अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरि के मौत के बाद आज उन्हें भू-समाधि दी गई। नरेंद्र गिरि को 13 अखाड़ों के प्रतिनिधि ने पुष्प अर्पित कर श्रद्धांजलि दी। उन्हें साधु-संतों की परंपरा के अनुसार समाधि दे गई। नरेंद्र गिरि की मौत के बाद अखाड़ों को लेकर चर्चा गर्म है। तो चलिए आपको बताते हैं कि अखाड़े क्या होते हैं और उनका महत्व क्या है?
क्या होता है अखाड़ा
मान्यता है कि आदि गुरु शंकराचार्य ने देश के चार कोणों में धर्म की स्थापना के लिए मठ स्थापित किए थे। यह चार जगह बद्रीनाथ, रामेश्वरम, जगन्नाथ पुरी और द्वारका पीठ है। इन्हीं मठों को अखाड़ा कहा जाने लगा। इसको लेकर शंकराचार्य ने सुझाव दिया था कि मठ, मंदिरों और श्रद्धालुओं की सुरक्षा के लिए जरूरत पड़ने पर इनका इस्तेमाल किया जा सकेगा। इसी के बाद मठों में साधु संत कसरत करके शरीर को मजबूत बनाते रहे और हथियार चलाने की शिक्षा लेने लगे। अखाड़ों में साधु संत का वह समूह होता है जो आध्यात्मिक ज्ञान के साथ-साथ शस्त्र विद्या में भी निपुण होता है। हालांकि आजादी के बाद अखाड़ों ने अपने सैन्य चरित्र को त्यागा और भारतीय संस्कृति तथा सनातनी दर्शन के मूल्यों को आगे बढ़ाने के लिए काम करने लगे।
देश में 13 अखाड़े हैं
शुरुआत में तो कुल 4 अखाड़े थे। हालांकि बाद में वैचारिक मतभेद के कारण अखाड़ों का बंटवारा हुआ। वर्तमान में देखें तो देश में कुल 13 अखाड़े हैं। इन 13 अखाड़ों का भी 3 मतों के अनुसार किया गया है। यह तीन मत है शैव संप्रदाय, वैरागी वैष्णव संप्रदाय, और उदासीन संप्रदाय। हालांकि अखाड़ों में वर्चस्व के लिए समय-समय पर जंग रही है। इसी से निपटने के लिए 1954 में अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद का स्थापना किया गया था। अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद 13 अखाड़ों के कुंभ व अर्ध कुंभ में स्नान का वक्त और उनके जिम्मेदारी को तय करता है। अखाड़ों में सबसे प्रमुख अखाड़े के रूप में निरंजनी अखाड़ा के गिनती होती है।
कितनी है संपत्ति
अखाड़ों को सरकार की ओर से विशेष सुविधाएं दी गई है। अखाड़ों का इतिहास काफी पुराना है। इसी वजह से उनके पास काफी जमीन भी हैं। कई अखाड़े मंदिरों का संचालन करते हैं इसकी वजह से चंदा के रूप में इन्हें करोड़ों मिलता है। अखाड़ों में लाखों लोगों की आस्था होती है। साथ ही साथ अखाड़ों का अपना राजनीतिक रसूख होता है। अखाड़ों के साधु संत प्रवचन में जाते हैं। ऐसे में विशेष सम्मान हासिल होता है।