By अनुराग गुप्ता | Jan 20, 2021
नयी दिल्ली। भारत का संविधान दुनिया का सबसे बड़ा संविधान है और संविधान के तहत भारत के नागिरकों को कुछ मौलिक अधिकार दिए गए हैं लेकिन अक्सर लोग मौलिक अधिकारों को ही बात करते हैं। जबकि संविधान में मौलिक कर्तव्यों का भी उल्लेख किया गया है। मौलिक अधिकार और मौलिक कर्तव्य दोनों ही एक दूसरे के पूरक हैं और दोनों की एक-दूसरे के बिना कल्पना नहीं की जा सकती है। जहां पर अधिकार हैं वहीं पर कर्तव्य भी होंगे और आज हम अपनी नई सीरीज संविधान को जानें में मौलिक कर्तव्यों के बारे में आपको बताएंगे। जिसकी जानकारी देश के हर एक नागरिक को होनी चाहिए।
आपको बता दें कि भारत के संविधान में पहले मौलिक अधिकारों का ही उल्लेख था लेकिन साल 1976 में सरदार स्वर्ण सिंह समिति की अनुशंसा पर 42वें संविधान संशोधन के माध्यम से मौलिक कर्तव्यों को संविधान में जोड़ा गया था। मौलिक कर्तव्यों को संविधान के भाग-4 (क) में अनुच्छेद 51(क) में परिभाषित किया गया है।
अनुच्छेद 51(क) के तहत भारत के हर एक नागरिक के कर्तव्य इस प्रकार से हैं:-
- भारत के प्रत्येक नागरिक को संविधान का पालन करें और उसके आदर्शों, संस्थाओं, राष्ट्रध्वज और राष्ट्रगान का सम्मान करें।
- स्वतंत्रता के लिए हमारे राष्ट्रीय आंदोलन को प्रेरित करने वाले उच्च आदर्शों को ह्दय में संजोए रखें एवं उनका पालन करें।
- भारत की संप्रभुता, एकता और अखंडता की रक्षा करें और उसे अक्षुण्ण रखें।
- देश की रक्षा करें और आह्वान किए जाने पर राष्ट्र की सेवा करें।
- भारत के सभी लोगों में समरसता और समान भ्रातृत्व की भावना का निर्माण करें जो धर्म, भाषा और प्रदेश या वर्ग आधारित सभी भेदभाव से परे हों, ऐसी प्रथाओं का त्याग करें जो स्त्रियों के सम्मान के विरुद्ध हैं।
- हमारी सामासिक संस्कृति की गौरवशाली परम्परा का महत्व समझें और उसका परिरक्षण करें।
- प्राकृतिक पर्यावरण की (जिसके तहत वन, झील, नदी और वन्य जीव हैं) रक्षा करें और उसका संवर्धन करें। इसके अतिरिक्त प्राणिमात्र के प्रति दया का भाव रखें।
- वैज्ञानिक दृष्टिकोण मानववाद और ज्ञानार्जन तथा सुधार की भावना का विकास करें।
- सार्वजनिक संपत्ति को सुरक्षित रखें और हिंसा से दूर रहें।
- व्यक्तिगत और सामूहिक गतिविधियों के सभी क्षेत्रों में उत्कर्ष की ओर बढ़ने का सतत प्रयास करें जिससे राष्ट्र निरंतर बढ़ते हुए प्रयत्न और उपलब्धि की नई ऊचाइयों को छू ले।
- 6 से 14 साल तक की उम्र के बीच अपने बच्चों को शिक्षा का अवसर प्रदान करना। यह कर्तव्य 86वें संविधान संशोधन अधिनियम, 2002 के द्वारा जोड़ा गया।
आपको जानकारी दे दें कि अनुच्छेद 51(क) के तहत 11 मौलिक कर्तव्य हैं। 42वें संविधान संशोधन के जरिए 10 अधिकारों को जोड़ा गया था जबकि 11वें मौलिक कर्तव्य को 86वें संविधान संशोधन के माध्यम से संविधान में शामिल किया गया था और यह संशोधन साल 2002 में हुआ था।