Prabhasakshi Exclusive: Ukraine और Zelensky की कंगाली देखकर खुश हो रहे हैं Vladimir Putin, पूरे यूक्रेन पर जल्द ही लहरा सकता है रूसी झंडा

By नीरज कुमार दुबे | Dec 16, 2023

प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क के खास कार्यक्रम शौर्य पथ में इस सप्ताह हमने ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) से जानना चाहा कि रूस-यूक्रेन युद्ध में ताजा स्थिति क्या है? हमने कहा कि रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने तो स्पष्ट कर दिया है कि जीत हासिल होने तक लड़ाई जारी रहेगी लेकिन दूसरी ओर यह भी दिख रहा है कि यूक्रेनी राष्ट्रपति को विदेशों से मिलने वाली मदद कम हो चुकी है या बंद होने वाली है। ऐसे में क्या यह युद्ध जल्द ही दम तोड़ देगा? इसके जवाब में उन्होंने कहा कि अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन को यूक्रेन की मदद करने में कितनी दिक्कत आ रही है यह पूरी दुनिया देख रही है। उन्होंने कहा कि यूक्रेन की मदद करने को लेकर जिस तरह से अमेरिकी कांग्रेस विभाजित है उसको देखकर खासतौर पर नाटो देश अचंभित हैं। उन्होंने कहा कि अमेरिकी राष्ट्रपति को यूक्रेन की मदद करने के लिए अमेरिकी कांग्रेस से कहना पड़ रहा है कि यदि हमने अभी मदद नहीं की तो यह रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की जीत होगी। उन्होंने कहा कि इस बार भले अमेरिकी कांग्रेस बाइडन की अपील को स्वीकार कर भी ले लेकिन आगे भी वह ऐसा करेगी यह कहना मुश्किल है क्योंकि अगले साल अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव होने हैं और ऐसे में घरेलू राजनीति को देखकर ही वहां की सरकार कोई फैसला करेगी।


ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि अमेरिका का यह हाल देखकर यूरोपीय देश भी अपने पांव पीछे खींच रहे हैं और हाल में कई देशों ने यूक्रेन को मदद में कटौती की है या बंद कर दी है। उन्होंने कहा कि इसके अलावा इजराइल-हमास संघर्ष के चलते नाटो पहले ही विभाजित नजर आ रहा है जिससे यूक्रेन को मिलने वाली मदद पर सीधा और बड़ा असर पड़ा है। उन्होंने कहा कि यूक्रेन को मिल रही विदेशी मदद युद्ध में खर्च होने की बजाय जनता की बुनियादी जरूरतों को पूरा करने में लग जा रही है जिससे राष्ट्रपति जेलेंस्की की मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं। उन्होंने कहा कि रूस ने यूक्रेन में जो बर्बादी की है उसके चलते हर आने वाला डॉलर बुनियादी जरूरत पर पहले खर्च हो रहा है जिससे सैन्य बलों की जरूरतें पूरी नहीं हो पा रही हैं।

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ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि दूसरी ओर रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के हाव-भाव को देखकर लग रहा है कि जैसे उन्हें इसी दिन का इंतजार था। उन्होंने कहा कि पुतिन यूक्रेन की इस हालत पर फूले नहीं समा रहे हैं इसीलिए उन्होंने एक बार फिर स्पष्ट कर दिया है कि लक्ष्य हासिल होने तक यह युद्ध जारी रहेगा। उन्होंने कहा कि देखा जाये तो अब यह साफ तौर पर नजर आ रहा है कि यूक्रेन हार की ओर बढ़ चला है। उन्होंने कहा कि युद्ध के दो साल होने वाले हैं और यूक्रेन पर अरबों डॉलर खर्च कर दिये गये लेकिन वह सिर्फ रूस के कब्जे से चंद किलोमीटर का अपना क्षेत्र ही मुक्त करवा पाया है।


ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि इसके अलावा रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने घोषणा की है कि वह 2024 के राष्ट्रपति चुनाव में भाग लेने का इरादा रखते हैं। उन्होंने कहा कि पुतिन का रूसी राष्ट्रपति के रूप में पांचवां कार्यकाल भी जीतना लगभग तय है। उन्होंने कहा कि पुतिन ने 24 वर्षों तक रूस का नेतृत्व किया है और सर्वेक्षणों से पता चलता है कि यूक्रेन में रूस के चल रहे सैन्य अभियान ने उनके लिए समर्थन बढ़ाया है। उन्होंने कहा कि चुनाव जीतने के लिए पुतिन काफी कुछ कर रहे हैं जैसे युद्ध लड़ रहे सैनिकों के परिवारों का मनोबल बढ़ाने के लिए उन्होंने कई कार्यक्रम शुरू किये हैं। उन्होंने कहा कि इसके अलावा सरकार ने सैन्य बलों के वेतन में वृद्धि की है। पिछले सितंबर तक, सेना में भर्ती होने वालों को दिया जाने वाला न्यूनतम मासिक वेतन राष्ट्रीय औसत से तीन गुना था। रूसी सरकार ने घोषणा की है कि वह सैन्य वेतन में 10.5 प्रतिशत की वृद्धि करेगी।


ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि पुतिन के पक्ष में एक बात और दिख रही है कि रूसी अर्थव्यवस्था को दुनिया से अलग-थलग करने के उद्देश्य से लगाए गए अभूतपूर्व पश्चिमी प्रतिबंध यूक्रेन में रूसी कार्रवाई को बदलने में सफल नहीं हुए हैं। इसके बजाय, ऐसा प्रतीत होता है कि पश्चिम के साथ बढ़ती दुश्मनी ने रूस को चीन और अन्य अंतरराष्ट्रीय साझेदारों के साथ संबंधों को गहरा करने के लिए प्रेरित किया है। उन्होंने कहा कि अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष ने हाल ही में 2024 के लिए रूस के आर्थिक विकास के पूर्वानुमान को कम कर दिया है, लेकिन यह पूर्वानुमान अभी भी कनाडा, फ्रांस, इटली और यूनाइटेड किंगडम जैसे देशों के अनुकूल है। उन्होंने कहा कि पश्चिमी प्रतिबंधों का विरोध करने और नाटो समर्थित यूक्रेन के हमले से लड़ने की रूस की क्षमता ने युद्ध और पुतिन के लिए जनता का समर्थन बढ़ाने में योगदान दिया है।

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