Prajatantra: क्या है 'रामराज्य' की परिकल्पना, आखिर क्यों हो रही मोदी-योगी की इतनी चर्चा

By अंकित सिंह | Jan 22, 2024

वर्षों का इंतजार खत्म हो गया। आज अयोध्या में राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा समारोह संपन्न हुआ। इस दौरान प्रधानमंत्री ने साफ तौर पर कहा कि राम आग नहीं, राम तो ऊर्जा है। राम विवाद नहीं, राम समाधान हैं। राम सिर्फ हमारे नहीं, राम तो सबके हैं। इस दौरान अपने संबोधन में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी कहा कि रामराज्य का उद्घोष हो चुका है। राजनीति में हमने कई बार रामराज्य का इस्तेमाल होते हुए खूब सुना है। ऐसे में सवाल यह है कि आखिर रामराज्य की परिकल्पना क्या है, महात्मा गांधी की नजरों में राम राज्य क्या था?

 

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आखिर रामराज्य क्या है

गोस्वामी तुलसीदास जी ने एक रामराज्य की परिकल्पना की थी। यह समृद्ध सुशासन का प्रतीक था। जहां साम, दाम, दंड और भेद आदि नीतियों की कोई आवश्यकता ना हो। रामराज्य में सभी लोग सुखी हो, कोई दुखी ना हो, रामराज्य में सामानता हो, वहां कोई कमजोर ना हो और कोई अपनी ताकत का इस्तेमाल कमजोर पर ना करें। जहां किसान, व्यापारी, मजदूर, महिलाओं समेत सभी सुखी हो। किसी को किसी चीज की तकलीफ या समस्या ना हो। रामराज वही है जहां हर व्यक्ति, नर नारी अहंकार, दंभ छल और कपट से मुक्त हो। सभी एक दूसरे की आदर करें। सभी में एक दूसरे के प्रति कृतज्ञता का भाव हो। सभी लगातार राष्ट्र निर्माण में लगे रहे। 


राम राज्य पर राजनीति

'राम राज्य' शब्द राजनीतिक चर्चा में उभर आया है। यह शब्द एक आदर्श राज्य को संदर्भित करता है, जिसके बारे में माना जाता है कि यह राज्य राम के अपने राज्य अयोध्या लौटने और अपना शासन स्थापित करने के बाद अस्तित्व में था। वर्तमान में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कई बार यह कह चुके हैं देश विकास के नए रास्ते पर चल पड़ा है। उन्होंने भी समय-समय पर रामराज्य की परिकल्पना की है। वे अपनी नीतियों के जरिए बताने की कोशिश करते हैं कि कैसे बिना भेदभाव के सभी के लिए इस सरकार में कामकाज किया जा रहा है। हालांकि, यह बात भी सच है कि केवल रामायण और रामचरितमानस में ही नहीं बल्कि अनेक कालों में राम राज्य की परिकल्पना को दोहराया गया है। वर्तमान की राजनीति में भी देखें तो चाहे कोई भी दल हो, रामराज्य की बात जरूर करता है। सभी दल यह दावा करते हैं कि उनकी सरकार बनने पर रामराज्य की स्थापना की जाएगी। 


गांधी ने राम राज्य के बारे में क्या कहा था?

1934 में गांधी ने लिखा कि मेरे सपने का रामराज्य राजकुमार और रंक के समान अधिकार सुनिश्चित करता है। उन्होंने इसे शुद्ध नैतिक अधिकार पर आधारित लोगों की संप्रभुता के रूप में भी वर्णित किया, जिसका अर्थ है कि यह लोकतांत्रिक होगी। उन्होंने साल 1937 में 'हरिजन' में लिखा कि मैंने रामराज्य का वर्णन किया है, जो नैतिक अधिकार के आधार पर लोगों की संप्रभुता है। गांधी के लिए राम राज्य केवल एक समूह या किसी विशेष धर्म के लाभ के लिए नहीं था। उन्होंने 1947 में लिखा था। मेरा हिंदू धर्म मुझे सभी धर्मों का सम्मान करना सिखाता है। 1929 में हिंद स्वराज में लिखते हुए उन्होंने कहा कि रामराज्य से मेरा तात्पर्य हिंदू राज से नहीं है। रामराज्य से मेरा तात्पर्य दिव्य राज, ईश्वर का राज्य से है। मेरे लिए राम और रहीम एक ही देवता हैं। मैं किसी अन्य ईश्वर को नहीं बल्कि सत्य और धार्मिकता के एकमात्र ईश्वर को स्वीकार करता हूं।

 

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मोदी-योगी की चर्चा

पूरा देश मोदी-योगी के प्रयासों से राममय होता जा रहा है, मोदी-योगी की जोड़ी अयोध्या में विश्वस्तरीय विकास की नित-नई इबारत लिख रहे हैं, जिससे पिछले कुछ वर्षों से अयोध्या धाम देश व दुनिया में चर्चाओं में छाया हुआ है। हालांकि जब से उत्तर प्रदेश की धार्मिक व ऐतिहासिक पावन नगरी अयोध्या में भगवान श्री राम के अद्भुत दिव्य मंदिर का निर्माण कार्य शुरू हुआ है, तब से ही देश व दुनिया में बहुत बड़े पैमाने पर रामराज्य के बारे में विस्तार से चर्चा होने लगी है। देश व दुनिया के लोग आज भी रामराज्य के साथ प्रभु श्री राम के जीवन के हर पहलू को जानने के लिए बेहद उत्सुक हैं, वह प्रभु श्री राम के राज्य की अच्छाईयां को देख देश में रामराज्य की पूरी कल्पना को धरातल पर बहुत ही तेजी से साकार होते देखना चाहते हैं। 

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