By नीरज कुमार दुबे | Feb 06, 2024
उत्तराखंड की पुष्कर सिंह धामी सरकार ने आज अपना बड़ा चुनावी वादा पूरा करते हुए विधानसभा में बहुप्रतीक्षित समान नागरिक संहिता (यूसीसी) विधेयक पेश कर दिया। भाजपा विधायकों के जय श्रीराम के उद्घोष और विपक्षी कांग्रेस विधायकों के हंगामे के बीच मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने विधानसभा में यह विधेयक पेश किया। इसके बाद हंगामे को देखते हुए विधानसभा अध्यक्ष ने सदन की कार्यवाही को दोपहर दो बजे तक के लिए स्थगित कर दिया।
यूसीसी विधेयक पेश करने के लिए बुलाये गये विधानसभा के विशेष सत्र के दूसरे दिन मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने यह विधेयक पेश किया। इससे पहले आज जब वह अपने आवास से निकल रहे थे तो वह भारत के संविधान की एक प्रति को लेकर निकले थे। हम आपको बता दें कि प्रदेश मंत्रिमंडल ने रविवार को यूसीसी मसौदे को स्वीकार करते हुए उसे विधेयक के रूप में सदन के पटल पर रखे जाने की मंजूरी दी थी। चार खंडों में 740 पृष्ठों के इस मसौदे को उच्चतम न्यायालय की सेवानिवृत्त न्यायाधीश रंजना प्रकाश देसाई की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय समिति ने शुक्रवार को मुख्यमंत्री को सौंपा था।
यूसीसी पर अधिनियम बनाकर उसे प्रदेश में लागू करना 2022 में हुए विधानसभा चुनावों के दौरान भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) द्वारा जनता से किए गए प्रमुख वादों में से एक था। वर्ष 2000 में अस्तित्व में आए उत्तराखंड में लगातार दूसरी बार जीत दर्ज कर इतिहास रचने के बाद भाजपा ने मार्च 2022 में सत्ता संभालने के साथ ही मंत्रिमंडल की पहली बैठक में यूसीसी का मसौदा तैयार करने के लिए विशेषज्ञ समिति के गठन को मंजूरी दे दी थी। कानून बनने के बाद उत्तराखंड आजादी के बाद यूसीसी लागू करने वाला देश का पहला राज्य होगा। गोवा में पुर्तगाली शासन के दिनों से ही यूसीसी लागू है। यूसीसी के तहत प्रदेश में सभी नागरिकों के लिए एकसमान विवाह, तलाक, गुजारा भत्ता, जमीन, संपत्ति और उत्तराधिकार के कानून लागू होंगे चाहे वे किसी भी धर्म को मानने वाले हों। मुख्यमंत्री द्वारा विधेयक पेश किये जाने के दौरान सत्तापक्ष के विधायकों ने ‘‘भारत माता की जय, वंदे मातरम और जय श्रीराम’’ के नारे भी लगाये।
दूसरी ओर यूसीसी को लेकर राजनीति भी शुरू हो गयी है। विपक्षी कांग्रेस के नेता और पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने आरोप लगाया है कि विधेयक पेश करने से पहले विधायकों को इसका ड्राफ्ट नहीं सौंपा गया। वहीं समाजवादी पार्टी ने कहा है कि विधेयक में अगर कोई ऐसी बात हुई जिसकी हमारा धर्म इजाजत नहीं देता तो हम उसे नहीं मानेंगे।