By अंकित सिंह | Aug 05, 2022
यह है वोटों की संख्या
उपराष्ट्रपति चुनाव में कुल 788 वोट डाले जा सकते हैं। इसमें 543 लोकसभा के सांसद और 243 राज्यसभा के सांसद वोट कर सकते हैं। यह गौर करना भी जरूरी है कि राज्यसभा में 12 मनोनीत सदस्य भी होते हैं। ऐसे में चुनाव जीतने के लिए 394 वोटों का मिलना जरूरी होता है। वर्तमान में देखें तो भाजपा के पास सांसदों की कुल संख्या लोकसभा में 303 है। वहीं राज्यसभा में 93 हैं। भाजपा अपने दम पर यह आंकड़ा पार कर रही है। इसके अलावा जगदीप धनखड़ को नवीन पटनायक की पार्टी बीजू जनता दल, नीतीश कुमार की पार्टी जनता दल यूनाइटेड, वाईएसआर कांग्रेस, बहुजन समाज पार्टी, एआईएडीएमके जैसे दलों का समर्थन हासिल है।
बंटा हुआ विपक्ष
राष्ट्रपति चुनाव की ही तरह उपराष्ट्रपति चुनाव में भी विपक्ष की एकजुटता दिखाई नहीं दे रही है। ममता बनर्जी के नेतृत्व वाली तृणमूल कांग्रेस ने पहले ही उपराष्ट्रपति चुनाव से दूर रहने का फैसला किया है जिसके बाद से जगदीप धनखड़ के लिए आंकड़े और भी मजबूत हो गए हैं। इसके अलावा मायावती, चंद्रबाबू नायडू और वाईएसआर कांग्रेस जैसे विपक्षी दल भी एनडीए उम्मीदवार का समर्थन कर रहे हैं। ममता बनर्जी ने तो यह भी आरोप लगा दिया था कि बिना किसी चर्चा के उपराष्ट्रपति उम्मीदवार के नाम का ऐलान विपक्ष की ओर से किया गया था। कुछ ऐसा ही आरोप बहुजन समाज पार्टी की ओर से भी लगाया गया था। हालांकि, मार्केट अगला को कांग्रेस, एनसीपी, उद्धव गुट की शिवसेना, समाजवादी पार्टी, तेलुगू देशम पार्टी जैसे दलों का समर्थन हासिल है। उपराष्ट्रपति चुनाव के लिए दोनों ही उम्मीदवारों की ओर से विभिन्न राजनीतिक दलों से समर्थन मांगा गया था। दोनों की ओर से इसके लिए अपने-अपने तारीख कभी रखे गए थे।
दिलचस्प है मुकाबला
आपको बता दें कि संसद भवन में मतदान सुबह 10:00 बजे से शुरू होकर शाम 5:00 बजे तक चलेगा। इसके तुरंत बाद वोटों की गिनती हो सकेगी और देर शाम इसके नतीजे भी आ जाएंगे। एनडीए उम्मीदवार जगदीप धनखड़ पश्चिम बंगाल के राज्यपाल रह चुके हैं। वहीं मार्गरेट अल्वा राज्यपाल के तौर पर राजस्थान में काम कर चुकी हैं। जगदीप धनखड़ राजस्थान के प्रभावशाली जाट समुदाय से आते हैं और उनकी पृष्ठभूमि भी समाजवादी की रही है। मार्गरेट अल्वा भी कांग्रेस के वरिष्ठ नेता रही हैं। वह केंद्र में मंत्री भी रह चुकी हैं। कुल मिलाकर देखें तो अगर जगदीप धनखड़ उपराष्ट्रपति चुनाव में जीत हासिल कर लेते हैं तो यह पहला मौका होगा जब लोकसभा और राज्यसभा के सभापति दोनों ही राजस्थान से होंगे। आपको बता दें कि उपराष्ट्रपति राज्यसभा के पदेन सभापति भी होते हैं।