1961 में आई फिल्म 'हम दोनों' के लिए साहिर लुधियानवी साहब ने एक गाना लिखा था 'हर फिक्र को धुएं में उड़ाता चला गया'। यह गाना खूब लोकप्रिय हुआ। ही। आज भी जब हम किसी को सिगरेट पीते हुए देखते हैं तो यह गाना हमारे दिमाग में अनायास ही आ जाता है। फिलहाल फिक्र तो आने वाले वक्त में रहेगी लेकिन इस धुएं पर ब्रेक लगने वाला है। जी हां, सरकार ने इलेक्ट्रानिक सिगरेट यानी ई-सिगरेट के उत्पादन, बिक्री, भंडारण और आयात- निर्यात पर रोक लगाने का फैसला किया है। इतना ही नहीं, इसका उल्लंघन करने पर सजा का भी प्रावधान किया गया है। पहली बार गुनाह करने पर एक साल की सजा या एक लाख रुपये का जुर्माना या दोनों है। जबकि बार बार गुनाह करने पर सजा 3 वर्ष होगी या 5 लाख रुपये का जुर्माना या दोनों लगाये जा सकते हैं। सरकार के इस फैसले को सिगरेट पर भी पाबंदी लगाने की दिशा में पहला कदम माना जा रहा है।
यह फैसला आने के बाद कई लोगों ने तो पहली बार ई-सिगरेट का नाम सुना तो कितनों ने नाम तो सुना था पर यह नहीं पता था कि यह होती क्या है। आज हम आपको ई-सिगरेट के बारे में बताते हैं और यह भी बताएंगे कि इसे बैन क्यों किया गया? ई-सिगरेट एक तरह का इलेक्ट्रॉनिक यंत्र है जिसमें निकोटिन और अन्य रसायनयुक्त तरल पदार्थ भरा जाता है। यह देखने में तो सामान्य सिगरेट की तरह ही होता है पर यह बैटरी से चलता है। इसकी बैटरी चार्जजेबल होती है। इसे हम रिफिल कर सकते है और रियूज भी। यह तीन हिस्सों में बंटी होती है। हालांकि अब यह कई और डिजाइन में बाजार में उपलब्ध है। इससे कोई धुंआ तो नहीं निकलता पर इसका अहसास जरूर हो जाता है। इसका स्वाद भी सिगरेट की तरह ही होता है। शुरू में इसके बारे में कहा गया कि यह सामान्य सिगरेट से कम हानिकारक है जिसके बाद युवाओं में इसका क्रेज खूब बढ़ा। इसके बारे में यह भी कहा जाता है कि ई-सिगरेट का सेवन करते समय आस-पास के लोगों को भी कोई नुकसान नहीं होता है।
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भारत में ई-सिगरेट का बाजार अभी कम है। यह चर्चा में तब आया जब संजय दत्त ने जेल जाने से पहले सिगरेट की मांग कर दी थी। ई-सिगरेट का निर्माण चीन में खूब होता है और वहीं से यह विश्व के अनेक देशों में भी जाता है। बड़े शहरों में यह आसानी से मिल जाता है। justdial पर फोन कर पता किया जा सकता है कि आस-पास के इलाके में ई-सिगरेट कहां मिलती है। इसके अलावा यह ऑनलाइन भी उपलब्ध थी। Esutta.com और freesmoke.com जैसे ऑनलाइन साईट घर तक ई- सिगरेट उपलब्ध कराती थीं। पब और पार्टीस में भी ई-सिगरेट का जमकर उपयोग किया जाता था। हाल-फिलहाल में ई-सिगरेट कई फ्लेवर में आने लगी थी। इस पर पाबंदी लगाते समय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि ई-सिगरेट 400 तरह के मिल रहे है जो कि 150 से भी ज्यादा फ्लेवर में है।
क्यों किया गया बैन?
सबसे ज्यादा सवाल यह उठ रहा है कि सिर्फ ई-सिगरेट को ही क्यों बैन किया गया, बीड़ी और सिगरेट पर पाबंदी क्यों नहीं? शुरुआत में इस सिगरेट का सेवन लोगों ने सिगरेट की लत को छुड़ाने के लिए किया। लेकिन बाद में जाकर पता चला कि यह आम सिगरेट से भी ज्यादा नुकसानदायक है। एक आम सिगरेट के मुकाबले ई-सिगरेट में 20 गुना ज्यादा निकोटिन होता है। इसके अलावा यह भी कहा जाता है कि आम सिगरेट की तुलना में यह फेफड़ों पर ज्यादा बुरा असर करती है। इसके सेवन से कैंसर, फेफड़ों में संक्रमण के साथ-साथ कई गंभीर बीमारियां होती जा रही हैं। हाल फिलहाल में यह भी देखा गया है कि इसके प्रभाव को बढ़ाने के लिए इसमें कई तरह के केमिकल्स का भी उपयोग हो रहा है जो स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है। ई-सिगरेट के सेवन से डीएनए भी प्रभावित होता है और गर्भ में पलने वाले बच्चे पर भी असर पड़ता है। WHO पहले ही कई देशों को पत्र लिखकर ई-सिगरेट को लेकर कार्रवाई करने की बात कह चुका है। भारत में स्वास्थ्य मंत्रालय लगातार यह कहता रहा है कि ई-सिगरेट पर पाबंदी लगनी चाहिए। अमेरिका के कुछ राज्यों में इस सिगरेट पर पाबंदी है। वहीं न्यूयॉर्क में फ्लेवरर्ड EU भी इस पर पाबंदी लगाने की चर्चा कर रहा है। लेकिन भारत विश्व का पहला देश बन गया जहां ई-सिगरेट पर पाबंदी पूरी तरीके से लगा दी गई है।