By प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क | Jan 23, 2020
नयी दिल्ली। ‘सीएए’ को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर जवाब के लिए उच्चतम न्यायालय द्वारा केंद्र को चार हफ्ते का वक्त दिए जाने के बीच शाहीन बाग में प्रदर्शनकारियों ने बुधवार को कहा कि वे भी न्यायाधीशों के समक्ष अपना दृष्टिकोण रखना चाहते हैं कि संशोधित नागरिकता कानून कितना असंवैधानिक है। शाहीन बाग की निवासी तस्मीन बानो ने कहा कि चूंकि प्रदर्शन को एक महीने से ज्यादा हो चुके हैं इसलिए जब तक नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) वापस नहीं होता तब तक वे सभी वहां से नहीं हटेंगे।
अपनी एक साल की बेटी के साथ प्रदर्शन स्थल पर आयी बानो ने कहा, ‘‘हमने सुना है कि उच्चतम न्यायालय ने केंद्र को समय दिया है और तब तक वे सीएए पर रोक नहीं लगाऐंगे। हम भी अपना दृष्टिकोण साबित करने के लिए तैयार हैं और अदालत को बता सकते हैं कि संशोधित नागरिकता कानून कितना असंवैधानिक है।’’ हाथों में बाइबिल लिए हुए एक प्रदर्शनकारी एलेक्जेंडर फ्लेमिंग ने कहा कि केवल एक पक्ष को सुनना मुद्दे का समाधान नहीं है।
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उन्होंने कहा , ‘‘उन्हें (अन्य याचिकाकर्ताओं) भी सुने जाने की जरूरत है । हमें पूरा विश्वास है कि हम अपना रूख साबित कर देंगे कि संशोधित नागरिकता कानून कितना असंवैधानिक है।’’ उच्चतम न्यायालय ने बुधवार को स्पष्ट किया कि केन्द्र का पक्ष सुने बगैर संशोधित नागरिकताकानून (सीएए) के क्रियान्वयन पर रोक नहीं लगायी जायेगी। न्यायालय ने कहा कि इस कानून की वैधता के बारे में पांच सदस्यीय संविधान पीठ फैसला करेगी। पेशे से सॉफ्टवेयर डेवलपर तनवीर अख्तर ने कहा कि देश भर में पहले से 100 शाहीन बाग हैं । जब तक कानून वापस नहीं होता प्रदर्शनकारी एक इंच नहीं हटेंगे। एक अन्य प्रदर्शनकारी जेबा कसी ने आरोप लगाया कि सरकार इस प्रदर्शन को बदनाम करने का प्रयास कर रही है।
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