देश व समाज हित में बिना प्रलोभन मतदान जरूरी

By दीपक कुमार त्यागी | Feb 09, 2022

भारत एक लोकतांत्रिक व्यवस्था को मानने वाला देश है, जिसकी सबसे बड़ी खूबी यह है कि देश का राजकाज चलाने के लिए खुद जनता ही चुनावों के माध्यम से अपने-अपने पसंदीदा राजनेताओं के पक्ष में बिना किसी जोर दबाव के पूर्ण स्वतंत्रता के साथ मतदान करके वोटों की ताकत के माध्यम से उनका चयन करती है, वोटों के माध्यम से जनता को मिली देश व प्रदेश का भाग्य विधाता तय करने की यही ताकत ही लोकतांत्रिक व्यवस्था की सबसे बड़ी खूबी है। उस प्रक्रिया का निर्वहन करने के लिए आजकल देश में पांच राज्यों में विधानसभा चुनावों की प्रक्रिया चल रही है। वैसे भी देखा जाये तो चुनावों का यह समय लोकतांत्रिक व्यवस्था को मानने वाले हमारे देश के लिए एक महापर्व के समान है, जिसके माध्यम से हम लोग अपना आज व अपने बच्चों का उज्ज्वल भविष्य तय करने के लिए किसी एक प्रत्याशी के पक्ष में मतदान करके उसका चयन करते हैं। लेकिन जिस तरह से धीरे-धीरे हम लोगों के रोजमर्रा के व्यवहार व आचरण में विभिन्न प्रकार की कुरीतियां आती जा रही हैं, उससे देश की लोकतांत्रिक व्यवस्था भी अछूती नहीं रही है। आज हालात यह हो गये हैं कि हमारे देश में चंद सत्तालोलुप नेताओं व विभिन्न प्रलोभन में अपना मत देने वाले चंद वोटरों की क्षणिक स्वार्थी सोच से देश में चुनावों के माध्यम से अच्छे लोगों के चयन की प्रक्रिया प्रभावित होती जा रही है।

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"चंद लोगों की स्वार्थपूर्ण सोच का प्रभाव हमारे देश की लोकतांत्रिक व्यवस्था पर स्पष्ट रूप से नज़र आने लगा है, देश में चुनावों के समय कुछ क्षेत्रों में विभिन्न प्रकार के फ्री गिफ्ट, शराब, पैसा आदि के क्षणिक प्रलोभनों में आने के चलते, चंद लोगों के द्वारा मतदान करते समय देश व सभ्य समाज के लिए बेहद घातक भ्रष्टाचारी, अपराधियों व चरित्रहीन जैसे गलत लोगों तक का चयन कर लिया जाता है, जो देश व समाज हित में उचित नहीं है, यह स्थिति हमारे देश के ईमानदार नेताओं व मतदाताओं के हक को प्रलोभनों के दम पर चंद गलत लोगों के द्वारा बंधक बनाने का प्रयास है।"


हालांकि देश के चंद राजनेताओं व चंद लोभी मतदाताओं के द्वारा उत्पन्न की जाने वाली यह स्थिति हमारे सभ्य समाज व देश की सबसे बड़ी ताकत लोकतांत्रिक व्यवस्था के लिए एक बहुत बड़ा खतरा है, चंद दुस्साहसी राजनेता चुनाव आयोग द्वारा तय किये गये नियम कायदे कानूनों के दायरे को तोड़कर चंद मतदाताओं को गुपचुप तरीकों से विभिन्न प्रकार के फ्री के प्रलोभनों को देकर के चुनाव प्रणाली को प्रभावित करके भ्रष्ट व आपराधिक प्रवृत्ति के प्रत्याशियों को जितवाने का कार्य कर देते हैं। निष्पक्ष रूप से आकंलन करें तो आज स्थिति यह हो गयी है कि लोकतांत्रिक व्यवस्था को देश के चंद भ्रष्ट व अपराधी अपनी आकूत दौलत के बलबूते गिरवी बनाकर रखने का दुस्साहस कर रहे हैं। देश के कुछ अतिमहत्वाकांक्षी लोगों ने राजनीति को समाजसेवा की जगह स्वयंसेवा की सेवा का जरिया बनाकर राज का आनंद लेने का माध्यम बना लिया है, इस लाभ को उठाने के लिए चंद लोग देश व समाज हितों से कदम-कदम पर गड़बड़झाला करके अपना हित साध रहे हैं।


