षी योजना से जहां एक ओर राष्ट्र की बौद्धिक संपदा की रक्षा करने में मदद मिली है, वहीं दूसरी ओर देश में विश्व स्तरीय विनिर्माण की दिशा में बुनियादी ढांचे का निर्माण करने के लिए विभिन्न प्रमुख नई पहलों की शुरूआत भी संभव हुई है। सच कहूं तो इस महत्वपूर्ण पहल ने देश में कारोबार करने की पूरी प्रक्रिया को बिल्कुल आसान बना दिया है, जिससे उद्यमी उत्साहित हैं और नए-नए उद्यमों की ओर अपने कदम बढ़ा रहे हैं। नयी डी-लाइसेंसिंग और ढील के उपायों से जहां कारोबारी जटिलता को कम करने में मदद मिली है, वहीं विनिर्माण की समग्र प्रक्रिया में गति और पारदर्शिता काफी बढ़ी हैं, जो इस कार्यक्रम का महत्वपूर्ण योगदान समझा जाता है।


भारत में अब जब भी व्यापार करने की बात सामने आती है तो यह देश उद्यमियों को काफी कुछ प्रदान करता है। खासकर अब यह ऐसे सभी निवेशकों के लिए एक बिल्कुल आसान और पारदर्शी प्रणाली प्रदान करता है जो स्थिर अर्थव्यवस्था और आकर्षक व्यवसाय के अवसरों की तलाश कर रहे हैं। इस नजरिए से भारत में निवेश करने के लिए मोदी युग एक सही व सर्वश्रेष्ठ समय है जब यह देश सभी को विकास और समृद्धि के मामले में बहुत कुछ प्रदान कर रहा है, करने की सोच रहा है और इसी नजरिए से लगातार खुद को बदल रहा है। इससे वैश्विक दुनियादारी में भारत की साख भी निरंतर बढ़ रही है।


# मेक इन इंडिया के बारे में जानकारों की सकारात्मक राय

विशेषज्ञों का कहना है कि मेक इन इंडिया कार्यक्रम के सहारे भारतीय अर्थव्यवस्था अपने देश में मजबूत विकास और व्यापार के समग्र दृष्टिकोण में सुधार और निवेश के संकेत के साथ आशावादी रुप से निरंतर आगे बढ़ रही है। मोदी सरकार के नये नए प्रयासों एवं तर्कसंगत पहलों की मदद से राष्ट्र के निर्माण क्षेत्र में काफी सुधार दृष्टिगोचर हुआ है। ऐसा इसलिए कि भारत में निर्माण को बढ़ावा देने एवं संवर्धन के लिए ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने प्रथम कार्यकाल के 6 माह के भीतर ही गत 25 सितम्बर 2014 को 'मेक इन इंडिया' कार्यक्रम की शुरुआत की, जिससे दुनिया में भारत को महत्वपूर्ण निवेश एवं निर्माण, संरचना तथा अभिनव प्रयोगों के वैश्विक केंद्र के रुप में बदला जा सके। यह उनकी एक ऐसी नीति है जो भारत को चीन के मुकाबले न केवल खड़ी कर सकती है, बल्कि जीवन जगत से लेकर उद्योग जगत के हर क्षेत्र में उसको एक मजबूत व स्वस्थ प्रतिस्पर्धा दे सकती है। यदि आप इसे एक मजबूत टक्कर समझते हैं तो वह भी सौ फीसदी सही है।

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बताते चलें कि 'मेक इन इंडिया' यानी भारत में निर्माण मुख्य रूप से निर्माण क्षेत्र पर केंद्रित एक महत्वाकांक्षी कार्यक्रम है जिसका एकनिष्ठ उद्देश्य देश में अप्रत्याशित उद्यमशीलता को बढ़ावा देना भी है। इसका समग्र दृष्टिकोण देश में निवेश के लिए अनुकूल माहौल बनाना, आधुनिक और कुशल बुनियादी संरचना विकसित करना, विदेशी निवेश के लिए नये नये क्षेत्रों की पहचान करके उनको खोलना और सरकार एवं उद्योग के बीच एक स्वस्थ साझेदारी का निर्माण करना है।


