By नीरज कुमार दुबे | Jan 12, 2024
लाल सागर में आतंक का पर्याय बन चुके हूतियों पर अमेरिका और ब्रिटेन ने मिलकर धावा बोल दिया है जिससे पहले से ही इजराइल और हमास के बीच चल रही लड़ाई का विस्तार होने का अंदेशा बढ़ गया है। हम आपको बता दें कि यमन में हूतियों के सैन्य ठिकानों पर हवाई और समुद्री मार्ग से जोरदार हमले किये गये हैं जिससे समुद्री आतंकियों के होश उड़ गये हैं। अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने गुरुवार देर रात एक बयान में आगाह किया था कि यदि जरूरत पड़ी तो वह सख्त कार्रवाई करने में जरा भी संकोच नहीं करेंगे। इसी के बाद यह हमले किये गये हैं। खास बात यह है कि इन हमलों के बीच ही भारतीय विदेश मंत्री एस. जयशंकर और अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने भी चर्चा की है।
दूसरी ओर, यमन में लोगों ने पूरे देश में विस्फोटों की पुष्टि की है। प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया कि हमले में सना हवाई अड्डे से सटे एक सैन्य अड्डे, ताइज़ हवाई अड्डे के पास एक सैन्य स्थल, होदेइदाह में एक हूती नौसैनिक अड्डे और हज्जाह गवर्नरेट में सैन्य स्थलों को निशाना बनाया गया। देखा जाये तो ये हमले 2016 के बाद से यमनी क्षेत्र पर पहला हमला है। हालाँकि अमेरिका ने कहा कि तनाव बढ़ाने का कोई इरादा नहीं है, लेकिन हूतियों ने हमले का जवाब देने की कसम खाई है।
इस बीच, अमेरिकी राष्ट्रपति ने कहा है कि यह हमले एक स्पष्ट संदेश हैं कि अमेरिका और हमारे साझेदार हमारे लोगों पर हमले बर्दाश्त नहीं करेंगे या व्यापार मार्ग अथवा समुद्री मार्ग से आवाजाही की स्वतंत्रता को खतरे में डालने की अनुमति नहीं देंगे। वहीं अस्पताल में भर्ती अमेरिकी रक्षा मंत्री लॉयड ऑस्टिन ने भी एक बयान में कहा है कि हमलों ने ड्रोन, बैलिस्टिक और क्रूज मिसाइलों, तटीय रडार और हवाई निगरानी सहित हूतियों की अन्य सैन्य क्षमताओं को निशाना बनाया है। अमेरिका ने कहा है कि ऑस्ट्रेलिया, बहरीन, कनाडा और नीदरलैंड ने इस ऑपरेशन का समर्थन किया है। अमेरिका का कहना है कि हमारे साझेदारों ने यूरोप तथा एशिया के बीच प्रमुख समुद्री मार्ग लाल सागर में व्यापारिक जहाजों के मुक्त प्रवाह को सुनिश्चित करने के लिए एक अंतरराष्ट्रीय प्रयास के हिस्से के रूप में ऐसी कार्रवाई की मांग की थी। अमेरिका का कहना है कि इस मार्ग पर विश्व का 15 प्रतिशत से ज्यादा शिपिंग यातायात होता है ऐसे में उसे बाधित करने की इजाजत नहीं दी जा सकती। अमेरिका ने ईरान पर लाल सागर में हूतियों के हमलों में सक्रिय रूप से शामिल होने का आरोप तो लगाया ही है साथ ही हमलों को अंजाम देने के लिए उनकी सैन्य क्षमताएं बढ़ाने और हूतियों को खुफिया जानकारी प्रदान करने का आरोप भी ईरान पर लगाया है। एक वरिष्ठ अमेरिकी अधिकारी ने संवाददाताओं से कहा, "हमारा मानना है कि वे यानि ईरान निश्चित रूप से इसके हर चरण में शामिल रहे हैं।" उन्होंने कहा कि हमले विमान, जहाज़ और पनडुब्बी द्वारा किए गए। यमन में हमलों के बारे में अमेरिकी अधिकारी ने कहा कि एक दर्जन से अधिक स्थानों को निशाना बनाया गया था और हमलों का उद्देश्य केवल प्रतीकात्मक होने की बजाय हूतियों की सैन्य क्षमताओं को कमजोर करना था। एक अमेरिकी सैन्य अधिकारी ने कहा, "हम सटीक हथियारों के साथ बहुत विशिष्ट स्थानों पर बहुत विशिष्ट क्षमता को निशाना बना रहे थे।"
