By इंडिया साइंस वायर | Jan 25, 2021
कम लागत में बड़ी मात्रा में ऊर्जा भंडारण करने में सक्षम वैनेडियम रिडॉक्स फ्लो बैटरी लीथियम-आयन बैटरी का सबसे आशाजनक विकल्प बनकर उभर रही है। वैज्ञानिक अक्षय ऊर्जा के भंडारण के विकल्प के रूप में वैनेडियम रिडॉक्स फ्लो बैटरी को बेहतर मानते हैं। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी),दिल्ली के शोधकर्ता वैनेडियम रिडॉक्स फ्लो बैटरी प्रौद्योगिकी विकसित करने के लिए निरंतर कार्य कर रहे हैं।
आईआईटी, दिल्ली परिसर में वैनेडियम रिडॉक्स फ्लो बैटरी आधारित चार्जिंग स्टेशन स्थापित किया गया है, जिसमें भंडारित ऊर्जा का उपयोग पोर्टेबल इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों को चार्ज करने में किया जा सकता है। मोबाइल फोन, लैपटॉप, टैबलेट और पावर बैंक जैसे पोर्टेबल उपकरण चार्च करने के लिए इसमें विभिन्न चार्जिंग पोर्ट उपलब्ध कराए गए हैं।
वैनेडियम रिडॉक्स फ्लो बैटरी आधारित यह चार्जिंग स्टेशन आईआईटी, दिल्ली के केमिकल इंजीनियरिंग विभाग की सस्टेनेबल एन्वायरोनर्जी रिसर्च लैब (एसईआरएल) के शोधकर्ताओं द्वारा विकसित एक प्रोटोटाइप है। प्रभावी रिडॉक्स फ्लो बैटरी विकसित करने के क्रम में केमिकल इंजीनियरिंग विभाग के शोधकर्ताओं की टीम इसी विभाग के डॉ अनिल वर्मा के नेतृत्व में अध्ययन कर रही है।
उन्होंने बताया कि “हम इस प्रोटोटाइप के परिचालन डेटा को एकत्र कर रहे हैं, ताकि डिजाइन और संचालन में उचित बदलाव अगले संस्करण में शामिल किए जा सकें।”
वैनेडियम रिडॉक्स फ्लो बैटरी में विद्युतीय ऊर्जा के भंडारण के लिए तरल इलेक्ट्रोलाइट का उपयोग किया जाता है। चार्जिंग के दौरान, विद्युतीय ऊर्जा तरल इलेक्ट्रोलाइट में भंडारित होती है, और डिस्चार्जिंग के दौरान भंडारित ऊर्जा का उपयोग विभिन्न अनुप्रयोगों में किया जाता है। वैनेडियम रिडॉक्स फ्लो बैटरी अक्षय ऊर्जा को कुशलता से भंडारित करने में सक्षम है।
इसका उपयोग ग्रामीण विद्युतीकरण, ई-व्हीकल चार्जिंग स्टेशन, घरेलू एवं व्यावसायिक पावर बैक-अप जैसे अनुप्रयोगों में हो सकता है। यह प्रदूषण-रहित और अत्यधिक टिकाऊ है, जिसे आसानी से विस्तारित किया जा सकता है। वैनेडियम रिडॉक्स फ्लो बैटरी किलोवाट/घंटा से लेकर मेगावाट/घंटा की रेंज में ऊर्जा भंडारित करने में सक्षम है। यह किफायती है, और इस प्रौद्योगिकी का उपयोग उन स्थानों पर प्रमुखता से हो सकता है, जहाँ डीजल जेनरेटर उपयोग किए जाते हैं।
इस चार्जिंग स्टेशन को आईआईटी, दिल्ली की स्मार्ट कैंपस पहल क अंतर्गत विकसित किया गया है। शोधकर्ताओं ने एक दिन में लगभग नौ घंटे के चार्जिंग ऑपरेशन के लिए इसे डिजाइन किया है। इस चार्जिंग स्टेशन का लाभ आईआईटी, दिल्ली से जुड़े कर्मचारियों एवं छात्रों के अलावा वहाँ आने वाले अन्य लोगों को भी हो सकता है। आईआईटी, दिल्ली के निदेशक प्रोफेसर वी. रामगोपाल राव ने सोमवार को इस चार्जिंग सुविधा का उद्घाटन किया है।
डॉ अनिल वर्मा ने बताया कि “एसईआरएल में यह रिडॉक्स फ्लो बैटरी का यह दूसरा प्रोटोटाइप विकसित किया गया है। इसका उद्देश्य समाज को ईको-फ्रेंडली व्यवहारिक उत्पाद के रूप में प्रौद्योगिकीय एवं वैज्ञानिक समाधान उपलब्ध कराना है।” उन्होंने बताया कि उनकी अध्ययन टीम किलोवाट स्तर की बैटरी विकसित करने पर काम कर रही है।
आईआईटी दिल्ली में वैनेडियम रिडॉक्स फ्लो बैटरी विकसित करने से संबंधित यह परियोजना विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग और मानव संसाधन विकास मंत्रालय के अनुदान पर आधारित है।
(इंडिया साइंस वायर)