By प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क | Aug 16, 2021
लंदन।अफगानिस्तान से पश्चिमी देश समर्थित सरकार को उखाड़ फेंकने और काबुल पर तालिबान के कब्जा कर लेने के बाद युद्धग्रस्त देश के प्रति ब्रिटिश सरकार की रणनीति पर चर्चा करने के लिए बुधवार को एक दिन के लिए ब्रिटिश संसद का सत्र बुलाया गया है। हालांकि, ब्रिटिश संसद का इन दिनों ग्रीष्मकालीन अवकाश चल रहा है। हाउस ऑफ कॉमंस के एक बयान में पुष्टि की गई है, ‘‘संसद के निचले सदन ‘हाउस ऑफ कॉमंस’ के स्पीकर ने अफगानिस्तान में स्थिति के संदर्भ में बुधवार, 18 अगस्त को पूर्वाह्न साढ़े नौ बजे सदन की बैठक बुलाने के सरकार के अनुरोध को स्वीकार कर लिया है। ’’ ब्रिटेन की सरकार ने अब भी अफगानिस्तान में मौजूद 4,000 से अधिक ब्रिटिश नागरिकों को वहां से निकलने की सलाह दी है और कहा है कि वह उन सभी को वहां से लाने पर काम कर रही है।
प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने क्षेत्र में संकट का जायजा लेने के लिए सोमवार को एक अन्य आपात ‘‘कैबिनेट ऑफिस ब्रीफिंग रूम्स’’ बैठक बुलाई। जॉनसन ने कहा कि कोई नहीं चाहता है कि अफगानिस्तान ‘‘आतंकवाद के पनपने की जमीन’’ बने और स्वीकार किया कि स्थिति अत्यंत कठिन बनी हुई है। उन्होंने समान विचार वाले देशों से तालिबान को समय से पहले मान्यता नहीं देने की अपील करते हुए कहा, ‘‘हम अब जिस स्थिति का सामना कर रहे हैं वह काबुल में एक नये शासन के आने की प्रबल संभावना है।’’ इस बीच, ब्रिटेन के रक्षा मंत्री बेन वालेस ने कहा कि उन्हें तालिबान नेतृत्व से एक पश्चिम एशियाई देश के मार्फत यह आश्वासन मिला है कि हवाईअड्डे के सैन्य हिस्से को संचालित होने दिया जाएगा, जिससे ब्रिटिश अधिकारी और बल लोगों को निकलने में मदद कर सकेंगे। ‘ऑपरेशन पिटींग’ के तहत करीब 600 ब्रिटिश सैनिक ब्रिटिश नागरिकों को वहां से लाने में मदद करने के लिए अफगानिस्तान भेजे गये हैं।