बांग्लादेश के हालात से बहुत संतर्क रहना होगा

By अशोक मधुप | Aug 07, 2024

बांग्लादेश में महीनों से सुलग रही आरक्षण और सरकार विरोधी चिंगारी सोमवार को भीषण आग के रूप में फूटी। 300 लोगों की मौत के बाद सेना भी उग्र भीड़ को संभाल नहीं पाई। नतीजतन करीब डेढ़ दशक से बांग्लादेश की सत्ता पर काबिज प्रधानमंत्री शेख हसीना को जान बचाकर देश से भागना पड़ा है। शेख हसीना भागकर फिलहाल भारत आई हैं। सूत्रों का कहना है कि शेख हसीना लंदन जाने की तैयारी कर रही हैं। शेख हसीना ने इंग्लैंड की सरकार से शरण मांगी है। बांग्लादेश में हिंसक प्रदर्शन जारी है। अब प्रदर्शनकारियों ने देश के चीफ ऑफ जस्टिस के घर में घुसकर तोड़-फोड़ की है। प्रदर्शनकारियों ने घर में मौजूद कार, फर्नीचर के साथ घर का सारा समान लूट ले गए हैं। प्रदर्शनकारियों ने सोमवार को ढाका में इंडिया कल्चर सेंटर पर हमला बोला। साथ ही काली व इस्कॉन समेत देशभर में कम से कम चार मंदिरों में भी तोड़फोड़ की गई है। बांग्लादेश के अल्पसंख्यक डरे और सहमें हैं। वहां क्या हालात बनेंगे? वहां के अल्पसंख्यकों की सुरक्षा कैसे होगी, इस पर भारत को नजर रखनी होगी। ये भी देखना है कि सरकार कैसी बनता है?  उसका भारत के प्रति नजरिया कैसा होगा? नई  सरकार कहीं इस्लामिक कट्टरवाद को बढ़ावा  तो नही देगी। उसका रूख पाकिस्तान और चीन संमर्थक तो नहीं होगा? भारत को अपने देश की सीमा को पूरी तरह बंद रखना होगा, ताकि वहां के हालात से डरे नागरिक अपने भारत में न आ सकें।


1971 में बांग्लादेश को पाकिस्तान से आजादी दिलाने की लड़ाई में शामिल क्रांतिकारियों के परिवारों को सरकारी नौकरियों में दिए जा रहे आरक्षण को खत्म करने की मांग के साथ पिछले महीने विरोध प्रदर्शन शुरू हुआ। बांग्लादेश के सुप्रीम कोर्ट ने आरक्षण पर पहले ही अंतरिम रोक लगा दी थी। ऐसे में सवाल उठता है कि प्रदर्शनकारी आखिर फिर से इतने हिंसक होकर सड़कों पर क्यों उतर आए। असल में हिंसा की यह नई लहर तब शुरू हुई जब प्रदर्शनकारियों ने असहयोग का आह्वान किया। इसमें लोगों से कर या बिजली बिल का भुगतान न करने और रविवार को काम पर न आने का आग्रह किया गया। सोमवार को जब कार्यालय, बैंक और कारखाने खुले, तो प्रदर्शनकारियों ने लोगों को काम पर जाने से रोकना शुरू कर दिया। सेना ने प्रदर्शनकारियों से निपटने के लिए गोलियां चलानी शुरू कर दी। प्रदर्शनकारियों ने एक दिन पहले लगाए गए कर्फ्यू की परवाह किए बिना ढाका में प्रधानमंत्री आवास पर धावा बोल दिया। प्रदर्शनकारियों ने ढाका के शाहबाग इलाके में स्थित एक प्रमुख सार्वजनिक अस्पताल बंगबंधु शेख मुजीब मेडिकल यूनिवर्सिटी पर हमला किया है। प्रदर्शनकारियों ने जगह-जगह सत्तारूढ़ पार्टी के कार्यालयों व वाहनों में भी आग लगा दी।

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सुप्रीम कोर्ट ने आरक्षण पर रोक के बावजूद प्रदर्शनकारी प्रधानमंत्री शेख हसीना इस्तीफे पर अड़े रहे। 14 जुलाई को बतौर प्रधानमंत्री शेख हसीना ने कहा था, स्वतंत्रता सेनानियों के पोते-पोतियों को आरक्षण का लाभ नहीं मिलेगा। इस पर प्रदर्शनकारियों ने कहा कि क्या आरक्षण का लाभ रजाकारों के पोते-पोतियों को मिलेगा। प्रदर्शनकारी छात्रों ने इस बयान के बाद, ‘तुई के, अमी के रजाकार, रजाकार’ के नारे लगाने शुरू कर दिए और हिंसा ज्यादा भड़क गई।


बांग्लादेश मुक्ति संग्राम के दौरान पाकिस्तानी सेना द्वारा गठित रजाकार क्रूर अर्धसैनिक बल था। रजाकारों ने मुक्ति संग्राम में शामिल स्वतंत्रता सेनानियों और आम लोगों के खिलाफ अत्याचार किया। आज भी यह शब्द वहां अपमानजनक माना जाता है। इसका इस्तेमाल देशद्रोहियों और अत्याचारियों के लिए किया जाता है।


