By नीरज कुमार दुबे | Nov 16, 2023
धर्मांतरण एक बड़ी समस्या बनती जा रही है। सरकारों के तमाम दावों के बावजूद लोभ या जबरन धर्मांतरण के मामले लगातार सामने आ रहे हैं। खास बात यह है कि जो लोग धर्मांतरित हो जाते हैं उन्हें जब अपनी गलती का अहसास होता है और वह वापस लौटना चाहते हैं तब उनके सामने कुछ नई मुश्किलें खड़ी हो जाती हैं। कुछ धार्मिक और सामाजिक संगठन समय-समय पर घर वापसी अभियान चलाते हैं लेकिन उन्हें अपेक्षित सफलता इसलिए नहीं मिलती क्योंकि धर्मांतरित हो चुके लोगों के मन में अपने भविष्य को लेकर कई प्रश्न होते हैं।
इस बारे में भारत के पीआईएल मैन के रूप में विख्यात सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता अश्विनी उपाध्याय का कहना है कि भारत में 80 प्रतिशत लोग हिंदू हैं और 20 प्रतिशत लोग धर्म परिवर्तन करने वाले हिंदू हैं। उन्होंने कहा कि धर्म परिवर्तन करने वाले हिंदू घर वापसी करना चाहते हैं लेकिन उनके सामने दो समस्याएं हैं। पहली यह है कि रोटी बेटी का रिश्ता कौन करेगा और दूसरी समस्या सरकार है क्योंकि वह घर वापसी की राह में सबसे बड़ी बाधा है। उन्होंने कहा कि सरकार सबसे बड़ी बाधा इसलिए है क्योंकि वह जितने भी कागज हैं उन सबमें जाति पूछती है। राशन कार्ड बनवाओ तो भी सरकार जाति पूछती है और आधार बनवाओ तो भी सरकार जाति पूछती है। ड्राइविंग लाइसेंस या पासपोर्ट बनवाओ तो भी सरकार जाति पूछती है। स्कूल में एडमिशन करवाओ तो भी सरकार जाति पूछती है। उन्होंने कहा कि इसलिए इन लोगों के समक्ष सबसे बड़ी मुश्किल यह है कि वह घर वापसी कैसे करें। उन्होंने कहा कि एक और बाधा यह है कि घर वापसी करने वाले लोग आखिर किस जाति में वापस जाएं। उन्होंने कहा कि उसका समाधान हमने बताया है।
अश्विनी उपाध्याय ने कहा कि जो लोग हमसे घर वापसी के लिए पूछते हैं उन्हें हम यही सलाह देते हैं कि आप जाति लगाओ ही मत सीधे गौत्र लगाओ। उन्होंने कहा कि यह व्यवस्था दो हजार साल पुरानी है क्योंकि उसके पहले जाति होती ही नहीं थी। उन्होंने कहा कि गौत्र व्यवस्था की खासियत यह होती है कि यह कश्मीर से लेकर केरल तक समान ही होती है। उन्होंने कहा कि गौत्र की अच्छी बात यह है कि भाषा कोई भी हो लेकिन गौत्र समान होता है।