By कमलेश पांडेय | Feb 10, 2022
देश के नागरिकों के आधार कार्ड की तरह अब आपकी जमीनों का भी आधार नंबर जारी किया जायेगा। इस दिशा में केंद्र सरकार अपनी तैयारी भी कर रही है। बताया जा रहा है कि एक राष्ट्र एक पंजीकरण कार्यक्रम यानी वन नेशन, वन रजिस्ट्रेशन प्रोग्राम के तहत केंद्र सरकार जमीनों के लिए विशिष्ट पंजीकरण संख्या जारी करेगी। भारतीय संसद में बजट प्रस्ताव 2022 प्रस्तुत करते हुए केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा है कि मार्च 2023 तक देश भर में जमीन के रिकॉर्ड के डिजिटाइजेशन का लक्ष्य सरकार ने रखा है। यानी कि 2023 तक सभी जमीनों का रिकॉर्ड ऑनलाइन होगा। इससे भूमि रिकॉर्ड रखने और जरूरत पड़ने पर उनका उपयोग करने में आमलोगों को काफी सहूलियत मिलेगी।
# आईपी बेस्ड टेक्नोलॉजी की सहायता से ऐसा करेगी सरकार
भारतीय संसद के पटल पर प्रस्तुत किये गये आम बजट 2022 में केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने अपने बजट भाषण में कहा कि अब देश की जमीनों का भी डिजिटल रिकॉर्ड तैयार किया जायेगा। ऐसा आईपी बेस्ड टेक्नोलॉजी की मदद से किया जायेगा। उन्होंने दो टूक शब्दों में कहा है कि मार्च 2023 तक देश भर में जमीन के रिकॉर्ड के डिजिटाइजेशन का लक्ष्य सरकार ने रखा है। इसलिए जमीनों के कागजात के आधार पर ही डिजिटल रिकॉर्ड तैयार किया जायेगा।
# जानिए, डिजिटल लैंड रिकॉर्ड के क्या क्या होंगे लाभ
केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा है कि लैंड रिकॉर्ड को डिजिटाइज किये जाने के कई लाभ होंगे। बताया जा रहा है कि जमीनों को 3सी फॉर्मूले के तहत बांटा जायेगा, जिसका लाभ सभी लोगों को मिलेगा। भारत के लिए ताजा बजट प्रस्ताव में कहा गया है कि इस कार्यक्रम से सारे रिकॉर्ड केंद्रीयकृत हो जायेंगे, जिससे महज एक क्लिक पर सारी जानकारी उपलब्ध हो जायेगी। सरकार ने जो कार्यक्रम तय किया है, उसके मुताबिक अब आपकी जमीन का 14अंकों का एक यूएलपिन नंबर यानी यूनिक नंबर जारी किया जायेगा।
# अब जमीनों की खरीद-बिक्री में नहीं होगी कोई दिक्कत
समझा जा रहा है कि जमीनों का आधार कार्ड (यूएलपिन) नंबर मिल जाने के बाद जमीन की खरीद-बिक्री में बहुत आसानी हो जायेगी। क्योंकि इस नंबर के जरिये देश में कहीं भी जमीन को खरीदने या बेचने में किसी प्रकार की कोई दिक्कत नहीं होगी। और यदि पूर्वाग्रह ग्रस्त होकर कोई करेगा तो उसे बेनकाब करने के लिए महज एक क्लिक काफी होगा, बतौर सबूत। बहरहाल, बजट में जो प्रस्ताव आया है, उसके बारे में कहा जा रहा है कि महज एक क्लिक में लोगों को जमीन का पूरा विवरण मिल जायेगा।
# जमीन के बंटवारे के बाद बदल जायेगा आपका भूमि आधार नंबर
यदि भाइयों या पिता-पुत्रों या संयुक्त खरीददारों में जमीन का बंटवारा कभी होगा, तो उसका भूमि आधार नंबर अलग-अलग कर दिया जायेगा। जब जमीन का डिजिटल रिकॉर्ड इस प्रकार से तैयार हो जायेगा, तो किसी की भी जमीन का रिकॉर्ड देखना बिल्कुल आसान हो जायेगा। वहीं, जमीन की नपाई भी अब ड्रोन कैमरे से होगी, जिससे किसी तरह की कोई गलती की गुंजाइश नहीं के बराबर रहेगी।
# अब आप महज एक क्लिक में देख पायेंगे अपने सारे भूमि दस्तावेज यानी लैंड रिकॉर्ड
सरकार का मानना है कि भूमि सम्बन्धी डिजिटल रिकॉर्ड तैयार हो जाने के बाद और उसमें भूमि आधार नम्बर दर्ज करने या उसे फिर कभी संशोधित करने के बाद जमीन का रिकॉर्ड देखने के लिए किसी भूस्वामी को भूमि एवं राजस्व विभाग के कार्यालयों के चक्कर नहीं लगाने होंगे। बल्कि वह अपने आसपास के कॉमन सर्विस सेंटर में जाकर अपनी सभी जमीन की अद्यतन जानकारी ले सकेगा। बताते चलें कि मौजूदा समय में देश में 140 मिलियन हेक्टेयर जमीन पर खेती हो रही है, जिसमें से 125 मिलियन हेक्टेयर जमीन को ठीक किया जा रहा है।
# वर्ष 2023 तक देश का अपेक्षित भूमि दस्तावेज यानी लैंड रिकॉर्ड होगा डिजिटल
गौरतलब है कि केंद्र सरकार का लक्ष्य वर्ष 2023 तक देशभर के भूमि दस्तावेज यानी लैंड रिकॉर्ड को डिजिटल करने का है। प्राप्त जानकारी के मुताबिक, मार्च 2023 तक पूरे देश में भूमि यानी जमीन का रिकॉर्ड डिजिटल करने का लक्ष्य रखा गया है, जिससे आने वाले दिनों में महज एक क्लिक पर ही आपकी जमीन से संबंधित समस्त दस्तावेज आपके सामने होंगे। इससे सबसे बड़ा फायदा यह होगा कि देश में कहीं भी किसी भी जगह पर आप अपनी जमीन से संबंधित समस्त जानकारी महज एक क्लिक पर ही हासिल कर सकेंगे और अपनी जरूरत के मुताबिक उसका प्रिंट भी ले सकेंगे।
बता दें कि एक राष्ट्र एक कर यानी वन नेशन वन टैक्स और एक देश एक राशन कार्ड के बाद केंद्र सरकार का तीसरा बड़ा स्टेप एक राष्ट्र एक पंजीकरण यानी वन नेशन वन रजिस्ट्रेशन का है। इससे भविष्य में भारत के केन्द्रीयकरण की अवधारणा को भी मजबूती मिलेगी और एक देश एक पाठ्यक्रम, एक देश एक कानून जैसी बहुप्रतीक्षित मांगे भी पूरी हो सकेंगी।
- कमलेश पांडेय
वरिष्ठ पत्रकार व स्तम्भकार