Ayatollah Ali Khamenei को ये क्या हुआ? क्या ईरान में सुप्रीम लीडर अब बदलने वाला है

By अभिनय आकाश | Nov 18, 2024

दुनिया में किसी भी मुल्क की पहचान कैसे बनती है? कई सारे मानक हैं, मसलन उसका इतिहास, उसकी संस्कृति, उसका भौगोलिक परिवेश। इन सबसे इतर एक और चीज है जो किसी देश की चाल और उसका चरित्र तय करती है। उस देश को चलाने वाली सरकारें, उस सरकार का मुखिया। यह फार्मूला ईरान पर भी लागू होता है। लेकिन राष्ट्रपति ईरान का सर्वोच्च अधिकारी होता है। मगर शक्तियों के लिहाजे बड़ी अथॉरिटी हैं सुप्रीम लीडर की होती है। वही सुप्रीम लीडर जो बात बात पर इजरायल को धमकाते, नेतन्याहू को देख लेने की धमकी देते नजर आते हैं। लेकिन अब उसी सुप्रीम लीडर को लेकर एक खबर सामने आई है। इजरायल और ईरान के बीच चल रहे तनाव के बीच इस्लामिक रिपब्लिक के सर्वोच्च नेता अयातुल्ला अली खामेनेई के स्वास्थ्य को लेकर अटकलें लगाई जा रही हैं। सोशल मीडिया पर अपुष्ट रिपोर्टों में दावा किया गया है कि 85 वर्षीय खामनेई कथित तौर पर कोमा में हैं। कुछ लोग दावा करते हैं कि उनकी मौत हो चुकी है। हालाँकि, जबकि ईरान ने अफवाहों पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है, खामेनेई ने ईरानी राजदूत से मुलाकात की अपनी एक तस्वीर पोस्ट की।

इसे भी पढ़ें: Elon Musk ने न्यूयॉर्क में ईरान के यूएन राजदूत से मुलाकात की: रिपोर्ट

अयातुल्ला खामेनेई के स्वास्थ्य को लेकर क्या खबर सामने आई? 

इजरायली मीडिया आउटलेट येनेट न्यूज ने ईरान इंटरनेशनल का हवाला देते हुए बताया कि खामेनेई एक गंभीर बीमारी से पीड़ित हैं। सोशल मीडिया पर कई अपुष्ट रिपोर्ट में ये भी दावा किया गया है कि वो या तो कोमा में हैं। इसके साथ ही दावा ये भी किया जा रहा है कि उनकी मौत भी हो चुकी है। हालाँकि, मिसइंफॉर्मेशन रिसर्चर टैल हागिन ने बताया है कि सोशल मीडिया पर छाई कुछ तस्वीरें 2014 की हैं। इजराइल और ईरान के बीच हालिया संघर्ष के बीच सर्वोच्च नेता के स्वास्थ्य को लेकर अटकलें तेज हो गई हैं। द न्यूयॉर्क टाइम्स की एक रिपोर्ट के बाद अफवाहों ने जोर पकड़ लिया है, जिसमें कहा गया है कि उम्रदराज़ ईरानी नेता गंभीर रूप से बीमार हैं। लेकिन ईरानी अधिकारियों ने इन दावों का न तो खंडन किया है और न ही पुष्टि की है।

तो क्या अयातुल्ला अली खामेनेई ही ईरान के सर्वोच्च नेता के रूप में बने रहेंगे?

