उल्लेखनीय है कि उमा भारती के इस नशाबंदी अभियान ने सरकार की नींद उड़ा दी है। दरअसल सरकार को आबकारी महकमे से सालाना लगभग 14 हजार करोड़ का राजस्व मिलता है। इस साल भी मार्च में आबकारी की नई नीति लाकर सरकार शराब के नए ठेके तैयारी कर रही है। ऐसे में इस शराबबंदी अभियान से सरकार को खासा नुकसान पहुंच सकता है। कांग्रेस ने इस मुद्दे पर सरकार को घेरना शुरू कर दिया है, तो भाजपा ने कहा कि कांग्रेस मुद्दे पर भ्रम फैला रही है। कुल मिलाकर शराबबंदी का मुद्दा प्रदेश की सियासत के केंद्र में है और इस बहाने सियासी वार-पलटवार जारी है।