By अंकित सिंह | Aug 21, 2024
वक्फ (संशोधन) विधेयक, 2024 पर जारी राजनीतिक विवाद के बीच, भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने कहा कि यह विधेयक समय की मांग है। संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) गुरुवार (22 अगस्त) को पहली बार बैठक करने की तैयारी कर रही है, जिसमें हाल ही में संपन्न संसद सत्र के दौरान मोदी सरकार द्वारा पेश किए गए वक्फ (संशोधन) विधेयक पर चर्चा की जाएगी।
यह विधेयक भाजपा के लिए महत्वपूर्ण है और पार्टी के रणनीतिकार चाहते हैं कि इसे संसद के आगामी शीतकालीन सत्र में पारित कर दिया जाए। हालांकि, बहुत कुछ जेपीसी की रिपोर्ट पर भी निर्भर करता है। भाजपा को न केवल विपक्षी दलों को साथ लाना है, बल्कि चंद्रबाबू नायडू और चिराग पासवान जैसे सहयोगियों को भी विधेयक का समर्थन करने के लिए राजी करना है। नकवी ने कहा कि इस पूरी व्यवस्था (वक्फ बोर्ड की) को 'छूओ मत' की राजनीति से बाहर आना होगा। उन्होंने कहा कि सरकार वक्फ व्यवस्था को बेहतर बनाने के लिए यह विधेयक लेकर आई है।
विपक्षी दलों और कुछ सहयोगी दलों द्वारा उठाए गए सवालों का जवाब देते हुए नकवी ने कहा कि यह पहली बार नहीं है कि वक्फ कानूनों में संशोधन किया जा रहा है, पहले भी संशोधन किए गए थे। उन्होंने कहा कि कांग्रेस के कार्यकाल और अटल बिहारी वाजपेयी सरकार के दौरान संशोधन किए गए थे। सरकार द्वारा पेश किए गए विधेयक पर विस्तार से चर्चा, विचार-विमर्श और विश्लेषण होना चाहिए, इसीलिए इसे जेपीसी के पास भेजा गया है। जेपीसी एक संवैधानिक संस्था है और इसकी बैठकों में इस विधेयक पर खुले मन से चर्चा होनी चाहिए। किसी भी राजनीतिक दल के पास जो भी तर्क होंगे, वे जेपीसी की बैठकों में सामने आएंगे।
विधेयक को सांप्रदायिक रंग देने के ‘प्रयासों’ का विरोध करते हुए उन्होंने कहा कि इसे लेकर कई सवाल उठाए जा रहे हैं और भ्रम पैदा करने की कोशिश की जा रही है, इसलिए सभी पक्षों को ध्यान में रखते हुए इस पर गहन चर्चा के लिए इसे जेपीसी के पास भेजा गया है। उन्होंने कहा कि यह संशोधन समय की मांग है और यह नहीं माना जाना चाहिए कि किसी पर हमला किया जा रहा है या यह विधेयक किसी के खिलाफ है।