लोकतांत्रिक व्यवस्था में देश व समाज के समुचित सर्वांगीण विकास के लिए जनता के द्वारा चुने गये प्रत्याशी का अनमोल योगदान होता है, इसलिए हमारे देश के नीति निर्माताओं ने चुनावों की प्रथम सीढी ग्राम पंचायत से लेकर के राष्ट्रपति तक के चुनावों के लिए नियम-कायदे-कानूनों को बनाने का कार्य किया था। लेकिन जिस तरह से कुछ राजनीतिक दलों व चंद राजनेताओं ने हर स्तर की सत्ता पाने की हनक में चुनावों में नियम-कायदों-कानून को ठेंगा दिखाकर अपना हद से ज्यादा हस्तक्षेप करना शुरू कर रखा है, यह स्थिति देश-समाज और हमारे देश की लोकतांत्रिक व्यवस्था के लिए ठीक नहीं है। आज के दौर में कुछ बेहद महत्वाकांक्षी भ्रष्ट लोगों के चुनावों में भाग लेने की वजह चुनाव आयोग की सख्ती के बाद भी चुनावों के हालात आकंठ भ्रष्टाचार में डूबने वाले बन गये हैं, लेकिन सबसे बड़ी चिंता की बात तब हो जाती है जब चंद मतदाता भी अपना ईमान बेचकर भ्रष्टाचारियों व अपराधियों के पक्ष में मतदान करके उनका चयन कर लेते हैं, इस हालात को देखकर देश के ईमानदार व देशभक्त व्यक्तियों को बहुत ज्यादा अफसोस होता है। जिस तरह से कुछ लोग ताकत के अहंकार में चूर होकर चुनाव प्रक्रिया में जनता के मतों को भी खरीद कर हर हाल में हासिल करना चाहते हैं, यह स्थिति हमारे देश की स्वस्थ्य लोकतांत्रिक व्यवस्था के लिए बहुत ही ज्यादा घातक व भयावह है, लेकिन फिर भी देश के बहुत सारे दिग्गज राजनेताओं का इस तरह के भ्रष्ट लोगों को ना जाने क्यों मौन समर्थन है। देश में होने वाले हर स्तर के चुनावों में जिस तरह से धनबल-बाहुबल का उपयोग हो रहा है, वह हमारे सभ्य समाज व देश के नियम-कायदे-कानून के अनुसार बिल्कुल भी उचित नहीं है, देश में किसी भी स्तर की राजनीति के लिए यह माहौल बिल्कुल भी ठीक नहीं है। लेकिन फिर भी देश के अधिकांश राज्यों में धीरे-धीरे हालात यह होते जा रहे हैं कि राज्य का सिस्टम केवल सत्ता पक्ष के हाथों की कठपुतली मात्र बनकर उनकी सुविधानुसार चुनावों में आँखों को मूंद कर कार्य करता रहता है या फिर यह सभी चुपचाप हालात से अंजान बनकर तमाशबीन बनकर खड़े होकर आराम से तमाशा देखते रहते हैं, जो कि निष्पक्ष चुनाव व्यवस्था के लिए बहुत खतरनाक संदेश है।

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इस हालात को देखकर देश के ईमानदार लोगों को बहुत ज्यादा पीढ़ा होती है, क्योंकि उन्होंने देश के विकास के लिए ईमानदारी से टैक्स देकर देश चलाने के लिए सरकार की तिजोरी भरने का कार्य किया था, लेकिन चंद भ्रष्ट लोगों के चलते ऐसे ईमानदार लोगों के साथ कदम-कदम पर धोखा हो जाता है। लेकिन अब वह समय आ गया है कि जब देश व समाज के हित में और हर स्तर की चुनावी व्यवस्था को सुधारने के लिए सभी राजनीतिक दलों व देश के कर्ताधर्ताओं को चुनावों में भ्रष्टाचार को रोकने के लिए धरातल पर वास्तविक पहल करनी होगी, चुनावों में नियम-कायदे-कानून का दिल से सम्मान करते हुए हर हाल में पालन करना होगा, चुनावों में फ्री का माल उड़ाने के लिए हर वक्त तत्पर रहने वाले मतदाताओं के एक बड़े वर्ग को भी हरहाल में सुधरना होगा और भविष्य में होने वाले हर स्तर के चुनावों में धनबल व बाहुबल से प्रभावित हुए बगैर अच्छे ईमानदार लोगों का चुनावों में साथ देकर उन्हें विजयी बनाने का संकल्प लेना होगा, तब ही वास्तव में देश में लोकतांत्रिक व्यवस्था की रक्षा होगी और अपराध व भ्रष्टाचार में कमी होगी, साथ ही भविष्य में देश में टैक्स देने वाली जनता के धन का पूर्ण ईमानदारी से उपयोग होगा और देश का समुचित सर्वांगीण विकास होगा, इसलिए यह प्रत्येक नागरिक का कर्तव्य है कि वह देश व समाज हित में प्रलोभन में आये बिना अच्छे ईमानदार लोगों के पक्ष में मतदान करके उनका चयन करके देश को विकास के पथ पर निरंतर आग्रसित रखें।


- दीपक कुमार त्यागी

वरिष्ठ पत्रकार व राजनीतिक विश्लेषक

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