यनेट्यूज़ की रिपोर्ट के अनुसार, अयातुल्ला अली खामेनेई ने पहले ही एक उत्तराधिकारी उनके बेटे मोजतबा खामेनेई को चुन लिया है। कथित तौर पर सर्वोच्च नेता के दूसरे बेटे, मोजतबा खामेनेई को 26 सितंबर को विशेषज्ञों की सभा की एक गुप्त बैठक के दौरान चुना गया था। अयातुल्ला खामेनेई ने सितंबर में एक असामान्य बैठक बुलाई जिसमें ईरान के विशेषज्ञों की सभा के 60 सदस्य एकत्र हुए। उन्हें उत्तराधिकार पर शीघ्र निर्णय लेने का निर्देश दिया गया। रिपोर्ट के मुताबिक, हालांकि सभा बेहद गोपनीय थी, लेकिन सदस्य इस बारे में कोई सूचना नहीं दे रहे थे कि उनसे क्या अपेक्षा की जा रही है। इस प्रक्रिया के साथ-साथ उत्तराधिकारी के चयन को लेकर भी कुछ विरोध था। हालाँकि, विशेषज्ञों की सभा को सर्वोच्च नेता और उनके प्रतिनिधियों द्वारा मोजतबा खामेनेई को चुनने के लिए मजबूर किया गया था। रिपोर्ट में कहा गया है कि आग्रह के बाद आखिरकार सर्वसम्मति से निर्णय लिया गया, जिसमें धमकियां भी शामिल थीं। उत्तराधिकार योजना और अगले नेता को चुनने की अलोकतांत्रिक प्रक्रिया पर व्यापक विरोध की आशंकाओं के कारण बैठक और निर्णय को गुप्त रखा गया था। उपस्थित लोगों को चेतावनी दी गई कि किसी भी लीक के परिणाम होंगे। हालांकि उनका चयन कोई आश्चर्य की बात नहीं है, लेकिन उनकी नियुक्ति पर सवाल उठने की उम्मीद है क्योंकि उनके पास अनुभव की कमी है और उन्होंने ईरानी सरकार में कोई औपचारिक पद नहीं संभाला है। बैठक से परिचित कुछ सूत्रों ने कहा है कि ऐसी संभावना है कि अयातुल्ला अपने जीवनकाल के दौरान अपने बेटे को बागडोर सौंप सकते हैं, क्योंकि इससे परिवर्तन आसान हो सकता है। येनेट रिपोर्ट में कहा गया है कि उनका मानना ​​है कि इससे मोजतबा खामेनेई के नेतृत्व को सुरक्षित करने और सर्वोच्च नेता की मृत्यु के बाद उत्पन्न होने वाले किसी भी विरोध को रोकने में मदद मिल सकती है।

इसे भी पढ़ें: अमेरिकी सेना ने सीरिया में ईरान समर्थित मिलिशिया के ठिकानों पर हमले किए

मोजतबा खामेनेई कौन हैं?

अयातुल्ला के दूसरे बेटे मोजतबा खामेनेई का जन्म 1969 में मशहद में हुआ। प्रभावशाली शिक्षकों द्वारा उन्हें प्रशिक्षित किया गया। इसके साथ ही मोजतबा ने धर्मशास्त्र का अध्ययन किया और अपने पिता की राह पर चलते हुए मौलवी बन गए थे। वो आज भी ईरान के सबसे बड़े इस्लामी मदरसा क़ोम सेमिनरी में धर्मशास्त्र पढ़ाते हैं। मोजतबा खामेनेई काफी हद तक लोगों की नजरों से दूर रहे हैं। हालांकि पिछले दो वर्षों में तेहरान में उनका महत्व बढ़ा है। मोजतबा खामेनेई ईरानी राजनीति में अधिक सक्रिय हो गए हैं और उन्होंने शासन में निर्णय लेने में भूमिका निभाई है। 2005 और 2009 में हुए चुनावों में मोजतबा खामेनेई ने महमूद अहमदीनेजाद का समर्थन किया। ऐसा कहा जाता है कि उन्होंने 2009 में राष्ट्रपति की जीत में भूमिका निभाई थी और कथित तौर पर चुनाव के बाद ईरान में भड़के विरोध प्रदर्शनों को दबाया था। हालाँकि, अहमदीनेजाद द्वारा मोजतबा पर सरकारी खजाने से धन के गबन का आरोप लगाने के बाद दोनों के बीच संबंधों में खटास आ गई। 2021 में मोजतबा खामेनेई को अयातुल्ला की उपाधि दी गई, जो ईरान के सर्वोच्च नेता के रूप में सेवा करने के लिए एक संवैधानिक आवश्यकता है।

ईरान ने खामनेई के स्वास्थ्य और नए सुप्रीम लीडर को लेकर कुछ कहा है? 

