By अभिनय आकाश | Jul 29, 2022
बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के नेतृत्व वाली तृणमूल कांग्रेस के अंदर सब कुछ ठीक नहीं है। ममता बनर्जी उन कुछ मौजूदा भारतीय राजनेताओं में से एक हैं जो एक बहुत ही मध्यम वर्गीय परिवार से उभरी हैं और जमीनी आंदोलनों में पली-बढ़ी हैं। जब बनर्जी ने कांग्रेस छोड़ दी और तृणमूल कांग्रेस का गठन किया तो उनके कुछ करीबी सहयोगी भी शामिल थे। पार्थ चटर्जी शुरू से ही बनर्जी के सबसे भरोसेमंद सिपहसालारों में से एक थे। ममता बनर्जी केवल कुछ नेताओं को उनके नाम से बुलाती हैं, चटर्जी ऐसे ही एक नेता थे जिन्हें "दा" के रूप में, दादा (बड़े भाई) का संक्षिप्त रूप में ममता पुकारती थीं। लेकिन अब बनर्जी मुश्किल स्थिति में हैं। उनकी पार्टी कथित भ्रष्टाचार के मामले को लेकर मुश्किलों में हैं। खबर ये आ रही है कि पार्थ के बाद टीएमसी के अन्य नेता भी केंद्रीय एजेंसियों की जांच के घेरे में हैं। ऐसे में अब सबसे बड़ा सवाल की ममता बनर्जी क्या करेंगी?
राजनीतिक जानकारों की माने तो ममता बनर्जी कामराज प्लान की तर्ज पर ही पूरे कैबिनेट का इस्तीफा करवा सकती है। हालांकि ये अभी तक मीडिया के सूत्रों के हवाले से अपुष्ट खबरें हैं। लेकिन इसके पीछे ये तर्क दिया जा रहा है कि जिन मंत्रियों पर संदेह है या भ्रष्टाचार के छोटे आरोप भी हैं। उन पर गाज गिर सकती है। इस बात की भी आशंका है कि पूरा मंत्रिमंडल खुद ही अपना इस्तीफा दे दे। फिर ममता नए सिरे से कैबिनेट का गठन करे।
क्या था कांग्रेस का कामराज प्लान?
साल 1962 का आम चुनाव जिसमें कांग्रेस ने एक बार फिर ऐतिहासिक सफलता प्राप्त की और देश की बागडोर एक बार फिर पंडित जवाहर लाल नेहरू के हाथों में थी। लेकिन कुछ वक्त बीते की भारत और चीन के बीच युद्ध हो गया। एक महीने तक चले इस युद्ध में भारत बहुत कुछ गंवा चुका था। भारतीय सेना के 1383 सैनिक शहीद हुए थे। 1696 सैनिकों का कुछ पता ही नहीं चला और चार हजार सैनिकों को युद्ध बंदी बनने की यातना झेलनी पड़ी। पंडित नेहरू और कांग्रेस पार्टी की लोकप्रियता में काफी गिरावट आई और नतीजा ये हुआ कि 62 में ऐतिहासिक दर्ज करने वाली कांग्रेस एक साल बाद 3 लोकसभा उपचुनावों में हार गई। कामराज ने वो किया था जिसके बारे में आज सोचना भी मुश्किल है। कामराज ने खुद ही तमिलनाडु राज्य के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दिया था और उनके इस्तीफे के बाद छह केंद्रीय मंत्री और कई राज्यों के मुख्यमंत्रियों को कुर्सी छोड़ कर पार्टी में काम करना पड़ा था। पद छोड़कर पार्टी में काम करने की इस योजना को ही 'कामराज प्लान' कहा जाता है।
सत्ता के लालच को दूर करना था मकसद
कामराज प्लान का मकसद मुख्य रूप से कांग्रेस पार्टी के लोगों के मन के भीतर से सत्ता के लालच को दूर करना था और इसके स्थान पर संगठन के उद्देश्यों और नीतियों के लिए एक समर्पित लगाव पैदा करना। उनका ये सुझाव नेहरू को काफी पसंद आया। नेहरू ने इस प्लान का प्रस्ताव कार्यसमिति के पास भेजने को कहा। सीडब्ल्यूसी ने इस प्रस्ताव को पास किया और इसके अमल में आते ही 6 मुख्यमंत्री और 6 केंद्रीय मंत्रियों को इस्तीफा देना पड़ा। मराज प्लान के तहत 6 केंद्रीय मंत्रियों को भी इस्तीफा देना पड़ा जिसमें लाल बहादुर शास्त्री, मोरारजी देसाई और बाबू जगजीवन राम जैसे दिग्गज नाम शामिल थे। कुछ ही दिनों बाद कामराज को 9 अक्टबर 1963 को भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का अध्यक्ष चुन लिया गया।