हम किसी भी धर्म, जाति या समाज के लोग का विरोध नहीं करते- मगनभाई पटेल

By प्रेस विज्ञप्ति | Dec 12, 2024

गुजरात के शैक्षिक,सामाजिक संगठनों के कार्यक्रम में गुजरात के अग्रिम उद्योगपति श्री मगनभाई पटेलने हिन्दू संस्कृति के ऊपर अपने बयान में कहा की हम कई उच्च गुणवत्तावाली किताबें लिखते हैं जो सामाजिक, राजनीतिक और आर्थिक जीवन के हर क्षेत्र में लोगों के लिए उपयोगी होती हैं लेकिन वे कहानियों के रूप में हमें लगती हैं। जबकि कई सेवा प्रकल्प संगठनात्मक स्तर या व्यक्तिगत स्तर पर तो किये जाते हैं लेकिन उन्हें पुस्तक रूप में नहीं रखा जा सकता।इस पुस्तक में उल्लिखित सभी सेवाकिय प्रकल्प देश एवं दुनिया के लोगों के लिए सेवा कार्य करने की प्रेरणारूप हो सकते हैं।

 

अपने जीवनकाल में मैंने राजनीतिक,सामाजिक,स्वास्थ्य,शिक्षा,कृषि,रोजगारोन्मुखी जैसे अनेक क्षेत्रों मे परिणामोन्मुख कार्य किये हैं, इसके अलावा १९६७ से लेकर अब तक मैंने गरीब एवं विकर सेक्शन के लोगों के लिए अनेक विकासात्मक कार्य किये हैं। आदिवासि एव उद्योगों में काम करनेवाले श्रमिकों के परिवारों को मुख्यधारा में लाने का जो अवसर मिला है,उससे एक आत्मसंतोष है। आज भी ८३ साल की उम्र में मैं इस क्षेत्र को प्रतिदिन १० घंटे देता हूं और अपनी कमाई का अधिकांश हिस्सा इस क्षेत्र के अन्य लोगों को प्रेरित करने के लिए देता हूं। सरकार प्लानिंग कर सकती है और हम सरकार की मदद करेंगे तो सरकार कानून व्यवस्था बनाए रख सकती है लेकिन अगर हम कानून तोड़ेंगे तो आनेवाली पीढ़ी हमें कभी माफ नहीं करेगी। मेरे इस सेवाकार्यमे मेरी धर्मपत्नी शांताबेन मगनभाई पटेल (उम्र ८२ वर्ष) भी शामिल हैं। वह कई सामाजिक संगठनों में उच्च पदों पर दानदाता ट्रस्टी के रूप में भी काम कर रही हैं, जो मेरा अहोभाग्य है।

 

वर्ष १९६७ से सौराष्ट्र पटेल सेवा समाज के संस्थापक सचिव, उपाध्यक्ष और आज अध्यक्ष के रूप में, मुझे कई वर्षों तक स्कूल,कॉलेज,प्रशिक्षण केंद्र जैसे कई संस्थानों में अध्यक्ष और प्रबंध ट्रस्टी होने के रूप में रहने का अवसर मिला है। इसके अलावा मुझे भारत सरकार एव राज्य सरकार में वित्त मंत्रालय,एम.एस.एम.ई मंत्रालय और आर.बी.आई की विभिन्न समितियाँ जैसे की उद्योग, स्वास्थ्य,शिक्षा,वित्त जैसी समितियाँमे उच्च पदों पर १५ वर्षों तक सेवा करने का जो अवसर मिला है उससे मै अपनी पहचान बना सका हु।

 

हमारे आस-पास की सभी चीजें जैसे मनुष्य,पशु,पक्षी,जीव-जंतु,पौधे,जल,पृथ्वी,आकाश सभी प्रकृति द्वारा निर्मित हैं जिन्हें बनाए रखना और उसे नष्ट न होने देना हम सब की जिम्मेवारी है, इसके लिए हम सभी कुदरत के ऋणी है। आज हम जन्म देनेवाली माँ और पालन-पोषण करनेवाले पिता की भी मर्यादा नहीं रख सकते। यदि हम धर्मग्रंथों को पढ़कर,कथावाचकों को सुनकर अपना कर्तव्य समझेंगे तो हमारी अगली पीढ़ी भी उनका अनुकरण अवश्य करेगी।

 

