By प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क | Jan 29, 2022
संयुक्त राष्ट्र। संयुक्त राष्ट्र में चीन के राजदूत झांग जुन ने शुक्रवार को कहा कि संघर्षग्रस्त म्यांमार में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद का प्राथमिक उद्देश्य उसे और हिंसा तथा गृह युद्ध की स्थिति से बचाना होना चाहिए। म्यांमार में सुरक्षा परिषद के दक्षिणपूर्व एशियाई देशों के 10 सदस्यीय संघ और संयुक्त राष्ट्र के नए राजदूतों से बंद कमरे में हुई बैठक के बाद झांग जुन ने उम्मीद जतायी कि उनके तथा अन्य लोगों के प्रयासों से ‘‘स्थिति को शांत किया जा सकता है।’’ गौरतलब है कि करीब एक साल पहले एक फरवरी 2021 को म्यांमा की सेना ने आंग सान सू ची की निर्वाचित सरकार से सत्ता छीन ली थी। ‘असिस्टेंस एसोसिएशन फॉर पॉलिटिकल प्रिजनर्स’ द्वारा एकत्र किए गए आंकड़ों के अनुसार, इसके बाद देशभर में हुए प्रदर्शनों में सुरक्षाबलों के साथ झड़प में 1,400 से अधिक नागरिक मारे गए।
दक्षिणपूर्व एशियाई देशों के क्षेत्रीय समूह आसियान ने म्यांमा को संकट से उबारने के लिए मध्यस्थ की भूमिका निभाने का प्रस्ताव रखा है। चीन के राजदूत ने कहा कि उनके देश का मानना है कि आसियान को ‘‘महत्वपूर्ण भूमिका’’ निभानी चाहिए। अक्टूबर में कंबोडिया ने आसियान की अध्यक्षता संभाली और दिसंबर में प्रधानमंत्री हुन सेन ने देश के विदेश मंत्री प्राक सोकखोन को म्यांमा के लिए क्षेत्रीय समूह का दूत नियुक्त किया। हुन सेन सेना के सत्ता छीनने के बाद खुद म्यांमा गए और ऐसा करने वाले वह पहले विदेशी नेता बने। झांग ने शुक्रवार को कहा कि बीजिंग हुन सेन द्वारा किए गए प्रयासों का स्वागत करता है और उन्होंने कंबोडियाई प्रधानमंत्री की यात्रा को ‘‘बहुत अच्छा, बहुत सार्थक’’ बताया और कहा कि ‘‘हमने उन्हें और प्रयास जारी रखने के लिए कहा है।’’ चीनी राजदूत ने कहा कि सोकखोन ने शुक्रवार को परिषद को बताया कि सदस्य देशों को म्यांमा की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि, ‘‘विशिष्ट राजनीतिक संरचना’’ और उस संरचना में सेना द्वारा निभायी जाने वाली भूमिका को समझना होगा और ‘‘केवल उसी के आधार पर हम कोई समाधान निकाल सकते हैं।’’ उन्होंने कहा कि चीन नूलीन हेजर को म्यांमा के लिए संयुक्त राष्ट्र का नया विशेष दूत नियुक्त किए जाने का भी स्वागत करता है।