By डॉ. रमेश ठाकुर | Jun 20, 2022
विश्वनाथन आनंद एक ऐसा नाम है जिसने अपने अदम्य साहस से शतरंज जैसे खेल को अंतरराष्ट्रीय मंचों पर प्रदर्शित करके हिंदुस्तान का मान बढ़ाया। भारत के परिवेश में शतरंज और विश्वनाथन आनंद को एक दूसरे का पर्यायवाची माना जाता है। उन्हीं के प्रयास से भारत में पहली दफा शतरंज का ओलंपियाड होगा। आयोजन सफल हो उसी के सिलसिले में बीते सप्ताह उन्होंने दिल्ली में खेल मंत्री से मुलाकात कर ओलंपियाड के भव्य आयोजन को सफल बनाने की रूपरेखा तैयार की। इसी दौरान पांच बार के विश्व चैंपियन विश्वनाथन आनंद से पत्रकार डॉ. रमेश ठाकुर ने विस्तृत बातचीत की।
पेश हैं इस बातचीत के मुख्य अंश-
प्रश्नः हिंदुस्तान में शतरंज की पहचान आप से होती है, बावजूद इसके ये उतना प्रचलित नहीं हो पाया?
उत्तर- बीते एकाध दशकों के मुकाबले अब प्रत्येक खेल को बढ़ावा मिलना शुरू हुआ है। लेकिन गति अभी भी कमजोर है। कुछ खेल तो ऐसे हैं जिसके दर्शक और चाहने वाले मात्र मुट्ठी भर ही हैं। शतरंज भी उन्हीं में कभी शामिल होता था। पर, सरकारी और सामाजिक रूप से इस खेल को अब बढ़ावा मिलना शुरू हुआ है। तभी भारत में पहली बार शतरंज ओलंपियाड का आयोजन हो रहा है जो हमारे लिए गर्व की बात है।
प्रश्नः आपको नहीं लगता कि शतरंज के महाकुंभ ओलंपियाड जैसे गेम्स का आयोजन पहले भी होना चाहिए था?
उत्तर- बिल्कुल होना चाहिए था। लेकिन ऐसे प्रयास पहले हुए ही नहीं? कोई नहीं देर आए दुरुस्त आए। शतरंज ओलंपियाड का 44वां संस्करण हिंदुस्तान में होगा, यही हमारे लिए गर्व वाली बात है। बड़ा आयोजन है, करीब 2 हजार से ज्यादा खिलाड़ी देश-विदेश से आएंगे। मुझे लगता है ये सिलसिला अब भविष्य में चलता रहे, रुकना नहीं चाहिए। ज्यादा नहीं, दस वर्षों के अंतराल में ऐसे बड़े आयोजन होते रहने चाहिए।
प्रश्नः शतरंज ओलंपियाड में आपकी भूमिका भी अहम होगी?
उत्तर- सिर्फ मेरी ही नहीं, बल्कि प्रत्येक हिंदुस्तानी की भूमिका अहम होगी। कॉमनवेल्थ गेम्स का जिस तरह हमने सफल आयोजन किया, उससे पूरी दुनिया खुश हुई थी, हमारे सेवा-भाव को सभी ने सराहा। वैसे ही हम शतरंज ओलंपियाड का आयोजन करेंगे। निश्चित रूप से ये बड़ा टूर्नामेंट है। छोटे टूर्नामेंटों में जहां 100 या 50 खिलाड़ी होते हैं। पर, इस महाकुंभ में 2000 से भी ज्यादा खिलाड़ी होंगे। 28 जुलाई से महाबलीपुरम में शतरंज की बिसात के रूप में ओलंपियाड का भव्य आयोजन आरंभ हो जाएगा।
प्रश्नः अब आप सिर्फ बड़े आयोजनों में ही भाग लेते हैं, ऐसा क्यों?
उत्तर- जी हां। कुछ घरेलू या विदेशी टूर्नामेंटों से किनारा किया है। लेकिन बड़े आयोजनों में भारत का प्रतिनिधित्व करता हूं। कुछ फिटनेस कह लें, या बढ़ती उम्र का तकाजा। उम्र भी 52 वर्ष हो गई है। हर खिलाड़ी का एक समय होता है और वह समय अपनी अंतिम यात्रा की ओर बढ़ता है। फिलहाल नई पीढ़ी के कुछ बच्चे शतरंज में अच्छा कर रहे हैं। भारत के पास मौजूदा समय में दुनिया की बेहतरीन टीमों में से एक टीम है, जो किसी भी खिलाड़ी को हराने का माद्दा रखते हैं।
प्रश्नः क्या कोई विशेष प्रयोजन था जिसके चलते आपकी मुलाकात खेल मंत्री अनुराग ठाकुर से हुई?
उत्तर- मुलाकात का पहला मकसद तो महाबलीपुरम में होने जा रहे शतरंज के ओलंपियाड को सफल बनाना है। इसके अलावा देश में शतरंज को कैसे बढ़ावा दिया जाए, इस पर भी बात हुई। वैसे, अनुराग ठाकुर खुद एक खिलाड़ी रहे हैं, उन्हें विस्तार से बताने की ज्यादा जरूरत नहीं है कि खेलों में और क्या किया जाना चाहिए। बहुत समझदार और सुलझे हुए इंसान हैं। इशारों में कही बात को भी भांप जाते हैं।
प्रश्नः प्रबल संभावनाएं हैं कि आप फिडे की बड़ी जिम्मेदारी संभालेंगे, क्या उसके बाद भी खेल जारी रहेगा?
उत्तर- मैंने इतना आगे का नहीं सोचा है फिलहाल। खेल पर कोई असर नहीं पड़ेगा, जब तक हेल्थ इजाजत देगी, मेरी खेल यात्रा जारी रहेगी। रही बात चुनाव जीतने की तो अंतरराष्ट्रीय शतरंज महासंघ का उपाध्यक्ष पद भी बड़ी जिम्मेदारी है। लेकिन तालमेल बिठाकर दोनों जिम्मेदारियों का निर्वाह करता रहूंगा, ऐसा मुझे विश्वास है।
-बातचीत में विश्वनाथन आनंद ने जैसा रमेश ठाकुर से कहा।