भारतीय संस्कृति का अर्थ है जानवरों के प्रति दयालु होना और काम,क्रोध,मद,लोभ,मोह को काबू में रखकर सत्य-अहिंसा,त्याग,सहनशक्ति जैसे अनेक हिन्दू संस्कृति के जो स्लोगन है उन्हें संभाले रखना हम सभी का दायित्व है। अधिकार और कर्तव्य एक ही सिक्के के दो पहलू हैं, हमारा अधिकार दूसरे का कर्तव्य है, दूसरे का कर्तव्य हमारा अधिकार है। हमें किसी भी धर्म के प्रमुख,सामाजिक अग्रणी,राजनीतिक नेता जैसे लोगों का सम्मान करना चाहिए जो एक हिंदू संस्कृति के रूप में हमारा कर्तव्य है।इस संस्कृति को लगभग ८०० वर्षों तक विदेशी मुसलमानों द्वारा तथा २०० वर्षों तक अंग्रेजों के साथ जुड़े कुछ खांडियन राजा द्वारा करीब १००० वर्षों तक इस संस्कृति को नष्ट करने का प्रयास किया गया,परंतु इस विरासत को हमारी संस्कृति के संरक्षकों ने धर्म के रूप में सुरक्षित रखा और आंच भी नहीं आने दी। आज के वैश्वीकरण के युग में इस संस्कृति को संरक्षित करना कठिन है, इसलिए इसे राजनीतिक रूप से प्राथमिकता देनी होगी और कानून का रूप देकर उसका पालन करना होगा।

 

"वसुधैव कुटुम्बकम्" अर्थात् पृथ्वी पर रहनेवाला प्रत्येक मनुष्य हमारा परिवार है, यह बात केवल हिन्दू संस्कृति ही कह सकती है। इस संस्कृति को नष्ट करने के जितने भी प्रयास मुसलमानों ने किये वे सभी भारतीय संस्कृति के मुसलमान नहीं बल्कि विदेशी मुसलमान और मुगल सल्तनत के थे,महंमद गज़नी,महंमद घोरी जैसे बादशाहो एव मुगलोने सात पीढ़ी तक राज किया था। यह लोग भारतीय मुसलमानो को मुसलमान समजते ही नहीं थे क्यू की उनमे से कई धर्मान्तर कर के हिन्दू मे से मुस्लिम बन गए थे। यह सभी विदेशी मुसलमान भारत में रहनेवाले हिंदू,मुस्लिम,सिख,ईसाई सभी धर्मों को नुकसान पहुंचानेवाले एक प्रकार के लुटेरे थे जिन्होंने देश की संपत्ति लूट ली और अव्यवस्था फैला दी। जबकि कुछ भारतीय मुसलमानोंने भारत की आजादी में शहादत देकर देश की संस्कृति के प्रति अपनी निष्ठा प्रस्थापित की है। भारतीय मुसलमान भारतीय संस्कृति का अपमान नहीं करते और आतंकवाद जैसी देशद्रोही गतिविधियों का समर्थन भी नहीं करते उन्हें ऐसी गतिविधियों में शामिल भी नहीं होना चाहिए। भारतीय मुसलमानों को यह समझना चाहिए कि जब देश का विभाजन हुआ तब पाकिस्तान में करीब १८ प्रतिशत हिंदू थे,जो सताये गये, प्रताड़ित किये गये और अपना धन-संपत्ति छोड़कर पलायन कर गये और वहां आज हिंदू आबादी करीब २ फीसदी जितनी ही बची हैं। इसी तरह बांग्लादेश जो कि पाकिस्तान का हिस्सा था, उसके साथ भी अन्याय हुआ,तब बांग्लादेश बनाने के लिए उस समय की भारत सरकारने सैन्य और आर्थिक बलिदान दिया है। बांग्लादेश में आज भी हिंदुओं पर अत्याचार कर उन्हें बाहर निकाला जा रहा है और हिंदू धार्मिक स्थलों को नष्ट किया जा रहा है इसके लिए बड़े एनजीओ को इस पर ध्यान देना चाहिए और भारत सरकार की मदद करनी चाहिए ।

 

देश आजाद होने के समय हिंदुस्तान में जितने मुसलमान थे,आज उनकी संख्या काफी बढ़ गई है और मुसलमानों को आज तक किसी भी समस्या का सामना नहीं करना पड़ रहा । हिंदुस्तान के मुसलमानों को समझना चाहिए कि यह देश आपका भी है, सरकार के कानूनों का पालन करें और देश के प्रति वफादार रहें और भारतीय संस्कृति को संरक्षित करने में मदद करें। भारतीय मुसलमानों को देश के उन धार्मिक स्थलों को पुनर्स्थापित करने में मदद करनी चाहिए जिन्हें औरंगजेब और अन्य मुगल सुल्तानोंने नष्ट कर दिया था।आज भारत में भारतीय मुस्लिम परिवार जिस स्वतंत्रता और सुरक्षा महसूस कर रहे हैं वह दुनिया के किसी भी बड़ी मुस्लिम आबादीवाले देश में नहीं है क्योंकि वहां लोकतंत्र नहीं है, लोगों को आज भी गुलामी अवस्था मे रखा जा रहा है और मानवाधिकारों उल्लंघन कर के कानून व्यवस्था बनाई गई है।आज दुनिया के कई मुस्लिम आबादीवाले देशों में इस प्रकार की परिस्थिति है।

 

