By अंकित सिंह | Jul 27, 2021
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद इन दिनों जम्मू कश्मीर के दौरे पर हैं। अपने जम्मू-कश्मीर दौरे के दौरान उन्होंने कारगिल युद्ध में शहीद हुए जवानों को श्रद्धांजलि दी थी। जम्मू कश्मीर पहुंचने पर राष्ट्रपति को गार्ड ऑफ ऑनर भी दिया गया था। इन सब के बीच आज राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद में कश्मीर विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह को संबोधित किया। अपने संबोधन में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कहा कि हिंसा जो कभी कश्मीरियत का हिस्सा नहीं थी, आज जम्मू-कश्मीर की दैनिक वास्तविकता बन गई है। उन्होंने कहा कि कश्मीर विभिन्न संस्कृतियों का मिलन स्थल है। मध्यकाल में, लाल देड ने ही विभिन्न आध्यात्मिक परंपराओं को एक साथ लाने का मार्ग दिखाया था। लालेश्वरी की कृतियों में आप देख सकते हैं कि कैसे कश्मीर सांप्रदायिक सौहार्द और शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व का खाका पेश करता है।
कोविंद ने कहा कि इस भूमि पर आने वाले लगभग सभी धर्मों ने कश्मीरियत की एक अनूठी विशेषता को अपनाया जिसने रूढ़िवाद को त्याग दिया और समुदायों के बीच सहिष्णुता और आपसी स्वीकृति को प्रोत्साहित किया। यह सबसे दुर्भाग्यपूर्ण था कि शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व की इस उत्कृष्ट परंपरा को तोड़ा गया। हिंसा, जो कभी 'कश्मीरियत' का हिस्सा नहीं थी, दैनिक वास्तविकता बन गई।