By अनन्या मिश्रा | Apr 19, 2023
भारत में कई ऐसे अनोखे और रहस्यमई मंदिर हैं, जिनके रहस्यों को आज तक कोई सुलझा नहीं पाया है। हिमाचल के कांगड़ा जिले में ऐसी ही एक रहस्यमयी जगह है। यहां पर बाथू की लड़ी मंदिर हैं। यह मंदिर काफी अनोखा है। इस मंदिर की सबसे खास बात यह है कि साल के 8 महीने मंदिर पानी के अंदर डूबा रहता है। इस मंदिर परिसर में मुख्य मंदिर के अलावा आसपास 8 छोटे-छोटे मंदिर बने हुए हैं। कहा जाता है कि इस मंदिर का संबंध महाभारत काल से हैं। बता दें कि पंजाब के जालंधर से करीब 150 किमी दूर स्थित महाराणा प्रताप सागर झील में पौंग बांध की दीवार से 15 किमी दूर एक टापू पर यह मंदिर बना हुआ है।
4 महीने होते हैं दर्शन
फरवरी से जुलाई तक मंदिर पानी के नीचे रहता है। यानि की साल के सिर्फ 4 महीने ही इस मंदिर के दर्शन किए जा सकते हैं। साल के 8 महीने तक बाथू की लड़ी का मंदिर महाराणा प्रताप सागर झील में डूबा रहता है। जैसे ही पोंग बांध झील के पानी का स्तर बढ़ता है। वैसे ही मंदिर पानी के नीचे मंदिर चला जाता है और इसकी एक अलग दुनिया बन जाती है।
शक्तिशाली पत्थर से मंदिर का निर्माण
आपको जानकर हैरानी होगी कि साल के 8 महीने पानी के अंदर रहने वाले इस मंदिर की संरचना में कोई भी बदलाव नहीं देखा गया है। इसके पीछे का कारण बताया जाता है कि यह मंदिर बाथू नाम के शक्तिशाली पत्थर से बना है। भगवान गणेश और काली की मूर्तियों को आप पत्थरों पर उकरा हुआ देख सकते हैं। वहीं मंदिर के अंदर भगवान विष्णु की शेषनाग पर विश्राम की मुद्रा में मूर्ती स्थापित है।
ऐतिहासिक मान्यता
यहां के स्थानीय लोगों का मानना है कि इस मंदिर का निर्माण यहां के स्थानीय राजा द्वारा करवाया गया था। लेकिन कुछ लोग इस मंदिर को महाभारत के पांडव से जोड़ते हैं। कई लोगों का मानना है कि पांडवों ने अज्ञातवास के दौरान इस स्थान से स्वर्ग की सीढ़ी बनाने का प्रयास किया था। लेकिन पांडव इस कार्य में सफल नहीं हो सके थे। क्योंकि स्वर्ग की सीढ़ियों का निर्माण उन्हें एक रात में करना था।
स्वर्ग की सीढ़ियां
स्वर्ग की सीढ़ियां बनाने में असफल होने पर पांडवों ने भगवान कृष्ण से मदद मांगी। जिसके बाद भगवान कृष्ण ने 6 महीने की एक रात कर दी। लेकिन इसके बाद भी पांडव सीढ़ी बनाने का कार्य पूरा नहीं कर सके। ऐसे में उनके द्वारा सीढ़ी बनाने का कार्य अधूरा रह गया और सुबह हो गई। आपको बता दें आज भी इस मंदिर में स्वर्ग में जाने वाली 40 सीढ़ियां मौजूद हैं।
43 साल से जल समाधि ले रहा मंदिर
प्राप्त जानकारी के अनुसार, यह मंदिर पौंग बांध के निर्माण के बाद से जल समाधि लेता आ रहा है। ऐसा करीब 43 साल से हो रहा है। वहीं कुछ लोग मंदिर को अधिक करीब से देखने के चक्कर में अपनी जान को भी खतरे में डाल चुके हैं। यहां पर कई लोगों की डूबकर मौत भी हो चुकी है।
बर्ड वॉचर्स के लिए स्वर्ग
प्रकृति के करीब रहने वाले लोगों के लिए यह जगह किसी स्वर्ग से कम नहीं है। इसके अलावा यह जगह बर्ड वॉचर्स के लिए भी बेस्ट है। पोंग डैम प्रवासी पक्षियों का घर होने के कारण यह जगह काफी फेमस है। यहां पर आपको 200 से ज्यादा पक्षियों की प्रजातियां देखने को मिलेंगी। भारत सरकार ने इसके आसपास के इलाकों को पक्षियों के आश्रय के लिए संरक्षित किया हुआ है।
कब और कैसे पहुंचे
मंदिर के आसपास का नजारा काफी मनमोहक है। ऐसे में अगर आप भी मंदिर के दर्शन के लिए जाना चाहते हैं तो यहां पर आने के लिए अप्रैल से जून का महीना सबसे बढ़िया है। क्योंकि बाकी के महीने मंदिर पानी के अंदर डूबा रहता है और मंदिर का सिर्फ ऊपरी हिस्सा ही दिखाई देता है। इस मंदिर तक नाव के जरिए पहुंचा जा सकता है। बता दें कि मंदिर के चारों ओर एक द्वीप जैसी संरचना है। जिसको रेंसर कहा जाता है। कांगड़ा से जवाली या धमेता गांव तक टैक्सी के माध्यम से आप यहां पर जा सकते हैं।