By नीरज कुमार दुबे | Apr 16, 2024
अरुणाचल प्रदेश में विधानसभा और लोकसभा के चुनाव साथ ही हो रहे हैं लेकिन यहां वैसा चुनावी माहौल देखने को नहीं मिल रहा जैसा कि अन्य प्रदेशों में मिलता है। यहां का मतदाता प्रतिक्रिया व्यक्त करने की बजाय खामोशी से अपना मतदान करता है। विधानसभा और लोकसभा चुनावों के लिए विभिन्न दलों की ओर से अपने केंद्रीय आलाकमान की दो-तीन बड़ी रैलियां करा दी गयी हैं और अब घर-घर संपर्क पर जोर दिया जा रहा है। मतदान चूंकि 19 अप्रैल को होना है इसलिए अधिकांश मतदाता अपनी बस्तियों में वापस जा चुके हैं। दरअसल अरुणाचल प्रदेश का क्षेत्रफल बहुत बड़ा है, यहां पहले की सरकारों ने सड़क संपर्क बनाने पर उतना ध्यान नहीं दिया। हालात भाजपा सरकार बनने के बाद बदले और सड़कों का जाल बिछने लगा। लेकिन फिर भी अब भी अधिकांश इलाकों में पहुँचने में कई-कई घंटों का समय लग जाता है। यहां पर निजी टैक्सियों की संख्या बेहद कम है। बसों और निजी वाहनों से लोग अपने घरों के लिए निकल गये हैं। कुछ लोगों ने बताया कि 17 अप्रैल जब चुनाव प्रचार खत्म होगा उसके बाद तो वाहनों का मिलना बहुत मुश्किल हो जायेगा इसलिए लोग पहले ही निकल गये। एक क्षेत्र दूसरे क्षेत्र से कितना दूर है इसे इस बात से समझ सकते हैं कि यहां एक लोकसभा सीट के एक सिरे से दूसरे सिरे तक पहुँचने में आठ से दस घंटे का समय लग जाता है।
यहां हमने जब लोगों से बात की तो उन्होंने बताया कि केंद्र में मोदी सरकार बनने के बाद हमारे सीमावर्ती इलाकों में सुरक्षा की दृष्टि से जो विकास किया गया उससे हर अरुणाचल वासी गर्वित है। लोगों ने बताया कि पहले की सरकारों के समय सीमावर्ती इलाकों में हमारे सुरक्षा बलों के लिए भी कोई सुविधा नहीं थी इसलिए ऐसे में हमें लगता था कि चीनी हमला अगर हुआ तो हमारे जवानों तक रसद या रक्षा सामग्री कैसे पहुँच पायेगी लेकिन अब हमारा डर खत्म हो गया है। लोगों ने कहा कि चीन से सटी सीमा पर मोदी सरकार की ओर से एडवांस्ड लैंडिंग ग्रांउड बनाना मील का पत्थर था। लोगों ने कहा कि राजमार्गों के तेजी से विकास, नये एअरपोर्ट बनने और रेल संपर्क कायम होने से यह क्षेत्र समूचे देश से पूरी तरह जुड़ गया है और अब कहीं भी आना-जाना आसान हो गया है। एक व्यक्ति ने बताया कि पहले उन्हें अपने गांव से राजधानी ईटानगर आने में तीन दिन का समय लगता था। उन तीन में से एक दिन पूरा पैदल चलना पड़ता था उसके बाद वाहन की सुविधा मिल पाती थी। उन्होंने बताया कि सड़क संपर्क कायम होने से यह तीन दिन का सफर अब मात्र तीन घंटे में पूरा हो जाता है।
लोगों ने बताया कि पहले मोबाइल फोन या इंटरनेट की बहुत दिक्कत होती थी। यदि किसी गांव में वी-सैट के जरिये मोबाइल कनेक्टिविटी कायम करनी होती थी तो उसके लिए एनओसी लेनी पड़ती थी कि हम इस संचार सुविधा का दुरुपयोग नहीं करेंगे लेकिन आज मोदी सरकार के जमाने में फोन और इंटरनेट की सुविधा हर किसी के पास है और कोई एनओसी भी नहीं लेनी पड़ती। लोगों ने बताया कि सीमा से सटे गांवों के तेजी से हो रहे विकास और पर्यटन की दृष्टि से जीरो, तवांग और अन्य क्षेत्रों में बढ़ाई जा रही बुनियादी सुविधाओं के चलते राज्य की अर्थव्यवस्था को भी बढ़ावा मिला है। लोगों ने कहा कि पहले हमारे लिए दिल्ली दूर थी बल्कि ऐसा लगता था कि वह किसी और देश में है लेकिन अब एअरपोर्ट बन जाने से कुछ ही घंटों में दिल्ली तक पहुँचा जा सकता है।
अरुणाचल प्रदेश की राजधानी में खासतौर पर बिहार, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, असम और बंगाल के लोग बड़ी संख्या में रहते हैं। इनमें से उत्तर प्रदेश और राजस्थान के लोग हमें यहां दुकानें चलाते या कारोबार में लगे दिखे। असम के युवक वाहन चालक या होटलों में काम करते दिखे। बंगाल के लोग भी दुकानें चलाते या होटलों में काम करते दिखे। बिहार के अधिकतर लोग मजदूरी करते दिखे। जब हमने इन लोगों से बातचीत की तो वह सहमे से दिखे। जब हमने उनके मन की बात जाननी चाही तो पूरा विश्वास होने पर उन्होंने जो कुछ बताया वह आश्चर्यजनक था। अरुणाचल प्रदेश में वैसे तो हमें सब कुछ सकारात्मक दिखा लेकिन यह एक नकारात्मक चीज हमें नजर आई जिस पर राज्य और केंद्र सरकार को तत्काल ध्यान देने की जरूरत है। यहां आकर रह रहे अन्य राज्यों के लोगों को नॉन ट्राइबल कहा जाता है। नॉन ट्राइबल्स का आरोप था कि स्थानीय ट्राइबल उनके साथ भेदभाव करते हैं और अक्सर उनके साथ मारपीट भी की जाती है। हालांकि किसी ने इस बात का कोई सबूत नहीं दिया और कैमरे पर यह बात नहीं कही। उनसे बात करके ऐसा महसूस हुआ कि वह बेहद डरे हुए रह रहे हैं और जुबान बंद करके पेट पालना उनकी मजबूरी बन चुकी है।
बहरहाल, जहां तक अरुणाचल प्रदेश के हालात की बात है तो इसमें कोई दो राय नहीं कि यह प्रदेश विकास और खुशहाली की राह पर निरंतर आगे बढ़ रहा है। प्रकृति ने इस क्षेत्र पर अपना पूरा प्यार लुटाया है इसलिए इस जगह की खूबसूरती का नजारा लेने के लिए यहां सभी को आना चाहिए। अरुणाचल प्रदेश में हर तरह का खानपान उपलब्ध है। यहां किसी प्रकार की भागदौड़ नहीं है और लोग आराम से काम करते हैं। सूर्योदय चूंकि यहां सबसे पहले होता है इसलिए दिन यहां जल्दी शुरू हो जाता है। एक कमी जो हमें यहां महसूस हुई वह यह थी कि यहां टैक्सियों की संख्या कम है इसलिए वह आसानी से नहीं मिल पातीं। टैक्सियों की संख्या कम होने से उनका किराया बहुत-बहुत ज्यादा है। सरकार जब यहां पर्यटन को बढ़ाने पर ध्यान दे रही है तो उसे सबसे पहले इस कमी को दूर करना चाहिए।