बांग्लादेश में उथल-पुथल व तख्तापलट का इतिहास 1975 से शुरू होता है।हसीना के पिता और देश के पहले प्रधानमंत्री शेख मुजीबुर रहमान की उनके परिवार के ज्यादातर सदस्यों की हत्या कर दी गई। जनरल जियाउर रहमान ने सत्ता पर कब्जा किया। 1981 गेस्ट हाउस में घुसकर विद्रोहियों ने जियाउर रहमान की हत्या की। हालांकि, सेना का बड़ा तबका वफादार होने से तख्तापलट नाकाम रहा। 1982 रहमान के उत्तराधिकारी अब्दुस सत्तार को हुसैन मुहम्मद इरशाद के नेतृत्व में सत्ता से बेदखल कर दिया गया। इरशाद राष्ट्रपति बन गए। 2007 सेना प्रमुख ने एक कार्यवाहक सरकार का समर्थन किया, जो 2009 तक सत्ता पर काबिज रही। 2009 अर्धसैनिक बलों का विद्रोह.. में 70 लोगों की हत्या, इनमें से अधिकांश सैन्य अधिकारी थे।2012 सेना ने कहा, शरिया या इस्लामी कानून से प्रेरित तख्तापलट के प्रयास को विफल कर दिया है।

स्पष्टतौर पर बांग्लादेश में सुलग रही हिंसा के केंद्र में आरक्षण है। बांग्लादेश की जनसंख्या17 करोड़ है और देश में लगभग 3.2 करोड़ युवा बेरोजगार हैं।1971 के बांग्लादेश मुक्ति संग्राम में शामिल लोगों के वंशजों को मिल रहे आरक्षण को खत्म करने के लिए छात्र मांग कर रहे हैं। इसी के खिलाफ विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं। बांग्लादेश मुक्ति संग्राम में शामिल रहे लोगों के वंशजों को 30 फीसदी आरक्षण दिया जाता है। 10 फीसदी आरक्षण महिलाओं के लिए भी है।


अल्पसंख्यकों को धर्म के आधार पर पांच प्रतिशत व विकलांगों को एक फीसदी आरक्षण का प्रावधान है। पिछड़े जिलों में रहने वालों को 10 प्रतिशत आरक्षण मिलता है।बांग्लादेश में बेरोजगारी से परेशान युवक इस आरक्षण का विरोध कर रहे हैं।


बांग्लादेश के सेना प्रमुख जनरल वकार, हसीना के रिश्ते में बहनोई हैं। सेना प्रमुख जनरल वकार वहां सबसे अहम चेहरा बनकर सामने आए हैं। उन्होंने ही शेख हसीना के देश छोड़कर जाने और इस्तीफे का एलान किया। 20 दिसंबर, 1985 को बांग्लादेश की सेना में शामिल हुए जनरल वकार की छवि एक बेहद अनुशासित अधिकारी की रही है। जानकारों का मानना है कि हसीना का बांग्लादेश छोड़कर जाना और वकार का कमान संभालना एक सोचा-समझा निर्णय है। शेख हसीना के देश छोडने के बाद देश के सेना प्रमुख ने कहा है कि वो सभी से बातचीत करके देश में अंतरिम सरकार बनवाएंगे! बांग्लादेश में तख्तापलट से पहले सत्तारूढ़ रही आवामी लीग पार्टी ने आरोप लगाया है कि देशव्यापी हिंसक प्रदर्शन के पीछे बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (बीएनपी) का हाथ है। आवामी लीग के मुताबिक आरक्षण पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद भी प्रधानमंत्री शेख हसीना के इस्तीफे की मांग दिखाती है कि विरोध-प्रदर्शनों के पीछे असल में छात्र नहीं, देश के मुख्य विपक्षी राजनीतिक दल- बीएनपी और प्रतिबंधित संगठन- जमात-ए-इस्लामी की रणनीति है। इनका मकसद किसी भी तरह से देश की सत्ता हासिल करना है। 


बांग्लादेश में देशव्यापी आंदोलन के कारण राजनीतिक अस्थिरता का माहौल है। देश के राष्ट्रपति ने कहा है कि संसद भंग कर अंतरिम सरकार बनाई जाएगी। राष्ट्रपति ने विपक्षी नेता खालिदा जिया को रिहा करने का आदेश दिया है। खालिदा जिया विपक्षी बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (बीएनपी) की प्रमुख हैं और 1991-96 और 2001-06 के दौरान दो बार प्रधानमंत्री रह चुकी हैं। राष्ट्रपति बोले- खालिदा जिया की रिहाई के बाद अंतरिम सरकार का गठन होगा।


बांग्लादेश के प्रदर्शनकारी नेताओं ने सोमवार को छात्रों से यह सुनिश्चित करने का आह्वान किया कि प्रधानमंत्री शेख हसीना के पद से हटने के बाद देश में पैदा हुए हालात में किसी को भी लूटने का मौका न मिले, और उनसे अपनी मांगें होने तक शांतिपूर्ण तरीके से विरोध करने का आग्रह किया। 


बांग्लादेश में उथल-पुथल के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में सुरक्षा पर कैबिनेट समिति की बैठक हुई है। जिसमें विदेश मंत्री एस. जयशंकर प्रधानमंत्री मोदी के पड़ोसी देश के हालात पर जानकारी दी है। देखना यह है कि बांग्ला देश में अब किसकी सरकार  बनती है।उसका भारत के प्रति रूख कैसा होता है? नई सरकार भारत समर्थक होगी या कट्टर इस्लाम का रास्ता स्वीकार कर पाकिस्तान को अपना आका मानेगी।हालाकि बांग्लादेश के सेना प्रमुख जनरल वकार शेख  हसीना के नजदीकी और रिश्ते में बहनोई लगतें हैं। उनसे उम्मीद है कि बांग्ला देश शेख  हसीना के पद चिंहों पर चलेगा, किंतु वहां के राष्ट्रपति का रूख अभी  देखना होगा।उसी रूख के आधार पर भारत को  अपनी नई नीति बनानी होगी।


- अशोक मधुप

(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं)

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