# अनुकूल पहल और विशिष्ट क्षेत्रों की पहचान का चयन

यही वजह है कि विगत 9 वर्षों में 'मेक इन इंडिया' यानी भारत में निर्माण की पहल के संबंध में देश एवं विदेशों से अनुकूल मतलब सकारात्मक प्रतिक्रिया प्राप्त हुई है। सबसे खास बात तो यह रही कि इस महत्वाकांक्षी अभियान के शुरु होने के समय से ही इसकी वेबसाईट पर बारह हजार से अधिक सवाल 'इनवेस्ट इंडिया' के निवेशक सुविधा प्रकोष्ठ द्वारा प्राप्त किया गया है। जिस तरह से जापान, चीन, फ्रांस और दक्षिण कोरिया के अलावा अमेरिकी व यूरोपीय देशों ने भारत के विभिन्न औद्योगिक और बुनियादी ढांचागत  परियोजनाओं में निवेश करने हेतु अपना समर्थन दिखाया है, वह अभूतपूर्व व अप्रत्याशित है। इससे सरकार और उसके योजनाकारों का मनोबल ऊंचा उठा है।


आंकड़े बताते हैं कि भारत सरकार ने 'मेक इन इंडिया' पहल के तहत निम्नलिखित पचीस क्षेत्रों की पहचान की है, जिसमें ऑटो अवयव, ऑटोमोबाइल, विमानन, जैव प्रौद्योगिकी, रसायन, निर्माण, रक्षा उत्पादन, विद्युत मशीनरी, इलेक्ट्रॉनिक सिस्टम डिजाइन और निर्माण, खाद्य प्रसंस्करण, आईटी एवं बीपीएम, चमड़ा, मीडिया एवं मनोरंजन, खदान, तेल एवं गैस, फार्मास्यूटिकल्स, बंदरगाहों एवं नौवहन, रेलवे, सड़क एवं राजमार्ग,  नवीकरणीय ऊर्जा, अंतरिक्ष, वस्त्र एवं परिधान, थर्मल पावर, पर्यटन और आतिथ्य और कल्याण आदि शामिल हैं।


# 'मेक इन इंडिया' की चुनौतियों का सामना करने के लिए अभियान

मोदी सरकार ने भारत में व्यवसाय करने की प्रक्रिया को बिल्कुल आसान और सरल बनाने के लिए कई कदम उठाये हैं। प्रधानमंत्री मोदी ने खुद ही दिलचस्पी लेकर विशेषज्ञों की सलाह से कई नियमों एवं प्रक्रियाओं को सरल बनाया है और कई वस्तुओं को लाइसेंस की जरुरतों से बाहर हटाया गया है। क्योंकि सरकार का एकमात्र लक्ष्य देश में विभिन्न संस्थाओं के साथ-साथ अपेक्षित सुविधाओं के विकास द्वारा व्यापार व उद्यम के लिए कतिपय मजबूत बुनियादी ढांचा व  सुविधाएं उपलब्ध कराना है, जिससे सभी लोग इस ओर आकर्षित हों। मौजूदा सरकार व्यापार संस्थाओं के लिए अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी उपलब्ध कराने के लिए औद्योगिक गलियारों और स्मार्ट सिटी का विकास करना चाहती है और प्राथमिकता पूर्वक कर भी रही है। एक ओर जहां राष्ट्रीय कौशल विकास मिशन के माध्यम से कुशल मानव शक्ति प्रदान करने के प्रयास किये जा रहे हैं, वहीं दूसरी ओर पेटेंट एवं ट्रेडमार्क पंजीकरण की प्रक्रिया के बेहतर प्रबंधन के माध्यम से अभिनव प्रयोगों को प्रोत्साहित किया जा रहा है, जो कि बहुत बड़ी बात है। अब इसके सकारात्मक प्रभाव भी दृष्टिगोचर होने लगे हैं।


# भारतीय अर्थव्यवस्था के प्रमुख क्षेत्रों को एफडीआई के लिए खोला गया

जानकारों की मानें तो भारतीय अर्थव्यवस्था के कुछ प्रमुख क्षेत्रों को अब प्रत्यक्ष विदेशी निवेश के लिए खोल दिया गया है। जहां रक्षा क्षेत्र में विनिवेश नीति को उदार बनाया गया है और एफडीआई की सीमा को 26% से बढ़ाकर 49% तक किया गया है, वहीं अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी के लिए रक्षा क्षेत्र में 100% एफडीआई को भी अनुमति दी गई है। इसके अलावा, रेल के क्षेत्र में बुनियादी ढांचा परियोजनाओं में निर्माण, संचालन और रखरखाव में स्वचालित मार्ग के तहत 100% एफडीआई की अनुमति दी गई है। वहीं, बीमा और चिकित्सा उपकरणों के लिए भी उदारीकरण के मानदंडों को मंजूरी दी गई है। इस निमित्त ही गत 29 दिसंबर 2014 को आयोजित राष्ट्रीय कार्यशाला में विभिन्न हितधारकों के साथ विस्तृत चर्चा के बाद उद्योग से संबंधित मंत्रालय प्रत्येक क्षेत्र के विशिष्ट लक्ष्यों पर काम कर रहे हैं। इस पहल के तहत प्रत्येक मंत्रालय ने अगले एक एवं तीन साल के लिए कार्यवाही योजना की पहचान की थी, जिस पर अमल या तो हो चुकी है या फिर प्रक्रियाधीन है।


