By अनन्या मिश्रा | Jan 08, 2025
कितने तरह के होते हैं अखाड़े
देश भर में अखाड़ों की संख्या 13 है। प्राप्त जानकारी के अनुसार, यह सभी अखाड़े उदासीन, शैव और वैष्णव पंथ के संन्यासियों के लिए हैं। इनमें से 7 अखाड़ों का संबंध शैव सन्यासी संप्रदाय से है और 3 अखाड़े बैरागी वैष्णव संप्रदाय से जुड़े हुए हैं। इसके साथ ही उदासीन संप्रदाय के 3 अखाड़े हैं।
किसका प्रतीक होते हैं अखाड़ा
बता दें कि महाकुंभ मेले में अखाड़ों के साधु-संत पवित्र नदी में स्नान के लिए जाते हैं। वैसे तो अखाड़ा शब्द का इस्तेमाल पहलवानों की कुश्ती लड़ने वाली जगह से होता है। लेकिन महाकुंभ के साधु-संतों को अखाड़े के नाम से जाना जाता है। साधु-संतों के इन अखाड़ों को हिंदू धर्म में धार्मिकता और साधना का प्रतीक माना जाता है।
अखाड़ा किसने बनाया था
हिंदू मान्यता के हिसाब से आदि शंकराचार्य ने हिंदू धर्म की रक्षा करने के लिए साधुओं के लिए कई संगठन बनाए थे। आदि शंकराचार्य को शास्त्र विद्या का सबसे ज्यादा ज्ञान था। इन संगठनों को अखाड़े के नाम से भी जाना जाता है। इन अखाड़ों का इतिहास काफी पुराना है।
शाही स्नान की तिथियां
13 जनवरी 2025 - लोहड़ी
14 जनवरी 2025 - मकर संक्रांति
29 जनवरी 2025 - मौनी अमावस्या
3 फरवरी 2025 - बसंत पंचमी
12 फरवरी 2025 - माघी पूर्णिमा
26 फरवरी 2025 - महाशिवरात्रि
साधु संत करते हैं सबसे पहले स्नान
धार्मिक मान्यता के अनुसार, महाकुंभ में शाही स्नान करने से सभी पाप धुल जाते हैं और जीवन में हर तरह के संकटों से मुक्ति मिलती है। बता दें कि महाकुंभ में शाही स्नान करने का खास महत्व होता है। शाही स्नान में सबसे पहले साधु-संत स्नान के लिए आते हैं और फिर आम जनता द्वारा स्नान किया जाता है।