देश जब आजाद हुआ तब देश के अधिकांश गरीब किसान और श्रमजीवी लोगो के शरीर कंकाल जैसे हो गये थे,भारतीयों की हालत जंगल के जानवरों जैसी हो गयी थी। उस समय की माँ १३-१४ बच्चों को जन्म देती थी, लेकिन पर्याप्त पोषण न मिलने के कारण ५ से ६ बच्चे ही जीवित रह पाते थे। यह एक काला इतिहास था,जिसे हमें हमारे पुरखों से जानने को मिला जिसे अगर आज याद किया जाए तो हम खाना भी नहीं खा पाएंगे। अंग्रेजोंने भारत का विभाजन कर देश की ९५ प्रतिशत जनता पर अमानवीय अत्याचार एवं झुलम किये,परन्तु इतिहास गवाह है कि हिन्दू संस्कृति को कोई आंच नहीं आई और सन् १९४७ में आजाद हिन्दुस्तान आज उसकी हिन्दू संस्कृति के कारण पुरे विश्व में अग्रिम स्थान पर है।

 

हमारे माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्रभाई मोदी जिन्हें अमेरिका जैसे देश ने विझा देने से इनकार कर दिया था और आज वही देश माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्रभाई मोदी का रेड कार्पेट पर स्वागत कर रहा है साथ ही दुनिया के १०० देशोंने उनके साथ विश्व शांति के लिए बैठक की है और अन्य देश बैठक करने के लिए उत्सुक हैं,जो इस देश की संस्कृति की ताकत को दर्शाता है। नरसिंह मेहता के लोकप्रिय भजन "वैष्णव जन तो तेने कहिए,जे पीड़ पराई जाने रे" को श्री नरेंद्रभाई मोदी साहबने वहा की सरकार के माध्यम से दुनिया के करीब  १२४ देशों में प्रस्तुत कर के हिन्दू संस्कृति का जो परचा दिखाया वो अन्यत्र कही देखने को नहीं मिल सकता। स्वामी विवेकानन्दने हिन्दू संस्कृति का प्रचार-प्रसार कर पूरे विश्व को स्तब्ध कर दिया,उसके बाद हमारी नजर में यदि कोई है तो वह हमारे माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्रभाई मोदी साहब हैं।इसके अलावा, हिंदू धर्म के प्रमुख,सामाजिक संगठन के प्रमुख और राजनीतिक प्रमुखोंने भी हिंदू संस्कृति का प्रचार किया है, लेकिन प्रभावी प्रचार का पूरा श्रेय  माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्रभाई मोदी साहब और उनकी टीम को जाता है।

 

आज अमेरिका में हिंदू मंदिरों में दर्शन करनेवाले अमरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंपने अपने कैबिनेट में भारतीय संस्कृति की महिला तुलसी गबार्ड को नियुक्त किया है, जो नेशनल इंटेलिजेंस की प्रमुख हैं। इसके अलावा भारतीय मूल की अन्य एक महिला उषा वेंस,जो अमरीका के उपराष्ट्रपति जे.डी वेंस की पत्नी हैं,उन्होंने दूसरी अमरिकी महिला बनकर भारत को गौरवान्वित किया है।इसके अलावा अमरिकी राष्ट्रपति चुनाव में उम्मीदवार रहीं कमला हैरिस भी भारतीय मूल की महिला हैं। भगवान हनुमान की मूर्ति उन कुछ वस्तुओं में से एक है जिसे अमेरिकी पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा हमेशा अपनी जेब में रखते हैं और जब भी वे थके हुए या हतोत्साहित महसूस करते हैं तो उनसे प्रेरणा लेते हैं।

 

भारत में हिंदू संस्कृतिने महिलाओं को राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री या किसी राज्य के मुख्यमंत्री जैसे उच्च पदों पर सम्मान दिया है और पूरे विश्व को नारी शक्ति का परिचय देकर देश और राज्य को गौरवान्वित किया है। जबकि अमेरिका जैसे देश में करीब २५० साल के इतिहास में एक भी महिला अमेरिका जैसे देश की राष्ट्रपति नहीं बन पाई है। इसके अलावा ब्रिटेन के पूर्व प्रधानमंत्री ऋषि शुनक भी हिंदू संस्कृति और हिंदू धर्मशास्त्र में अगाध आस्था रखते हैं। आज पूरे विश्व में स्थानीय लोग हिंदू मंदिरों में जाने लगे हैं और उन्होंने मांसाहार खाना बंद कर दिया है साथ ही संयुक्त परिवार की भावना को अपनाना शुरू कर दिया है।

 

आज हर क्षेत्र में करीब १० प्रतिशत लोग अपराधी,भ्रष्ट, देशद्रोही मानसिकतावाले हो सकते है लेकिन करीब ९० प्रतिशत लोगोंने मिल-बैठकर परिणामोन्मुख कार्य किया है, जिसके हम साक्षी हैं। मैं और मेरी विचारधारा से जुड़े सभी भारतीय प्रकृति के आभारी हैं कि भगवान ने मुझे और मेरे परिवार को हिंदुस्तान जैसे देश में जन्म देकर "माँ भारती" और उनकी संतानों की सेवा करने का अवसर दिया है।

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