By प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क | Mar 25, 2022
नयी दिल्ली। बांग्लादेश के एक कॉलेज से एमबीबीएस कर रही एक युवा कश्मीरी लड़की का उच्चतम न्यायालय ने शुक्रवार को समर्थन किया जिसकी वित्तीय सहायता इसलिए रोक दी गई क्योंकि उसने दूसरे कॉलेज में प्रवेश ले लिया था। शीर्ष अदालत ने कहा, ‘‘हमें जम्मू-कश्मीर के युवाओं को शिक्षित करके बढ़ावा देने की जरूरत है।’’ न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति सूर्यकांत की पीठ ने लड़की मुबशीर अशरफ भट को वित्तीय सहायता जारी करने के उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ जम्मू-कश्मीर प्रशासन की अपील खारिज कर दी। शीर्ष अदालत ने कहा, ‘‘अपील पर विचार करने का मतलब ऋण वितरण से इनकार करना होगा, जो मूल रूप से एक अलग संस्थान में उसके अध्ययन के लिए स्वीकृत किया गया था।
हमारा विचार है कि संविधान के अनुच्छेद 136 के तहत अधिकार क्षेत्र का प्रयोग तब उचित नहीं होगा, जब याचिका पर विचार करने का परिणाम जम्मू-कश्मीर की एक छात्रा के शैक्षिक करियर को काफी हद तक प्रभावित करेगा।’’ पीठ ने कहा, ‘‘इसलिए हम केवल इस आधार पर और कानून के सवाल पर कोई राय व्यक्त किए बिना याचिका पर विचार करने से इनकार करते हैं, जिसे उठाए जाने की मांग की गई है। कानून के सवाल को उचित मामले में तय करने के लिए खुला रखा गया है। विशेष अनुमति याचिका खारिज की जाती है।’’ शुरुआत में, न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने कहा, वह बांग्लादेश के एक कॉलेज से एमबीबीएस कर रही एक छात्रा है। हां, उसकी ओर से गलतियां हैं, लेकिन हम सभी ने अपने युवा दिनों में गलतियां की हैं।’’
न्यायमूर्ति सूर्य कांत ने केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर के वकील से कहा, ‘‘कश्मीरी युवाओं को मुख्यधारा में लाने की जरूरत है। हमें जम्मू-कश्मीर के युवाओं को शिक्षित करके उन्हें बढ़ावा देने की जरूरत है। आप युवा लड़की को उसके शैक्षणिक करियर से वंचित करना चाहते हैं।’’ न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने कहा कि जम्मू-कश्मीर प्रशासन की अपील पर विचार करने से उसका शैक्षिक करियर पर नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा। जम्मू-कश्मीर प्रशासन के लिए स्थायी वकील तरुना प्रसाद ने कहा कि कानून के पर्याप्त प्रश्न हैं क्योंकि विश्वास का उल्लंघन है। शीर्ष अदालत जम्मू-कश्मीर द्वारा भट के पक्ष में ऋण किस्त जारी करने के लिए जम्मू-कश्मीर महिला विकास निगम को निर्देश देने वाले उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ जम्मू-कश्मीर द्वारा दायर एक अपील पर सुनवाई कर रही थी। निगम ने 2018 में भट के पक्ष में स्वीकृत 30 लाख रुपये के ऋण की पहली किस्त जारी की थी, लेकिन बाद की राशि को इस आधार पर जारी करने से इनकार कर दिया था कि उसने कम्युनिटी बेस्ड मेडिकल कॉलेज, बांग्लादेश से ख्वाजा यूनुस अली मेडिकल कॉलेज, बांग्लादेश में अपना प्रवेश बदल दिया था। निगम द्वारा 6 लाख रुपये की पहली किस्त वापस मांगने और बाद की धनराशि जारी करने से इनकार करने पर भट ने उच्च न्यायालय का रुख किया था।
उसने दलील दी थी कि कम्युनिटी बेस्ड मेडिकल कॉलेज में सीटों की अनुपलब्धता के कारण उसे अपना प्रवेश बदलने के लिए मजबूर होना पड़ा था। दूसरी ओर, निगम ने कहा कि उसने कम्युनिटी बेस्ड मेडिकल कॉलेज के लिए राशि जारी की थी, लेकिन भट ने इसे बिना पूर्व सूचना के ख्वाजा यूनुस अली मेडिकल कॉलेज में स्थानांतरित कर दिया, जो कि ऋण के नियमों और शर्तों का उल्लंघन है। उच्च न्यायालय की खंडपीठ ने एकल-न्यायाधीश के आदेश को रद्द कर दिया था जिसने भट के खिलाफ फैसला सुनाया था।