Health Tips: आयुर्वेद में तेजी से बढ़ रहा है पत्थरचट्टा का इस्तेमाल, जोड़ों के दर्द के लिए है रामबाण इलाज

By अनन्या मिश्रा | Feb 07, 2024

आयुर्वेद में इन दिनों पत्थरचट्टा का तेजी से इस्तेमाल बढ़ रहा है। इसको यूरीनरी इन्फेक्शन में काफी ज्यादा असरदार माना जाता है। आयुर्वेद में बीमारियों के इलाज के लिए कई तरह की जड़ी-बूटियों का इस्तेमाल किया जाता है। यह जड़ी बूटियां जड़ों, फूलों, छाल और सक्रिय तत्व पत्तियों से मिलते हैं। यह सारी चीजें शारीरिक हेल्थ के साथ मेंटल हेल्थ के लिए फायदेमंद होती है। पत्थरचट्टा कई तरह के इंफेक्शन को दूर करता है और हमारे शरीर का बीमारियों से बचाव करता है। आज इस आर्टिकल के जरिए हम आपको पत्थरचट्टा के इस्तेमाल और फायदे के बारे में बताने जा रहे हैं।


पत्थरचट्टा या कलानचो

आपको बता दें कि पत्थरचट्टा को कलानचो के नाम से जाना जाता है। इसको एयर प्लांट, वंडर ऑफ द वर्ल्ड, कैथेड्रल बेल्स और मिरेकल लीफ भी कहते हैं। पूरे भारत में पत्थरचट्टा के पौधे पाए जाते हैं। इसको आमतौर पर एयर प्लांट के तौर पर भी जाना जाता है। पत्थरचट्टा में लंबे खोखले स्टेम होते हैं। बेल जैसे पेंडुलस फूल और मांसल हरे पत्ते होते हैं। पत्थरचट्टा का वैज्ञानिक नाम ब्रायोफिलम पिनेटम है। यह एक औषधीय पौधा है, जो पोषक तत्वों से भरपूर माना जाता है।

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न्यूट्रिशन से भरपूर

पत्थरचट्टा ग्लाइकोसाइड्स, ट्राइटरपेन्स, कार्डिएनोलाइड्स, एल्कलॉइड्स, फ्लेवोनोइड्स, बुफैडियनोलाइड्स, लिपिड और स्टेरॉयड जैसे बायोएक्टिव कंपाउंड से समृद्ध होता है। इसमें कार्बोहाइड्रेट, फाइबर, आयरन, प्रोटीन, कॉपर, जिंक, पोटेशियम, निकेल, कैल्शियम, सोडियम, लीड, कैडमियम जैसे मिनरल्स मौजूद होते हैं। आयुर्वेद में स्टोन को डिजोल्व करने के कारण इस पौधे का नाम पत्थरचट्टा पड़ा।


चमत्कारी है ये पौधा

पत्थरचट्टा का पौधा कैंसर पैदा करने वाली सेल्स की वजह से बदलाव को कम कर सकता है। यह ब्लड शुगर लेवल को कम कर सकता है। साथ ही माइक्रो और फंगल के विकास को रोक सकता है। यह पौधा सूजन को कम करने में सहायक होता है और पेट में अल्सर बनने से रोकता है। पत्थरचट्टा प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करने के साथ ही यह किडनी स्टोन को खत्म करता है। साथ ही यूरीनरी इंफेक्शन कम करने में मददगार होता है।


जोड़ों के दर्द में भी कारगर

पत्थरचट्टा जोड़ों के दर्द में भी काफी फायदेमंद होता है। क्योंकि यह एंटी इंफ्लेमेटरी गुणों से भरपूर है। जो हड्डियों के दर्द को कम करने में सहायक होता है और सूजन में भी कमी आती है। पत्थरचट्टा हड्डियों को अंदर से मजबूत बनाने का काम करता है। यह टिशूज को स्वस्थ रखने के साथ ही दर्द में राहत देने का काम करता है।


पत्थरचट्टा के पत्ते

पत्थरचट्टा के 100 ग्रम पत्तों को अच्छे से कूट लें और पत्तियों का रस तैयार कर लें। आधा कप सुबह और आधा पेट शाम को खाली पेट इस रस का सेवन किया जा सकता है। पत्थरचट्टा के इस्तेमाल से इंफेक्शन दूर होने के साथ ही पथरी वाला कैल्शियम फॉस्फेट पेशाब के जरिए बाहर निकल जाता है।


पत्थरचट्टा का रस

आप चाहें तो मार्केट में पत्थरचट्टा का जूस मिलता है। रोजाना दिन में दो बार 20-30 एमएल जूस का सेवन करें। लेकिन ध्यान रखें कि खाली पेट इस रस का सेवन करना चाहिए।


पत्थरचट्टा के पत्ते का काढ़ा

पत्थरचट्टा के पत्ते का काढ़ा बनाने के लिए इसकी पत्तियों को साफ पानी से धो डालें। फिर एक गिलास पानी में इसकी पत्तियों को डालकर अच्छे से उबाल लें। अच्छे से उबालने के बाद इसको छान लें। फिर रोजाना सुबह खाली पेट इसका सेवन करें।


पत्थरचट्टा के पत्तियों की चाय

पत्थरचट्टा की कुछ सूखी और ताजी पत्तियों को पानी में उबालकर छान लें। अगर आप शुगर पेशेंट नहीं है, तो इस चाय में शहद की कुछ बूंदे डालकर इसका सेवन कर सकती हैं। 


पत्थरचट्टा का लेप

आपको बता दें कि हड्डियों के दर्द और सूजन को पत्थरचट्टा का लेप तेजी से कम कर सकता है। पत्थरचट्टा की पत्तियों को पीसकर इसमें हल्दी मिलाकर इसका लेप बना लें। फिर इसको अपने जोड़ों पर हल्के हाथों से मालिश करते हुए लगाएं। रोजाना दिन में तीन बार इस लेप को लगाने से आपकी हड्डियां मजबूत होंगी और इनका दर्द भी दूर होगा।


घर में लगा सकते हैं यह पौधा

घर के गमलों में आप आसानी से पत्थरचट्टा के पौधे को उगा सकते हैं। बता दें यह पौधा बीज से नहीं उगता है। यह पौधा सिर्फ पत्तियों से फैलता है। एक पत्ती से पत्थरचट्टा के 5-10 पौधे तैयार हो सकते हैं। हांलाकि इस पौधे को रोजाना पानी देना जरूरी होता है।

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