By प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क | Dec 25, 2020
नयी दिल्ली। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने शुक्रवार को कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी को शीतयुद्ध के बाद की दुनिया के बारे में व्यापक समझ थी जो भारत के लिए अपने संबंधों को नए सिरे से स्थापित करने और अमेरिका के साथ संबंधों की नयी शुरुआत करने में सहायक रही। दिवंगत वाजपेयी की 96वीं जयंती पर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए जयशंकर ने कहा किदिग्गज नेता ने विभिन्न क्षेत्रों और महादेशों तक गर्मजोशी से पहुंच बनाई जिसने भारत के लिए यूरोप, अफ्रीका, लातिन अमेरिका और आसियान के देशों सहित भारत के संपूर्ण विदेशी संपर्कों के विस्तार का आधार तैयार किया।
आतंकवाद तथा संबंध एक साथ नहीं चल सकते। विदेश मंत्री ने वाजपेयी के 1998में पोखरण परमाणु परीक्षण करने के निर्णय को सबसे महत्वपूर्ण करार दिया। वाजपेयी का जन्म 25 दिसंबर 1924 को हुआ था। वह जनसंघ और भाजपा के संस्थापक सदस्य थे। पार्टी को कामयाबी के शिखर पर ले जाने में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका थी। नब्बे के दशक में वह पार्टी का मुख्य चेहरा बनकर उभरे और पहली बार भाजपा के नेतृत्व में सरकार बनी। वह तीन बार देश के प्रधानमंत्री बने। जयशंकर ने कहा, ‘‘अटल बिहारी वाजपेयी के जीवन और उनकी विरासत को देखें तो इसमें कोई सवाल ही नहीं है कि जब भारत की विदेश नीति का विषय आता है तो वह परिवर्तनकारी नेता थे।
उनमें अंतर्ज्ञानमूलक समझ थी जो शीतयुद्ध के बाद की दुनिया में भारत के अपने हितों एवं संबंधों को नए सिरे से साधने के लिए जरूरी थे।’’ विदेश मंत्री ने कहा कि इसी सोच के आधार पर अमेरिका के साथ संबंधों की नयी शुरुआत हुई जिन्हें दोनों पक्षों की क्रमिक सरकारों ने आगे बढ़ाया। एक राष्ट्र के तौर पर कठिन क्षणों में उबरने के लिए यह जरूरी था। उन्होंने कहा, ‘‘अगर रूस के साथ हमारे संबंध आज स्थिर हैं तो इसमें उनके (वाजपेयी) प्रयासों का ही योगदान है।’’ जयशंकर ने कहा कि आसियान के साथ भारत के संबंधों को वाजपेयी ने मजबूती प्रदान की और देश इसे आगे लेकर चल रहा है।