दूसरी ओर, ब्रिटेन के रक्षा मंत्रालय ने भी एक बयान में कहा है कि "शुरुआती संकेत हैं कि व्यापारिक जहाजों को नुकसान पहुँचाने की हूतियों की क्षमता को जोरदार झटका लगा है।'' इस बीच, हूतियों के प्रवक्ता ने कहा है कि इन हमलों का कोई औचित्य नहीं है और वह इज़राइल की ओर जाने वाले जहाजों को निशाना बनाना जारी रखेगा। हूतियों का कहना है कि लाल सागर में शिपिंग मार्गों पर हमले फिलिस्तीनियों और गाजा को नियंत्रित करने वाले इस्लामी समूह हमास के प्रति समर्थन का प्रदर्शन हैं। एक हूती अधिकारी ने राजधानी सना के साथ-साथ सादा और धमार शहरों और होदेइदा प्रांत में हमलों की पुष्टि की है और इसे अमेरिका तथा ब्रिटिश आक्रामकता करार दिया है।
इस बीच, हमले को लेकर प्रतिक्रियाओं का दौर भी शुरू हो गया है। रूस ने कहा है कि उसने सैन्य हमलों पर चर्चा के लिए संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की तत्काल बैठक बुलाने का अनुरोध किया है। उधर, हूतियों का समर्थन करने वाले ईरान ने इन हमलों की कड़ी निंदा की है। इस बीच, लंदन के किंग्स कॉलेज में एंड्रियास क्रेग ने कहा, "चिंता यह है कि यह हमला बढ़ सकता है।" उन्होंने जोखिम की चेतावनी देते हुए कहा कि सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात भी टकराव में शामिल हो सकते हैं। हमलों के बाद एक बयान में, सऊदी अरब ने संयम बरतने और "बढ़ने से बचने" का आह्वान किया है। वहीं अमेरिकी कांग्रेस में प्रमुख रिपब्लिकन ने इस कदम का स्वागत किया, जबकि बाइडन के कुछ डेमोक्रेट ने चिंता व्यक्त की कि अमेरिका एक और दशकों लंबे युद्ध में उलझ सकता है।
यमन के अधिकांश हिस्से को नियंत्रित करने वाले हूतियों ने लाल सागर शिपिंग मार्गों पर अपने मिसाइल और ड्रोन हमलों को रोकने के लिए संयुक्त राष्ट्र और अन्य अंतरराष्ट्रीय आह्वानों को नहीं सुना लेकिन अब जब अमेरिका और उसके सहयोगियों ने उस पर निशाना साध दिया है तो उनसे तत्काल जवाब देते नहीं बना। ये हमले एकदम से नहीं हुए हैं बल्कि कई कूटनीतिक कदमों के बाद हुए हैं। अमेरिकी अधिकारियों को उम्मीद थी कि कूटनीतिक कदमों का असर होगा लेकिन जब वह बेअसर रहे तो अमेरिकियों ने हूतियों को कूटना शुरू कर दिया है। हम आपको बता दें कि हूतियों के हमलों ने अंतरराष्ट्रीय व्यापार को बाधित कर दिया है, जिससे व्यापारिक जहाजों को हमलों से बचने के लिए दक्षिण अफ्रीका के आसपास लंबा रास्ता अपनाने के लिए मजबूर होना पड़ा है। इससे लागत बढ़ रही है जिससे वैश्विक स्तर पर मुद्रास्फीति का नया दौर शुरू हो गया है।