By अभिनय आकाश | Jun 01, 2022
संपूर्ण विश्व जगत में भारत का डंका इन दिनों खूब बज रहा है। भारत की कूटनीति की प्रशंसा भी चारो ओर से हो रही है। वहीं अब भारत के प्रमुख व्यापारिक भादीगार बनने को लेकर भी एक जंग सी छिड़ गई है। चीन वैसे तो एलएसी पर अपनी कारिस्तानियों से बाज नहीं आता है। लेकिन बीते दिनों भारत द्वारा अमेरिका को सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार बनाया जाना उसे रास नहीं आया। उसने इसे आंकड़ों का फेर बताते हुए कहा कि अभी भी वो ही भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार है। ऐसे में आइए आपको बताते हैं कि क्या है पूरा मामला।
दरअसल, बीते दिनों ये खबर आई कि भारत के साथ व्यापार के मामले में अमेरिका ने चीन को पीछ़े छोड़ दिया है। वाणिज्य मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, 2021-22 में अमेरिका और भारत का द्विपक्षीय व्यापार बढ़कर 119.42 अरब डॉलर पर पहुंच गया। 2020-21 में यह आंकड़ा 80.51 अरब डॉलर का था। आंकड़ों के अनुसार, 2021-22 में भारत का अमेरिका को निर्यात बढ़कर 76.11 अरब डॉलर पर पहुंच गया, जो इससे पिछले वित्त वर्ष में 51.62 अरब डॉलर रहा था। वहीं इस दौरान अमेरिका से भारत का आयात बढ़कर 43.31 अरब डॉलर पर पहुंच गया, जो इससे पिछले वित्त वर्ष में 29 अरब डॉलर था। आंकड़ों के अनुसार, 2021-22 में भारत-चीन द्विपक्षीय व्यापार 115.42 अरब डॉलर रहा, जो 2020-21 में 86.4 अरब डॉलर था।
बस फिर क्या था चीन की तरफ से झट से इस पर प्रतिक्रिया भी आ गई। चीन की तरफ से दावा किया गया कि वह अपने आंकड़ों के अनुसार वित्त वर्ष 2021-22 में अभी भी भारत का सबसे बड़ा व्यापार भागीदार है। उसने अमेरिका के शीर्ष व्यापार भागीदार होने की रिपोर्ट का जिक्र करते हुए कहा कि इसका कारण भारत और चीन की व्यापार मात्रा की गणना के लिये अपनाये गये विभिन्न तरीकों में ‘अंतर’ का होना है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता झाओ लिजियान ने संवादाताओं से कहा कि चीनी सक्षम प्राधिकरणों के आंकड़ों के अनुसार, 2021 में चीन और भारत के बीच द्विपक्षीय व्यापार 125.66 अरब डॉलर का रहा। उनसे 2021-22 में अमेरिका द्वारा चीन को पीछे छोड़ते हुए भारत का सबसे बड़ा व्यापार भागीदार बनने की रिपोर्ट के बारे में पूछा गया था। झाओ ने कहा, चीन, भारत का सबसे बड़ा व्यापार साझेदार बना हुआ है और पहली बार द्विपक्षीय व्यापार 2021 में 100 अरब अमेरिकी डॉलर से अधिक हो गया था।