ईरान ने उत्तराधिकार पर कोई औपचारिक घोषणा नहीं की है। अयातुल्ला के स्वास्थ्य और मोजतबा के चयन की खबरें अटकलें बनी हुई हैं। हालाँकि, कोमा की रिपोर्ट के एक दिन बाद, सर्वोच्च नेता ने 17 नवंबर को एक ईरानी राजदूत के साथ एक तस्वीर पोस्ट की। खामेनेई के एक्स अकाउंट पर पोस्ट की गई तस्वीर में उन्हें लेबनान में ईरान के राजदूत मोजतबा अमानी से उनके कार्यालय में बात करते हुए दिखाया गया है। उन्होंने फ़ारसी में लिखा कि इस्लामिक क्रांति के नेता अयातुल्ला खामेनेई ने आज दोपहर में लेबनान में ईरान के इस्लामी गणराज्य के अनुभवी राजदूत मोजतबा अमानी से मुलाकात की और उनकी दैनिक बैठकों से इतर बातचीत की।

सुप्रीम लीडर सबसे पॉवरफुल

राष्ट्रपति ईरान का सर्वोच्च अधिकारी होता है। मगर शक्तियों के लिहाजे से वो सबसे ऊपर नहीं होता। ईरान के संविधान के मुताबिक़, राष्ट्रपति ईरान में दूसरा सबसे ज़्यादा ताक़तवर व्यक्ति होता है। वह कार्यकारिणी का प्रमुख होता है जिसका दायित्व संविधान का पालन करवाना है। यहां सबसे बड़ी अथॉरिटी हैं सुप्रीम लीडर। इनका आधिकारिक टाइटल है- अयातुल्लाह। साल 1979 में हुई इस्लामिक क्रांति के बाद से अब तक सिर्फ़ दो लोग सर्वोच्च नेता के पद तक पहुँचे हैं। इनमें से पहले ईरानी गणतंत्र के संस्थापक अयातुल्लाह रुहोल्ला ख़ुमैनी थे और दूसरे उनके उत्तराधिकारी अयातोल्लाह अली ख़ामेनेई हैं। सर्वोच्च नेता ईरान की सशस्त्र सेनाओं का प्रधान सेनापति होता है। सर्वोच्च नेता के अलावा ईरान में संसद और विशेषज्ञों की समिति भी है। ईरान में 290 सदस्यों वाली संसद मजलिस को हर चार सालों में आम चुनाव के माध्यम से चुना जाता है। विशेषज्ञों की समिति 88 सदस्यों की मज़बूत संस्था है, जिसमें इस्लामिक शोधार्थी और उलेमा शामिल होते हैं।  इस संस्था का काम सर्वोच्च नेता की नियुक्ति से लेकर उनके प्रदर्शन पर नज़र रखना होता है। ईरान के मुख्य न्यायाधीश की नियुक्ति सर्वोच्च नेता करते हैं. मुख्य न्यायाधीश सर्वोच्च नेता के प्रति ही उत्तरदायी होते हैं।  

Click here to get latest Political Analysis in Hindi  

प्रमुख खबरें

गोवा में बड़ा हादसा, पर्यटकों से भरी नाव पलटी, एक की मौत, 20 लोगों को बचाया गया

AUS vs IND: बॉक्सिंग डे टेस्ट में रोमांचक मुकाबले की संभावना, क्या रोहित करेंगे ओपनिंग, जानें किसका पलड़ा भारी

Importance of Ramcharitmanas: जानिए रामचरितमानस को लाल कपड़े में रखने की परंपरा का क्या है कारण

Arjun Kapoor के मैं सिंगल हूं कमेंट पर Malaika Arora ने दिया रिएक्शन, जानें क्या कहा?