By अनन्या मिश्रा | Oct 12, 2024
जब भी मध्यप्रदेश की बात होती है, तो ग्वालियर के सिंधिया घराने की चर्चा सबसे पहले होती है। आज ही के दिन यानी की 12 अक्तूबर को विजया राजे सिंधिया का जन्म हुआ था। विजया राजे सिंधिया का नाम मध्यप्रदेश की राजनीति में सबसे ऊपर चमकता था। वह भारतीय जनता पार्टी की सबसे फेमस नेता थीं। इनको 'ग्वालियर की राजमाता' के रूप में भी जाना जाता था। तो आइए जानते हैं उनकी बर्थ एनिवर्सरी के मौके पर विजया राजे सिंधिया के जीवन से जुड़ी कुछ रोचक बातों के बारे में...
जन्म और परिवार
बता दें कि मध्य प्रदेश सागर के राणा परिवार में 12 अक्तूबर 1919 को विजया राजे सिंधिया का जन्म हुआ था। इनके पिता का नाम ठाकुर महेंद्र सिंह और माता का नाम विंदेश्वरी देवी था। ठाकुर महेन्द्र सिंह जालौन जिला के डिप्टी कलैक्टर थे। वहीं विजयाराजे जब कुंवारी थीं, तो उनका नाम लेखा देवी था। वहीं ग्वालियर के महाराजा जीवाजी राव सिंधिया से 21 फरवरी 1941 में विवाह हो गया। इसके बाद इनके तीन बच्चे हुए। जिनका नाम माधवराव सिंधिया, बेटी का नाम वसुंधरा राजे सिंधिया और यशोधरा राजे सिंधिया हैं।
ग्वालियर की महारानी
शादी के बाद राजमाता विजयाराजे सिंधिया ग्वालियर आईं, तो वह ग्वालियर की महारानी बन चुकी थीं। इनके रहने के लिए दो महल थे, जिनको आज ऊषा-किरण पैलेस होटल के नाम से जाना जाता है। वह त्याग और समर्पण की प्रतिमूर्ति थीं। विजयाराजे सिंधिया ने राजसी ठाठ-बाट का मोह त्यागकर जनसेवा को अपनाया था। सत्ता के शिखर पर पहुंचने के बाद भी वह जनसेवा के कार्यों में लगी रहीं।
राजनीतिक सफर
बता दें कि पति जीवाजी राव सिंधिया की मृत्यु के बाद विजया राजे सिंधिया कांग्रेस के टिकट पर संसद सदस्य बनीं थीं। वहीं सैध्दांतिक मूल्यों के दिशा निर्देश के चलते उन्होंने कांग्रेस का साथ छोड़कर भाजपा का दामन थाम लिया। एक राजपरिवार से होते हुए भी विजया राजे सिंधिया अपनी ईमानदारी, सादगी और प्रतिबद्धता के कारण भाजपा पार्टी में सबसे प्रिय बन गईं। जल्द ही विजयाराजे सिंधिया पार्टी में शक्ति स्तंभ के रूप में सामने आईं।
राजमाता ने पार्टी को कई बार मुश्किलों से बाहर निकाला। मध्यप्रदेश में भाजपा इनके छांव में ही पली-बढ़ी। वहीं विजयाराजे सिंधिया और माधवराव सिंधिया के बीच रिश्ते का अंदाजा आप इस बात से लगा सकते हैं, जब ग्वालियर के जयविलास पैलेस में रहने के लिए मां राजमाता ने माधवराव सिंधिया से किराया भी मांग लिया। वहीं जब विजयाराजे को पुलिस ने इमरजेंसी के दौरान गिरफ्तार किया था, तब राजमाता ने आरोप लगाया था कि उन्हें उनके बेटे माधवराज ने गिरफ्तार करवाया है।
निधन
वहीं 25 जनवरी 2001 को 81 साल की उम्र में विजयाराजे सिंधिया का निधन हो गया था। इनके निधन के बाद दो वसीयतें सामने आई थीं, जिसमें से एक 1985 और दूसरी 1999 की लिखी हुई थी।