केंद्र में सत्तारूढ़ नरेंद्र मोदी सरकार ने शासन की जड़वत नीतियों में बदलाव कर उसे जनोनुकूल और करोबारोनुकूल बनाने की जो निर्णायक पहल जारी रखी है, उसी की एक सार्थक कड़ी के रूप में "विवाद से विश्वास योजना" को देखा जाना श्रेयस्कर होगा। खासकर आयकर विवादों से जुड़ी यह योजना यदि सफल होती है तो इससे सरकारी राजस्व में भी काफी इजाफा सम्भव है। क्योंकि आयकर से जुड़े विवादों के लंबे खिंचते चले जाने से सरकार जहां घाटे में रहती है, वहीं सम्बन्धित व्यक्ति न्यायादेश आने तक काफी आर्थिक राहत महसूस करता है। यह बात दीगर है कि कोई सफल बिचौलिया यदि परोक्ष रूप से ऐसे मामलों में दिलचस्पी लेने लगता है तो अधिकारी और वांछित करदाता चाहे जितना राहत महसूस करें, लेकिन इस दांव-पेंच में सरकारी राजस्व की कितनी क्षति होती है, यह शोध का विषय है।
केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने की थी विवाद से विश्वास योजना की घोषणा
ऐसे में यह कहना ज्यादा उपयुक्त होगा कि यदि आप भी आयकर विवाद के मामले में फंसे हैं तो उसे जल्द ही निपटाने का एक सुनहरा मौका आपके हाथ में आ गया है। क्योंकि केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने सम्बन्धित उभय पक्षों की जरूरतों को समझते ही अपने इस वर्ष के बजट में इस स्कीम की घोषणा कर दी थी। इसलिये अब लोग बाग यह सोच-समझ रहे हैं कि आखिर इस योजना मतलब स्कीम के लिए कौन-कौन लोग योग्य हैं। अद्यतन आधिकारिक जानकारी के मुताबिक, आयकर मामलों में मुकदमेबाजी खत्म करने के लिए हालिया बजट में घोषित ‘विवाद से विश्वास योजना' के दायरे में उन मामलों का भी शीघ्र समाधान किया जा सकता है जो इस समय पंच-निर्णय के लिए विदेशी मंचों पर लंबित हैं। देखा गया है कि आयकर विभाग ने गत महीनों में कतिपय प्रमुख दैनिक अखबारों में इस योजना के विषय में एक विज्ञापन जारी किया था, जिसमें इस योजना को आयकर विवाद निपटाने का एक ‘स्वर्णिम अवसर’ बताया गया है। प्राप्त जानकारी के मुताबिक, इस विज्ञापन में 'विवाद से विश्वास योजना' की मुख्य बातें बताई गई हैं, जिससे आमलोगों की उम्मीदों को एक नया पंख लगा है।
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जानिए कि इस योजना के तहत आवेदन की क्या है पात्रता
आधिकारिक तौर पर प्राप्त जानकारी में बताया गया है कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने गत पहली फरवरी 2020 को आम बजट में जिस 'विवाद से विश्वास योजना' की घोषणा की है, उसमें आवेदन की पात्रता क्या है? इसके अंतर्गत, किस-किस प्रकार के विवादों का निपटान किया जा सकता है? और इसके तहत होने वाले भुगतान की शर्तें क्या क्या होंगी? के बारे में भी प्रकाश डाला गया है। इसके अलावा, इसमें दो टूक कहा गया है कि विवाद वाले ऐसे मामले भी इस योजना में शामिल किये जायेंगे यानी कि इसके पात्र होंगे, जहां भुगतान तो पहले ही किया जा किया जा चुका है, लेकिन करदाता या कर विभाग ने सम्बन्धित मामले में अपील या रिट याचिका दायर कर रखी है। इसी तरह से भारत और भारत के बाहर पंच-निर्णय आदलतों में लंबित मामलों को भी इसके तहत निपटाया जा सकता है।
आखिरकार कौन-कौन उठा सकता है इस योजना का फायदा
आयकर विभाग द्वारा प्रकाशित करवाये गए विज्ञापन के मुताबिक, इस साल 31 जनवरी से पहले दाखिल अपील और याचिका के मामले इस योजना में शामिल किए जा सकते हैं। इसके अलावा, वे आदेश भी इसमें आ सकते हैं, जिनमें अपील करने की अवधि गत 31 जनवरी से पहले खत्म नहीं हुई थी। कहने का तात्पर्य यह कि विवाद निपटान समिति (डीआरपी) के समक्ष लंबित वैसे सभी मामले जिसमें डीआरपी ने 31 जनवरी 2020 के पहले दिशानिर्देश जारी कर दिया था, लेकिन कोई आदेश जारी नहीं किया गया था। इसके तहत, ऐसे छापे के मामले जिसमें करदाता ने पुनरीक्षण दायर कर रखा है और जहां विवादित कर देनदारी 5 करोड़ रुयये से अधिक की नहीं है, उन सभी मामलों को इस योजना के तहत निपटाने के प्रति सरकार गम्भीर है।
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जानिए आखिरकार कितनी रकम का करना पड़ सकता है भुगतान
टैक्स मामलों के जानकारों का कहना है कि इस योजना में कर, दंड, ब्याज, शुल्क और टीडीएस तथा टीसीएस (स्रोत पर संग्रह) ऐसे सभी प्रकार के विवादों के समाधान के लिए आवेदन किया जा सकता है। यह बात दीगर है कि भुगतान के संबंध में स्पष्ट शर्त है कि इसके तहत कर की शत-प्रतिशत राशि 31 मार्च तक ही जमा करनी होगी, जिसे लॉक डाउन के मद्देनजर स्वतः ही अगली अंतिम तिथि नियत नहीं होने तक बढ़ा हुआ समझा जाना चाहिए। वहीं, छापे के मामलों में 31 मार्च तक विवादित कर के 125 प्रतिशत के बराबर की राशि जमा करानी होगी, जो तिथि भी लॉक डाउन के चलते खुद ब खुद बढ़ चुकी है।
लेकिन यदि अपील केवल दंड, ब्याज या शुल्क के विवाद को लेकर है तो उसमें 31 मार्च तक संबंधित राशि के केवल 25 प्रतिशत का भुगतान करना होगा। बताया गया है कि गत 31 मार्च 2020 को इस योजना की समाप्ति के बाद, जिसे लॉक डाउन पीरियड तक स्वतः ही बढ़ा हुआ समझा जाना चाहिए, इस योजना की समाप्ति 30 जून तक भुगतान करने पर करदाता को उपरोक्त स्थितियों में क्रमश: 110 प्रतिशत, 135 प्रतिशत और 30 प्रतिशत की दर से भुगतान करना होगा।
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हालांकि, कोरोना वायरस प्रकोप वश घोषित पहले 21 दिन के राष्ट्रीय लॉकडाउन और फिर अगले 19 दिन तक इसे विस्तारित किये जाने के पश्चात सरकार के रुख का स्पष्ट पता अब 3 मई 2020 के बाद ही पता चल पाएगा।
-कमलेश पांडेय
(वरिष्ठ पत्रकार व स्तम्भकार)