By अभिनय आकाश | Nov 05, 2024
आपने दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र भारत का चुनाव अभी हाल ही में देख लिया। लेकिन अब बारी दुनिया के सबसे पुराने लोकतंत्र यानी अमेरिका के चुनाव की है। अमेरिका के राष्ट्रपति चुनाव की शुरुआत हो चुकी है। अमेरिका का राष्ट्रपति चुनाव इस बार कई मायनों में खास और ऐतिहासिक होने जा रहा है। अमेरिका में राष्ट्रपति का चुनाव हर चाल साल में एक बार होता है। इन चुनावों की तारीख पहले से निर्धारित होती है। इसे यूनिफॉर्म डेट कहा जाता है। इसमें नवंबर महीने के पहले सोमवार के बाद जो मंगलवार आता है उसमें राष्ट्रपति चुनाव के लिए सभी राज्यों में एक साथ वोटिंग होती है। ये यूनिफॉर्म डेट अमेरिका में 1845 में निर्धारित हुई थी और तब से यही चली आ रही है। अमेरिकी चुनाव को लेकर दुनिया की निगाहें इस बात पर टिकी हैं कि भारतीय मूल के अमेरिकी इन चुनावों में किस ओर रुख करेंगे।
अमेरिका में भारतीय-अमेरिकियों की संख्या करीब 60 लाख है, जो लैटिन-मेक्सिकन अमेरिकियों के बाद अमेरिका में सबसे बड़ा प्रवासी समूह है। इनमें लगभग 30 लाख रजिस्टर्ड वोटर है, जो 5 नवंबर के चुनाव में वोट डालने के योग्य हैं। कार्नेगी एंडोमेट फॉर इंटरनैशनल पीस के मिलन वैष्णव ने कहा कि पेन्सिलवेनिया, नॉर्थ कैरलाइना, जॉर्जिया और मिशिगन जैसे राज्यों में भारतीय-अमेरिकी वोटर्स की संख्या इतनी है कि वे नजदीकी मुकाबले में कई सीटों पर निर्णायक हो सकते हैं। यही कारण है कि डेमोक्रेट्स और रिपब्लिकन अपनी टीम में भारतीय-अमेरिकियों को जगह दे रहे हैं। कमला खुद अपनी भारतीय पहचान की बात करती हैं। तो ट्रंप अपने प्रतिनिधि विवेक रामास्वामी और उप-राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार जेडी वेन्स की पत्नी उषा वेन्स की कैंपेन की बदौलत इन्हें लुभाने की कोशिश कर रहे हैं।
अधिकतर भारतीय-अमेरिकियों ने कहा कि बीते कुछ वर्षों में इस तबके के बीच राजनीतिक रुचि कम हुई है, जिसका असर वोटिंग पर दिख सकता है। भारतीय-अमेरिकी वोटर के बीच काम करने वाले मिथुन विल्सन ने कहा कि जो ट्रेड है, उस हिसाब से 50% भी वोटिंग ये करें तो बड़ी बात होगी। उदासीनता की वजह पूछने पर कहते हैं कि उनके सामने इधर मौत, उधर खाई वाली नौवत है। । हालांकि ट्रंप खासकर हिदुओं को अपने पक्ष में करने के लिए हर कोशिश कर रहे हैं। उन्होने बांग्लादेश में हिंदुओं की सुरक्षा को लेकर सोशल मीडिया में जो पोस्ट की, वह इसी रणनीति का हिस्सा था। ट्रंप संदेश देना चाहते हैं कि वह भले प्रवासी मुद्दा उठा रहे हो. लेकिन हिन्दू टारगेट पर नहीं हैं। दरअसल, भारतीय अमेरिकी शुरू से डेमोक्रेट्स सपोर्टर रहे हैं, लेकिन हाल के वर्षों में इसमें कमी आयी है।