क्या चोट लगने या कट जाने पर आपका खून लगातार बहता रहता है और वह जल्दी नहीं जमता, तो यह स्थिति खतरनाक हो सकती है और इसका कारण होता है हीमोफीलिया नामक स्वास्थ्य स्थिति। हालांकि यह दुर्लभ है, लेकिन बहुत खतरनाक है। इसलिए इस बीमारी के बारे में हर किसी को जानकारी होनी चाहिए।
क्या है हीमोफीलिया?
हीमोफीलिया एक अनुवांशिक बीमारी है जिसमें शरीर के किसी हिस्से से रक्तस्राव होने लगता है रक्त का थक्का नहीं जम पाता। हेल्थ एक्सपर्ट्स के अनुसार, इस बीमारी का कारण एक रक्त प्रोटीन की कमी होती है, जिसे 'क्लॉटिंग फैक्टर' कहा जाता है। इस फैक्टर की वजह से ही जब खून बहता है तो थोड़ी देर में वह उसका थक्का जमाकर बहने से रोक देता है। इसके अलावा रक्त में थ्राम्बोप्लास्टिन की कमी से भी खून लगातार बहता रहता है। ऐसी स्थिति में चोट या खरोंच लगने पर तुरंत उपचार की ज़रूरत होती है, यदि ऐसा न किया जाए तो यह स्थिति जानलेवा भी साबित हो सकती है। यदि शरीर के किसी अंदरूनी हिस्से या नाजुक अंग से रक्तस्राव होने लगे तो मरीज की जान भी जा सकती है। विशेषज्ञों के मुताबिक, यह रोग महिलाओं की तुलना में पुरुषों को अधिक होती है।
हीमोफीलिया के लक्षण
विशेषज्ञों के मुताबिक, जिन लोगों को हीमोफीलिया होता है, उनमें निम्न लक्षण दिख सकते हैः
- सामान्य या गंभीर चोट लग जाने के बाद खून लगातार बहता रहता है
- शरीर के अलग-अलग जॉइंट्स में दर्द
- शरीर के किसी भी हिस्से में अचानक सूजन होना
- मल या पेशाब में रक्त दिखना
- शरीर में नील के निशान पड़ना
- नाक से खून आना
- कमज़ोरी या थकान महसूस करना
हीमोफीलिया का उपचार
हेल्थ एक्सपर्ट्स के अनुसार, जिन लोगों में उपरोक्त लक्षण दिखें, उन्हें एक बार डॉक्टर से सलाह अवश्य लेनी चाहिए और उन्हें अपनी डायट का खास ख्याल रखने की ज़रूरत है। सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रीवेंशन के अनुसार, "हीमोफीलिया का इलाज मिसिंग ब्लड क्लॉटिंग फैक्टर को हटाकर किया जा सकता है।" इसके अलावा इंजेक्शन के ज़रिए भी इस बीमारी का उपचार किया जाता है, जो एक मेडिकल प्रोसीज़र है और विशेषज्ञ डॉक्टरों की टीम द्वारा किया जाता है।
हीमोफीलिया के बचाव के लिए रखें इन बातों का ध्यान-
- हेल्थ एक्सपर्ट्स का कहना है कि यदि आपके दांत और मसूड़ों से खून निकलता है तो इसे नज़रअंदाज़ न करें, तुंरत डेंटिस्ट के पास जाएं।
- यदि हड्डियों में चोट लगती है तो पेन किलर लेने के पहले डॉक्टर से सलाह अवश्य ले लें, क्योंकि इसकी वजह से भी आगे चलकर हीमोफीलिया हो सकता है।
- ब्ल्ड इंफेक्शन के कारण होने वाली बीमारियों और उनके टीकाकरण के बारे में जानकारी प्राप्त करें साथ ही इसकी जांच भी करवाएं। हेपेटाइटिस ए और बी की वैक्सीन के बारे में डॉक्टर से सलाह लें।
- ब्लड-थिनिंग दवा लेने से बचें। एस्पिरिन और इबुप्रोफेन जैसी ओवर-द-काउंटर दवाओं का सेवन बिना डॉक्टर के परामर्श के न करें।
- अपनी डायट में विटामिन और मिनरल्स से भरपूर चीज़ें शामिल करें।
- रोज़ाना एक्सरसाइज और योग करें।
- कंचन सिंह