By Anoop Prajapati | Dec 16, 2024
दिल्ली विधानसभा क्षेत्र की ग्रेटर कैलाश सीट से पूर्व विधायक विजय कुमार मल्होत्रा भारतीय जनता पार्टी के एक सुप्रसिद्ध नेता और शिक्षाविद हैं। वे लोकसभा सांसद, खेलकूद प्रशासक व शिक्षा जगत से सम्बद्ध प्रोफेसर हैं। लोग उन्हें प्रोफेसर विजय कुमार मल्होत्रा के नाम से भी जानते हैं। उन्होंने दिल्ली सदर व दक्षिणी दिल्ली से क्रमशः 9वीं व 14वीं लोकसभा का प्रतिनिधित्व किया। कई संसदीय समितियों के सदस्य से लेकर अध्यक्ष रह चुके हैं। उनकी गणना भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ सदस्यों में की जाती है।
लाहौर में जन्मे और दिल्ली को अपनी कर्मस्थली बनाने वाले मल्होत्रा ने अटल बिहारी वाजपेयी व लालकृष्ण आडवाणी के साथ ही संघ से निकलकर जनसंघ के जरिये राजनीति में कदम रखा था। 1967 में वे मुख्य कार्यकारी पार्षद निर्वाचित हुए थे और तब इस पद की वही हैसियत थी जो आज मुख्यमंत्री की है। बाद के दिनों में मल्होत्रा, केदारनाथ साहनी और मदनलाल खुराना की 'तिकड़ी' ने ही दिल्ली में पहले जनसंघ, फिर जनता पार्टी और उसके बाद भाजपा को मजबूत बनाया।
प्रारम्भिक जीवन और शिक्षा
प्रो॰ विजय कुमार मलहोत्रा का जन्म 3 दिसम्बर 1931 को ब्रिटिश भारत में पंजाब प्रान्त के एतिहासिक शहर लाहौर में हुआ था। 1947 में भारत-विभाजन के बाद यह शहर पाकिस्तान चला गया। उनके पिता का नाम श्री खजान चन्द और माता का श्रीमती सुशीला देवी था। उनकी शिक्षा दीक्षा डी.ए.वी. कॉलेज लाहौर, पंजाब विश्वविद्यालय तथा हंसराज कॉलेज दिल्ली से हुई। वे हिन्दी साहित्य से एम.ए. तथा पी.एच.डी. हैं। उनका विवाह 9 मई 1960 को श्रीमती कृष्णा मल्होत्रा से हुआ। पति-पत्नी के सन्तुलित परिवार में एक बेटा व एक बेटी है।
दिल्ली विधान सभा में प्रतिपक्ष के नेता
26 सितम्बर 2008 को भारतीय जनता पार्टी ने मल्होत्रा जी को मुख्यमन्त्री के पद का प्रत्याशी घोषित करते हुए दिल्ली विधान सभा का चुनाव लडा। इस आम चुनाव में मलहोत्रा जी तो ग्रेटर कैलाश नई दिल्ली विधान सभा क्षेत्र से विजयी हुए परन्तु उनकी पार्टी बहुमत नहीं जुटा सकी। उस समय वे लोकसभा के सांसद भी थे। मल्होत्रा जी ने दिल्ली की जनता की सेवा में स्वयं को समर्पित करते हुए सांसद के उच्चतर पद से त्यागपत्र दे दिया और विधान सभा की सीट बरकरार रखी। अब वे दिल्ली विधान सभा में प्रतिपक्ष के नेता की भूमिका निभा रहे हैं।
जानिए राजनीतिक सफर
मल्होत्रा का राजनीतिक जीवन बहुत लम्बा रहा है। सन 1967 में दिल्ली नगर निगम के महापौर से शुरू हुई उनकी राजनीतिक यात्रा में कई महत्वपूर्ण पड़ाव आये जिनमें 1977 की तत्कालीन जनता पार्टी के दिल्ली प्रदेश अध्यक्ष, 1980 से 1984 तक भारतीय जनता पार्टी के दिल्ली प्रदेश अध्यक्ष तथा भारतीय जनता पार्टी संसदीय दल के उपनेता से लेकर अखिल भारतीय तीरन्दाजी संघ व भारतीय ओलम्पिक संघ के अध्यक्ष पद के प्रमुख दायित्वों का निर्वाहन उन्होंने कुशलतापूर्वक किया है। दिल्ली की महानगर परिषद के मुख्य कार्यकारी पार्षद (मुख्यमंत्री के समकक्ष, 1967), जनता पार्टी, दिल्ली (1977) के अध्यक्ष और भाजपा, दिल्ली (1980-84) के अध्यक्ष।
केदार नाथ साहनी और मदन लाल खुराना के साथ मल्होत्रा को कई वर्षों तक दिल्ली में भाजपा को बचाए रखने का श्रेय दिया जाता है। उनकी सबसे बड़ी राजनीतिक जीत 1999 के भारतीय आम चुनाव में भारत के पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को भारी अंतर से हराना था। मल्होत्रा पिछले 45 सालों में दिल्ली से 5 बार सांसद और 2 बार विधायक रह चुके हैं, जिससे वे राजधानी में भाजपा के सबसे वरिष्ठ नेताओं में से एक बन गए हैं। 2004 के भारतीय आम चुनाव में मल्होत्रा दिल्ली में अपनी सीट जीतने वाले एकमात्र भाजपा उम्मीदवार थे, जबकि कांग्रेस ने अन्य 6 सीटें जीती थीं।
मल्होत्रा ने अपने प्रतिष्ठित करियर के दौरान बेदाग और साफ छवि का आनंद लिया है और 82 साल की उम्र में भी, नरेंद्र मोदी सरकार द्वारा कोई पद नहीं दिए जाने के बावजूद, उन्होंने दिल्ली के लिए भाजपा के चुनाव अभियान अध्यक्ष बनने की पेशकश की और पार्टी को सभी 7 सीटों पर जीत दिलाकर शानदार जीत दिलाई। मल्होत्रा एक शिक्षाविद् भी हैं। उन्होंने हिंदी साहित्य में डॉक्टरेट की उपाधि प्राप्त की है। राजनीति और सामाजिक कार्यों के अलावा, मल्होत्रा दिल्ली में शतरंज और तीरंदाजी क्लबों के प्रशासन से भी जुड़े हुए हैं।