By अंकित सिंह | Sep 02, 2024
प्रभासाक्षी की साप्ताहिक कार्यक्रम चाय पर समीक्षा में हमने असम विधानसभा में जुमा ब्रेक खत्म होने और कोलकाता मामले को लेकर चर्चा की। हमेशा के तरह इस कार्यक्रम में मौजूद रहे प्रभासाक्षी के संपादक नीरज कुमार दुबे। नीरज दुबे से हमने पहला सवाल असम को लेकर ही पूछा कि आखिर हिमंत बिस्वा सरमा की सरकार द्वारा उठाए गए कदम पर इतना सियासी बवाल क्यों हो रहा है? इसके जवाब में नीरज दुबे ने कहा कि हैरान करने वाली बात है कि किसी विधानसभा में जुम्मे की नमाज के लिए ब्रेक भी दिया जाता था।
नीरज दुबे ने कहा कि लंच ब्रेक के अलावा कोई अन्य ब्रेक क्यों किया जाना चाहिए, चाहे वह सांसद हो या फिर विधानसभा हो? उन्होंने कहा कि भारत एक धर्मनिरपेक्ष देश है, यहां सभी को अपनी आस्था के हिसाब से आगे बढ़ने की इजाजत है। सांसद और विधानसभा की जो कार्यवाही होती है, उसमें लाखों का खर्च होता है। ऐसे में जनता के पैसों को बर्बाद नहीं किया जाना चाहिए। आपको अगर नमाज अदा करने के लिए जाना है तो आप बेशक उस समय सदन में उपस्थित ना हो। लेकिन आपकी वजह से सदन में ब्रेक क्यों दिया जाना चाहिए। 2 घंटे के ब्रेक लेने पर भी जनता का वह पैसा खर्च हो रहा है। इस 2 घंटे के दौरान जनता के कई सारे काम हो सकते हैं। उन्होंने कहा कि टैक्स पेयर्स के पैसे से किसी धर्म विशेष के लिए क्यों कोई छूट होनी चाहिए?
नीरज दुबे ने कहा कि सदन में मौजूद जो भी मुस्लिम विधायक या सांसद होते हैं, उन्हें रोका तो नहीं जाता है। वह आजादी के साथ नमाज अदा करने जा सकते हैं। उन्हें किसी प्रकार की कोई रोक-टोक नहीं रहने वाली है तो फिर 2 घंटे की ब्रेक की क्या जरूरत है? असम सरकार ने अच्छा फैसला लिया है। इसको सिर्फ विवाद खड़ा करने के मकसद से नहीं देखा जाना चाहिए। जनता के हित में फैसला लिया गया है। इससे सभी समाज के लोगों को फायदा होगा। यह किसी सरकार का थोपा गया कदम नहीं है। नीरज दुबे ने कहा कि असम के सभी विधायकों से परामर्श करने के बाद ही यह फैसला लेकर आई है। चाहे उसमें हिंदू विधायक हो या फिर मुस्लिम विधायक। उन्होंने कहा कि अगर कोई परंपरा औपनिवेशिक काल से चली आ रही है तो उसको बदलने की जरूरत है।
कोलकाता मामले को लेकर हो रही राजनीतिक पर नीरज दुबे ने कहा कि हमने महिलाओं को 33% आरक्षण तो दे दिया लेकिन हम उन्हें न्याय नहीं दिला पा रहे हैं। सरकार और पार्टी के लोग सिर्फ राजनीति में व्यस्त हैं। पीड़िता को अभी भी इंसाफ की दरकार है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी इस बात पर लगातार फोकस कर रहे हैं कि पीड़िताओं को इस मामले में जल्द से जल्द न्याय मिलने चाहिए। हमें महिलाओं को त्वरित न्याय सुलभ कराने की जरूरत है। साथ ही साथ लोगों में कानून का डर हो इस हिसाब से फैसले की जरूरत है।