अटैच बाथरूम बनाने से पहले समझ लें 'वास्तु के यह नियम'

By विंध्यवासिनी सिंह | Aug 17, 2020

आधुनिक समय में जितने सुंदर भवनों का निर्माण हो रहा है, उससे भी अधिक बाथरूम की खूबसूरती पर ध्यान दिया जा रहा है। आप अधिकांश जगहों पर अटैच लैट्रिन-बाथरूम का चलन देखेंगे, जो कि काफी सुविधाजनक माना जाता है। हालाँकि वास्तु के अनुसार लैट्रिन बाथरूम को एक साथ बनाना उचित नहीं माना गया है और इससे वास्तु में कई प्रकार की हानियों की बात कही गई है।

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बताते चलें कि वास्तु के अनुसार बाथरूम में चंद्रमा का वास बताया गया है। चंद्रमा मन और जल के कारक देवता हैं, ऐसे में चंद्रमा अगर सही हों तो इंसान के मन पर सकारात्मक असर पड़ता है। इसी प्रकार, अगर चंद्रमा अशुभ हों तो इंसान का मन व्यथित रहता है और अलगाव की तरफ बढ़ता है। वहीं टॉयलेट को लेकर वास्तु में कहा गया है कि इस में राहु का वास रहता है। राहु सीधे आपके मस्तिष्क में दोष उत्पन्न करता है, इसलिए चंद्रमा और राहु एक साथ जब भी आते हैं तो ग्रहण जैसे संयोग उत्पन्न होते हैं।


वास्तु के अनुसार अटैच बाथरूम के दुष्परिणाम

अगर आपने भी अटैच बाथरूम का निर्माण कराया है तो इसके तमाम दुष्परिणाम आपको देखने को मिल सकते हैं। कहा जाता है कि अटैच लैट्रिन बाथरुम वाले घर में रहने वाले पति पत्नी के बीच मनमुटाव की स्थिति बनी रहती है। छोटी-छोटी बातों में वाद विवाद बढ़ने का खतरा बना रहता है। अटैच बाथरूम वाले घर में रहने वाले लोगों के अंदर सहनशीलता बेहद कम हो जाती है और एक छोटी सी बात भी लोग बर्दाश्त नहीं करते हैं।


अटैच लैट्रिन बाथरुम को लेकर लाल किताब में कहा गया है कि लैट्रिन-बाथरूम को एक साथ बनाने से घर के अंदर रहने वाले लोगों के दुर्घटनाग्रस्त होने की संभावना बढ़ जाती है।  तो वहीं लाल किताब में लैट्रिन को बेहद साफ सुथरा और स्वच्छ रखने की बात भी कही गई है।

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बाथरूम के लिए वास्तु के नियम

वास्तु शास्त्र के प्रमुख ग्रंथ के रूप में प्रचलित 'विश्वकर्मा प्रकाश' में वर्णित किया गया है कि बाथरूम या स्नानागार का निर्माण कभी भी भवन की पूर्व दिशा में करना चाहिए।  अगर आपके बाथरूम में वास्तु दोष है तो इसके उपाय करने के लिए आपको बाथरूम में नीले रंग की बाल्टी और मग का प्रयोग करना चाहिए तथा भूल कर भी बाथरूम में किसी प्रकार की कोई तस्वीर नहीं लगानी चाहिए। आप बाथरूम में छोटा सा दर्पण ज़रूर लगा सकते हैं।


शौचालय के लिए वास्तु के नियम

'विश्वकर्मा प्रकाश' के अनुसार शौचालय का निर्माण दक्षिण दिशा और दक्षिण-पश्चिम दिशा के मध्य में कराना उचित माना गया है। वहीं अगर आपने गलत दिशा में शौचालय या लैट्रिन का निर्माण करवाया है तो इसमें उत्पन्न हुए विकारों को दूर करने के लिए शौचालय के बाहर शिकार करते हुए शेर का चित्र लगाएं।


- विंध्यवासिनी सिंह

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