By नीरज कुमार दुबे | Nov 16, 2023
चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग अपने बहुप्रतीक्षित अमेरिका दौरे पर पहुँचे तो उनका गर्मजोशी से स्वागत किया गया। जिनपिंग की जब सैन फ्रांसिस्को में अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन से मुलाकात हुई तो दोनों नेताओं के बीच संबंध भी बड़े सहज नजर आये। दोनों नेताओं ने अहम मुद्दों पर वार्ता तो की ही साथ ही संबंधों में आई गर्माहट को बरकरार रखने का फैसला भी किया। हम आपको बता दें कि चीनी राष्ट्रपति की अमेरिका यात्रा पर पूरी दुनिया की नजरें लगी हुई हैं क्योंकि अमेरिका ने चीन के खिलाफ अभियान को आगे बढ़ाते हुए विभिन्न देशों को क्षेत्रवार अपने साथ लेकर चीन को घेरने की रणनीति बनाई है। समय-समय पर चीन अमेरिका की इस प्रकार की गतिविधियों की आलोचना करता रहा है इसलिए जब जिनपिंग और बाइडन ने खुले मन से चर्चा की तो सबकी नजरें उधर ही लगी रहीं।
हम आपको यह भी बता दें कि चीनी राष्ट्रपति जब अमेरिका पहुँचे, बाइडन से मिले और दोनों नेता गार्डन में साथ घूमे तो ऐसा लगा नहीं कि दोनों देशों के बीच किसी प्रकार का शीत युद्ध चल रहा है। हालांकि बाइडन और जिनपिंग की यह आमने-सामने की मुलाकात एक साल बाद हुई है। यह बैठक एशिया-प्रशांत आर्थिक सहयोग (एपीईसी) से इतर आयोजित की गई थी। बैठक आयोजित करने का उद्देश्य दोनों पक्षों के संबंधों में तनाव के बीच उच्च स्तरीय संचार बढ़ाने के प्रयास करना था।
अमेरिकी राष्ट्रपति ने यूएस-चीन शिखर सम्मेलन में महत्वपूर्ण मुद्दों पर चीनी राष्ट्रपति के साथ चर्चा की। इस दौरान बाइडन और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने दोनों देशों के राष्ट्रपति के बीच हॉटलाइन शुरू करने, सैन्य स्तर पर संचार फिर से शुरू करने और फेंटेनाइल उत्पादन पर अंकुश लगाने के लिए काम करने पर सहमति व्यक्त की। यह दर्शाता है कि दोनों नेताओं की आमने-सामने की बातचीत में ठोस प्रगति हुई है। बाइडन और जिनपिंग ने सैन फ्रांसिस्को के बाहरी इलाके में आयोजित बैठक में लगभग चार घंटे तक उन मुद्दों पर चर्चा की, जिन्होंने अमेरिका-चीन संबंधों को तनावपूर्ण बना दिया है। खासकर ताइवान को लेकर दोनों देशों के बीच मतभेद बरकरार हैं।
यदि इस वार्ता की सफलता की बात करें तो इसमें सबसे बड़ी सफलता यह है कि दोनों सरकारें सैन्य संपर्कों को फिर से शुरू करने की योजना बना रही हैं, जिसे चीन ने अगस्त 2022 में तत्कालीन प्रतिनिधि सभा अध्यक्ष नैन्सी पेलोसी के ताइवान दौरे के बाद तोड़ दिया था। इस बारे में बाइडन ने घोषणा की। साथ ही उन्होंने कहा कि वह और शी उच्च स्तरीय संचार कायम करने पर सहमत हुए हैं। उन्होंने कहा कि वह और मैं इस बात पर सहमत हुए कि हममें से हर कोई सीधे फोन कॉल उठा सकता है और हमारी बात तुरंत सुनी जाएगी। हालांकि चीनियों को नाराज़ करने वाली एक टिप्पणी में बाइडन ने बाद में संवाददाताओं से कहा कि उन्होंने अपना विचार नहीं बदला है कि शी एक तानाशाह हैं। बाइडन ने कहा कि मेरा मतलब है कि वह इस अर्थ में एक तानाशाह हैं कि वह एक ऐसे व्यक्ति हैं जो एक ऐसे देश को चलाते हैं जो एक साम्यवादी देश है।
बताया जा रहा है कि बाइडन और जिनपिंग की बैठक में उस संदिग्ध चीनी गुब्बारे के बारे में भी चर्चा हुई जिसने अमेरिका में प्रवेश किया था और उसे फरवरी में अमेरिकी लड़ाकू जेट द्वारा मार गिराया गया था। बताया जा रहा है कि बाइडन ने जिनपिंग को चीन में हिरासत में लिये गये अमेरिकी नागरिकों, शिनजियांग, तिब्बत और हांगकांग में मानवाधिकारों की स्थिति और दक्षिण चीन सागर में चीन की आक्रामक गतिविधियों के संबंध में अमेरिकी चिंताओं से अवगत कराया। बाइडन ने कहा कि हम एक-दूसरे के साथ स्पष्ट रूप से बात रहे हैं ताकि कोई गलतफहमी न हो।
बताया जा रहा है कि बाइडन और जिनपिंग की चर्चा के दौरान अमेरिका और चीन की सेनाओं के बीच हुए कटु वार्तालाप का मुद्दा भी उठा। बताया जा रहा है कि सैन्य संचार दोबारा कायम करने का फैसला इसलिए किया गया ताकि इस तरह के विवाद समाप्त हों। इस संबंध में अमेरिकी रक्षा मंत्री लॉयड ऑस्टिन अपनी चीनी समकक्ष से चर्चा करेंगे। बाइडन और शी इस बात पर भी सहमत हुए कि चीन ओपिओइड फेंटेनाइल के उत्पादन से संबंधित वस्तुओं के निर्यात पर रोक लगाएगा, जो अमेरिका में ड्रग्स पहुँचने का एक प्रमुख कारण है। बाइडन ने कहा, "यह लोगों की जान बचाने वाला है।" उन्होंने इस मुद्दे पर शी की "प्रतिबद्धता" की सराहना की।
बताया जा रहा है कि इस समझौते के तहत चीन सीधे उन विशिष्ट रासायनिक कंपनियों से बात करेगा जो फेंटेनाइल प्रीकर्सर बनाती हैं। इसके अलावा, दोनों नेता कृत्रिम बुद्धिमत्ता के जोखिमों पर चर्चा करने के लिए विशेषज्ञों को एक साथ लाने पर भी सहमत हुए। इसके अलावा ताइवान मुद्दे पर चर्चा के दौरान बाइडन ने ताइवान जलडमरूमध्य में शांति और स्थिरता की आवश्यकता पर जोर दिया। बाइडन ने यथास्थिति बनाए रखने और चीन को ताइवान की चुनावी प्रक्रिया का सम्मान करने को कहा। इस बारे में चीनी मीडिया का कहना है कि वार्ता के दौरान शी जिनपिंग ने अमेरिका से ताइवान को हथियार भेजना बंद करने और ताइवान के साथ चीन के शांतिपूर्ण तरीके से विलय का समर्थन करने का भी आग्रह किया। इसके अलावा बाइडन ने शी जिनपिंग से कहा कि वह ईरान के साथ अपने अच्छे संबंधों को देखते हुए तेहरान से आग्रह करें कि वह मध्य पूर्व में अमेरिकी ठिकानों पर छद्म हमले न करें क्योंकि गाजा में इजरायल-हमास संघर्ष जारी है।