By अभिनय आकाश | Jan 09, 2025
9 जनवरी को दो साल में एक बार मनाया जाने वाला प्रवासी भारतीय दिवस (पीबीडी) अपनी मातृभूमि में भारतीय प्रवासियों के योगदान का सम्मान देने के लिए मनाया जाता है। ओडिशा के भुवनेश्वर में 18वें प्रवासी भारतीय सम्मेलन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शामिल हुए। इस कार्यक्रम को त्रिनिदाद और टोबैगो की राष्ट्रपति क्रिस्टीन कार्ला कंगालू ने भी वर्चुअली संबोधित किया। मोदी ने प्रवासी भारतीय एक्सप्रेस को भी हरी झंडी भी दिखाई। तीन दिवसीय यह भव्य आयोजन 8 से 10 जनवरी तक चलेगा।
प्रवासी भारतीय दिवस का प्राथमिक लक्ष्य
1. भारत के विकास में प्रवासी भारतीयों के योगदान को स्मरण करना
2. विदेशों में भारत के बारे में बेहतर समझ पैदा करना
3. भारत के उद्देश्यों का समर्थन करना और दुनिया भर में स्थानीय भारतीय समुदायों के कल्याण के लिए काम करना
4. प्रवासी भारतीयों को सरकार और उनकी पैतृक भूमि के लोगों के साथ जुड़ने के लिए एक मंच प्रदान करना।
क्यों मनाया जाता है प्रवासी भारतीय दिवस?
प्रवासी भारतीय दिवस भारत द्वारा अपने वैश्विक प्रवासियों को एक मूल्यवान संपत्ति के रूप में मान्यता देने के प्रमाण के रूप में मनाया जाता है। यह न केवल साझा विरासत के उत्सव के रूप में कार्य करता है, बल्कि एक विकसित राष्ट्र बनने की दिशा में भारत की यात्रा में प्रवासी भारतीयों की क्षमता का दोहन करने के लिए एक रणनीतिक मंच के रूप में भी कार्य करता है। जैसे-जैसे भारत विश्व मंच पर अपनी स्थिति मजबूत कर रहा है, पीबीडी निस्संदेह अपने वैश्विक समुदाय के साथ मजबूत संबंधों को बढ़ावा देने और राष्ट्रीय विकास की दिशा में उनकी विशेषज्ञता को प्रसारित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।
पहली बार कब मनाया गया था
प्रवासी भारतीय दिवस (पीबीडी) सम्मेलन पहली बार 2003 में तत्कालीन प्रधान मंत्री स्वर्गीय अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार के तहत प्रवासी भारतीय समुदाय को पहचानने और उनके साथ जुड़ने के लिए एक मंच के रूप में स्थापित किया गया था। साल 2015 से इसे दो साल पर बनाने का फैसला किया गया। इसके बाद साल 2023 से इसे हर साल मनाने का निर्णय लिया गया।
थीम आधारित प्लेनरी सत्र
बियॉन्ड बॉर्डर्स: प्रवासी युवाओं की वैश्विक नेतृत्व भूमिका
ब्रिज बिल्डिंग और बैरियर्स ब्रेकिंग: प्रवासी कौशल की कहानियां
ग्रीन कनेक्शन: सतत विकास में प्रवासी समुदाय का योगदान
नारी शक्ति: प्रवासी महिलाओं की नेतृत्व क्षमता और प्रभाव का उत्सव
डायस्पोरा डायलॉग्स: संस्कृति, जुड़ाव और पहचान की कहानियां