'लिंगराज मंदिर' जहां भगवान शिव के साथ विराजे हैं विष्णु भगवान

By विंध्यवासिनी सिंह | Dec 02, 2020

भुवनेश्वर स्थित लिंगराज मंदिर भारत का एकमात्र मंदिर है, जहां भगवान शिव के साथ भगवान विष्णु की पूजा की जाती है। इस मंदिर को लेकर हिंदू धर्म में बहुत गहरी आस्था है और हर साल लाखों की संख्या में हिंदू इस मंदिर में दर्शन के लिए आते हैं। इस मंदिर की सबसे बड़ी खासियत भी यही है कि यहां दर्शन के लिए सिर्फ हिंदू भक्तों को ही मंदिर में प्रवेश दिया जाता है। लिंगराज मंदिर के प्रांगण में लगभग 50 छोटे मंदिर आपको देखने को मिल जाएंगे। इतना ही नहीं इस मंदिर में प्रतिदिन 22 सेवा पूजा की जाती है।

इसे भी पढ़ें: माता का ऐसा चमत्कारी मंदिर जहां बगैर रक्त बहाए दी जाती है 'बलि'

क्या है मंदिर का इतिहास?

इतिहासकारों का मानना है कि यह मंदिर 11वीं शताब्दी के समय का निर्मित है, जिसे सोमवंशी राजा जजाति केसरी द्वारा बनवाया गया था। इतिहासकारों का यह भी कहना है कि इस मंदिर का जिक्र 6वीं और 7वीं शताब्दी के पांडुलिपि में भी मिलता है। मंदिर की वास्तुकला की बात करें तो इसकी वास्तुकला भी काफी बेजोड़ है और इसका निर्माण कलिंग शैली तथा उड़िया शैली में किया गया है। 


मंदिर के निर्माण में बलुआ पत्थरों का प्रयोग किया गया है। यहाँ मंदिर के शीर्ष भाग को पिरामिड के आकार का रखा गया है। साथ ही मंदिर के ऊपरी हिस्से पर उल्टी घंटी और कलश को स्थापित किया गया है।


मंदिर को लेकर प्रचलित कथा

इस मंदिर को लेकर एक कथा प्रचलित है, जिसका पुराणों में भी जिक्र मिलता है। 


कथा के अनुसार एक बार भगवान शिव ने माता पार्वती से भुवनेश्वर शहर की चर्चा की। तब माता पार्वती ने निश्चय किया कि वह भुवनेश्वर शहर को खोज कर ही लौटेंगी। गाय का रूप धारण कर माता पार्वती भुवनेश्वर शहर की खोज में निकल गयीं। जब माता शहर की खोजबीन कर रही थी तब दो राक्षस जिनका नाम कृति और वासा था, माता पार्वती के पीछे पड़ गए और उनसे शादी का प्रस्ताव रखने लगे। 


हालांकि माता पार्वती ने उन्हें मना कर दिया, बावजूद इसके वह उनका पीछा करते रहे। अंत में माता पार्वती ने उन दोनों राक्षसों का वध कर दिया। इसके बाद भगवान शिव अवतरित हुए और उन्होंने बिंदू सरस झील का निर्माण किया और भुवनेश्वर शहर की खोज हुई। कहा जाता है कि भगवान शिव और माता पार्वती लंबे समय तक इस शहर में निवास करते रहे।

इसे भी पढ़ें: शिव भक्त हैं तो जरूर दर्शन करें लखनऊ शहर के प्रसिद्ध शिवालयों के

कब आएं लिंगराज मंदिर?

भुवनेश्वर में मौसम काफी गर्म और उमस भरा रहता है। ऐसे में आप अगर लिंगराज मंदिर के दर्शन के लिए आना चाहते हैं, तो यहां आने का सबसे उचित समय सर्दियों का मौसम है। सर्दियों के मौसम में यहां की छटा निराली और खूबसूरत रहती है।


कैसे पहुंचे लिंगराज मंदिर?

लिंगराज मंदिर दर्शन करने आ रहे हैं तो आपको भुवनेश्वर आना होगा। भुवनेश्वर में आपको एयरपोर्ट और रेलवे स्टेशन दोनों ही मिल जाएगा। यहां आप हवाई मार्ग और रेल मार्ग से आसानी से पहुंच सकते हैं। यहाँ से मंदिर की दूरी 3 किलोमीटर है जिसे आप आसानी से कैब और ऑटो से तय कर सकते हैं। 


विंध्यवासिनी सिंह

प्रमुख खबरें

गोवा में बड़ा हादसा, पर्यटकों से भरी नाव पलटी, एक की मौत, 20 लोगों को बचाया गया

AUS vs IND: बॉक्सिंग डे टेस्ट में रोमांचक मुकाबले की संभावना, क्या रोहित करेंगे ओपनिंग, जानें किसका पलड़ा भारी

Importance of Ramcharitmanas: जानिए रामचरितमानस को लाल कपड़े में रखने की परंपरा का क्या है कारण

Arjun Kapoor के मैं सिंगल हूं कमेंट पर Malaika Arora ने दिया रिएक्शन, जानें क्या कहा?