HMPV Advisory| उत्तराखंड ने HMPV के प्रसार को रोकने के लिए जारी की एडवाइजरी, उठाए ये कदम

By रितिका कमठान | Jan 07, 2025

देश में इस समय नया वायरस फैलने लगा है। वैश्विक स्तर पर मौसमी इन्फ्लूएंजा और मानव मेटान्यूमोवायरस (एचएमपीवी) का खतरा बना हुआ है। एचएमपीवी वायरस एक तरह का श्वसन रोग है। इसको रोकने और नियंत्रित करने के लिए अब उत्तराखंड सरकार ने भी कदम उठाए है।

 

उत्तराखंड के चिकित्सा स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण निदेशालय ने एडवाइजरी जारी की है। इस एडवाइजरी में सर्दियों के महीनों के दौरान बढ़ते संक्रमण जोखिम से निपटने के लिए एहतियाती उपायों, स्वास्थ्य सुविधाओं में तैयारियों को लेकर जानकारी दी गई है। एडवाइजरी में जन जागरूकता पर भी जोर दिया गया है।

 

सभी जिला मजिस्ट्रेट और मुख्य चिकित्सा अधिकारियों को एक आधिकारिक बयान जारी किया गया कि, मानव मेटान्यूमोवायरस श्वसन रोग वर्तमान में विश्व स्तर पर फैल रहा है और अन्य श्वसन रोगों की तरह, यह सर्दी के मौसम में आम सर्दी और फ्लू जैसे लक्षणों के साथ अधिक प्रकट होता है। हालाँकि, उत्तराखंड में अभी तक एचएमपीवी का कोई मामला सामने नहीं आया है।

 

सर्दियों के महीनों में मौसमी इन्फ्लूएंजा, इन्फ्लूएंजा जैसी बीमारी और गंभीर तीव्र श्वसन बीमारी जैसे रोगों के फैलने की संभावना बढ़ती है। एचएमपीवी खासतौर से सर्दी के समान लक्षणों के साथ शुरू होता है। आमतौर पर ये तीन से पाच दिनों में अपने आप ही ठीक हो जाता है। ऐसे में इस बीमारी से घबराने की जरुरत नहीं है। खासतौर से लोगों के बीच भी गलत जानकारी देने की जरुरत नहीं है। ऐहतियात के तौर पर एचएमपीवी समेत सर्दियों से संबंधित श्वसन रोगों से बचाव और सुरक्षा के लिए दिशानिर्देशों का पालन करना होगा।

 

अस्पताल में इन्फ्लूएंजा और निमोनिया के रोगियों का उपचार हो रहा है जिनके लिए पर्याप्त आइसोलेशन बेड, वार्ड, ऑक्सीजन बेड, आईसीयू बेड, वेंटिलेटर और ऑक्सीजन सिलेंडर की उपलब्धता सुनिश्चित करनी होगी। 

 

इसके अलावा मरीजों के लिए दवाईयां, पीपीई किट, एन-95 मास्क और वीटीएम शीशियों का पर्याप्त भंडार बनाए रखना होगा। मेडिकल कॉलेजों से लेकर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों तक सभी स्वास्थ्य सुविधाओं में पर्याप्त संख्या में डॉक्टरों और नर्सिंग स्टाफ की उपलब्धता सुनिश्चित करनी होगी।

 

जानकारी के मुताबिक एचएमपीवी समेत श्वसन संबंधी बीमारियों की रोकथाम के लिए दिशा-निर्देश जारी किए गए हैं। इन्फ्लूएंजा और निमोनिया से संबंधित बीमारियों के प्रसार को रोकने के बारे में जन जागरूकता बढ़ाने के लिए विभिन्न प्लेटफार्मों के माध्यम से व्यापक प्रचार का महत्व बताया गया है। दिशा-निर्देशों में बच्चों, बुज़ुर्गों और गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं से पीड़ित लोगों के लिए विशेष देखभाल की सलाह दी गई है। लोगों को सलाह दी जाती है कि वे छींकते या खांसते समय अपनी नाक और मुंह को रूमाल या टिशू से ढकें और भीड़-भाड़ वाली जगहों पर जाने से बचें।

 

साबुन और पानी से हाथ साफ रखना बहुत ज़रूरी है। भरपूर मात्रा में तरल पदार्थ और पौष्टिक भोजन का सेवन करना भी ज़रूरी है। सर्दी, खांसी या बुखार जैसे लक्षण महसूस करने वालों से आग्रह है कि वे डॉक्टर से सलाह लें और केवल बताई गई दवाएँ ही लें। लक्षण वाले व्यक्तियों को संक्रमण को रोकने के लिए स्वस्थ लोगों से दूरी बनाए रखनी चाहिए। इसमें उन आदतों की भी सूची दी गई है जिनसे बचना चाहिए। इसमें इस्तेमाल किए गए टिशू या रूमाल का दोबारा इस्तेमाल न करने की चेतावनी दी गई है और लक्षण वाले व्यक्तियों से हाथ न मिलाने या उनके निकट संपर्क में न आने की सलाह दी गई है। इसमें डॉक्टर की सलाह के बिना दवा का इस्तेमाल न करने और अपनी आंखों, नाक और मुंह को बार-बार छूने से बचने पर जोर दिया गया है। संक्रमण के जोखिम को कम करने के लिए सार्वजनिक स्थानों पर थूकने से भी बचना चाहिए। 

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