By अभिनय आकाश | May 23, 2022
विश्व बिरादरी दो मुल्कों से खौफ खाने लग गई है। यूक्रेन पर हमले के बाद रूस यूरोप के देशों के लिए खतरे के तौर पर उभरा तो वहीं एशिया महाद्वीप में चीन के विस्तारवाद ने कई मुल्कों को अलर्ट कर दिया है। ऐसे में इन दो महाशक्ति देशों के खिलाफ खड़ा कौन होगा? ताइवान में ड्रगन की बढ़ती दखलअंदाजी के बीच सबसे बड़ा सवाल की क्या वो अकेले चीन जैसे शक्तिशाली देश का मुकाबला कर सकता है। अकेले तो ताइवान चीन से टक्कर नहीं ले सकता। लेकिन उसके पास है एक सुरक्षा कवर जिसका नाम है सुपर पावर अमेरिका। ताइवान पर अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने तो चीन को सीधी वॉर्निंग भी दे दी है। जो बाइडेन ने कहा है कि चीन ताइवान पर खतरे से खेल रहा है।
अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन ने कहा कि अगर चीन ताइवान पर हमला करता है तो उनका देश सैन्य हस्तक्षेप करेगा। यह पिछले कुछ दशकों में ताइवान के समर्थन में दिए गएप्रत्यक्ष एवं जोरदार बयानों में से एक है। बाइडेन ने कहा कि यूक्रेन पर रूस के हमले के बाद स्वशासित द्वीप की रक्षा करने का दबाव ‘‘और भी बढ़ गया है।’’उन्होंने कहा कि ताइवान के खिलाफ बल प्रयोग करने का चीन का कदम ‘‘न केवल अनुचित होगा’’, बल्कि ‘‘यह पूरे क्षेत्र को विस्थापित कर देगा और यूक्रेन में की गई कार्रवाई के समान होगा।’’
जो बाइडेन से पूछा गया था कि अगर चीन ताइवान को जबरन अपने नियंत्रण में लेना चाहेगा तो क्या अमेरिका सैन्य हस्तक्षेप करेगा? इसके जवाब में जो बाइडेन ने कहा," हमने यही वादा किया था एक चीन नीति की पॉलिसी पर राजी हुए और बीजिंग को चीन सरकार के रूप में मान्यता दिया है और उसके ताइवान के साथ कूटनीतिक संबंध नहीं हैं। बहरहाल, उसका ताइवान से अनौपचारिक संपर्क है। अमेरिका द्वीप की रक्षा के लिए सैन्य उपकरणों की आपूर्ति भी करता है।