कुल मिलाकर देखा जाए तो मोदी सरकार का फ्लैगशिप कार्यक्रम 'मेक इन इंडिया' यानी भारत में निर्माण, निवेशकों और उनकी उम्मीदों से संबंधित भारत में एक व्यवहारगत बदलाव का प्रतिनिधित्व करता है। वहीं, 'इनवेस्ट इंडिया' में एक निवेशक सुविधा प्रकोष्ठ का गठन किया गया है। इसके तहत नये निवेशकों को सहायता प्रदान करने के लिए एक अनुभवी दल भी गठित किया गया है, जो निवेशक सुविधा प्रकोष्ठ में उपलब्ध है।


# मेक इन इंडिया के तहत निर्माण को बढ़ावा देने के लिए सरकार ने अपने लक्ष्य निर्धारित और हासिल किए

सरकार ने निर्माण को बढ़ावा देने के लिए अपने लक्ष्य निर्धारित किए हैं जो इस प्रकार हैं- पहला, मध्यम अवधि में निर्माण क्षेत्र की वृद्धि दर में प्रति वर्ष 12-14% वृद्धि करने का उद्देश्य। दूसरा, 2022 तक देश के सकल घरेलू उत्पाद में विनिर्माण की हिस्सेदारी में 16% से 25% की वृद्धि का लक्ष्य। तीसरा, विनिर्माण क्षेत्र में वर्ष 2022 तक 100 मिलियन अतिरिक्त रोजगार के अवसर पैदा करने का लक्ष्य। चतुर्थ, समावेशी विकास के लिए ग्रामीण प्रवासियों और शहरी गरीबों के बीच उचित कौशल का निर्माण का लक्ष्य। पंचम, घरेलू मूल्य संवर्धन और निर्माण में तकनीकी गहराई में वृद्धि करने का लक्ष्य। षष्टम, भारतीय विनिर्माण क्षेत्र की वैश्विक प्रतिस्पर्धा बढ़ाने का लक्ष्य। सप्तम, विशेष रूप से पर्यावरण के संबंध में विकास की स्थिरता सुनिश्चित करने का लक्ष्य। 


# समझिए कि आखिर क्या है आर्थिक विकास के आगे की दिशा

भारत ने आर्थिक विकास के आगे की दिशा तय करते हुए अपनी उपस्थिति दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं में से एक के रूप दर्ज करायी है। वर्ष 2020 तक इसे दुनिया की शीर्ष तीन विकास अर्थव्यवस्थाओं और शीर्ष तीन निर्माण स्थलों में गिने जाने की उम्मीद थी, जिस दिशा में वह तेजी से आगे बढ़ चुका है और दुनिया की 11वीं बड़ी अर्थव्यवस्था होने से छलांग लगाकर दुनिया की 4 थी बड़ी अर्थव्यवस्था बन चुका है। 


वहीं, अगले 2-3 दशकों के लिए अनुकूल जनसांख्यिकीय लाभांश का लक्ष्य साधते हुए गुणवत्तापूर्ण कर्मचारियों की निरंतर उपलब्धता की दिशा में कार्यरत है। फलस्वरूप यहां की जनशक्ति की लागत अन्य देशों की तुलना में अपेक्षाकृत कम है। इसके अलावा, विश्वसनीयता और व्यावसायिकता के साथ संचालित होने वाले जिम्मेदार व्यावसायिक घराने, घरेलू बाजार में मजबूत उपभोक्तावाद, शीर्ष वैज्ञानिक और तकनीकी संस्थानों द्वारा समर्थित मजबूत तकनीकी और इंजीनियरिंग क्षमतायें के साथ-साथ विदेशी निवेशकों के लिए खुले अच्छी तरह विनियमित और स्थिर वित्तीय बाजार भारत को एक विशिष्ट स्थिति प्रदान करते हैं, जिससे दुनिया का रुझान भारत की ओर लगातार बढ़ रहा है।


सच कहा जाए तो भारत में अब परेशानी मुक्त व्यापार सम्भव है। यहां के औद्योगिक क्षेत्र, यहां चल रहीं लाइव परियोजनाएं, यहाँ की कारोबारी फ्रेंडली नीतियाँ, निवेशक सुविधा प्रकोष्ठ और अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न यानी सवाल और उनके स्पष्ट जवाब लोगों की अभिरुचि को भारत में यानी मेक इन इंडिया में बढ़ा रहे हैं। 


- कमलेश पांडेय

वरिष्ठ पत्रकार व स्तम्भकार

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