By प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क | May 22, 2024
नैनीताल। उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने राज्य सरकार को एक साल के अंदर राजस्व पुलिस प्रणाली पूरी तरह से समाप्त करने तथा इसके अधिकार क्षेत्र में आने वाले इलाकों को नियमित पुलिस को सौंपने का आदेश दिया है। उत्तराखंड देश का अकेला ऐसा राज्य है जहां नियमित पुलिस के साथ राजस्व पुलिस प्रणाली भी प्रचलित है। हालांकि, राजस्व विभाग के अंतर्गत आने वाली राजस्व पुलिस के पास सीमित अधिकार हैं और पहाड़ी राज्य के केवल दूरस्थ ग्रामीण क्षेत्र ही इसके नियंत्रण में हैं।
उच्च न्यायालय की मुख्य न्यायाधीश ऋतु बाहरी और न्यायमूर्ति राकेश कुमार थपलियाल की खंडपीठ ने ये आदेश मंगलवार को इस प्रणाली को समाप्त किए जाने की गुजारिश करने वाली एक जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान दिया। राजस्व पुलिस द्वारा दहेज हत्या संबंधी एक मामले के खराब ढंग से निपटारे को लेकर दायर एक अन्य याचिका की सुनवाई के दौरान 2018 में भी उच्च न्यायालय ने एक सदी पुरानी इस प्रणाली को समाप्त करने के आदेश दिए थे। इसके बाद 2022 में भी उच्च न्यायालय के तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश विपिन सांघी और न्यायमूर्ति आरसी खुल्बे की एक खंडपीठ ने बहुचर्चित अंकिता भंडारी हत्याकांड संबंधी एक जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान इसी प्रकार के आदेश पारित किए थे।
जनहित याचिका में आरोप लगाया गया था कि पौड़ी के एक रिजॉर्ट में कार्यरत 19 वर्षीय अंकिता की मौत की जांच अगर राजस्व पुलिस की बजाय सीधे ही नियमित पुलिस के पास जाती तो उसमें देरी नहीं होती। याचिका पर दिए गए आदेशों में कहा गया था कि अगर राज्य सरकार ने पहले ही पारित आदेश का अनुपालन किया होता तो अंकिता हत्याकांड की जांच में इतनी देरी नहीं होती। राज्य मंत्रिमंडल ने अक्टूबर 2022 में एक प्रस्ताव पारित कर चरणबद्ध ढंग से राजस्व पुलिस प्रणाली को समाप्त करने की बात कही थी।
वर्ष 2004 में भी उच्चतम न्यायालय ने नवीन चंद्र बनाम राज्य सरकार मामले की सुनवाई के दौरान इस प्रणाली को खत्म किए जाने की जरूरत बताई थी और कहा था कि राजस्व पुलिस को नियमित पुलिस की तरह प्रशिक्षण नहीं दिया जाता है। उच्चतम न्यायालय ने कहा था कि मूलभूत सुविधाओं की कमी के कारण राजस्व पुलिस को एक अपराध की जांच करने में परेशानी आती है। शीर्ष अदालत ने यह भी कहा था कि राज्य में एक समान पुलिस प्रणाली होनी चाहिए।