By अभिनय आकाश | Aug 04, 2022
एकनाथ शिंदे और उद्धव ठाकरे गुट के अलग होने के बाद शिवसेना पर किसका हक है इसको लेकर सुप्रीम कोर्ट में आज सुनवाई हुई। भारत के मुख्य न्यायाधीश एनवी रमना, न्यायमूर्ति कृष्ण मुरारी और न्यायमूर्ति हिमा कोहली की पीठ अयोग्यता कार्यवाही, अध्यक्ष के चुनाव, पार्टी व्हिप की मान्यता के संबंध में शिवसेना पार्टी के एकनाथ शिंदे और उद्धव ठाकरे गुटों से संबंधित याचिकाकर्ताओं द्वारा दायर याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए अहम निर्देश दिया। आज की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग को कोई आदेश नहीं लेने का निर्देश दिया है। मामले को पांच जजों की बेंच को सौंपने के संबंध में फैसला लिया जाएगा। दोनों पक्षों के लिखित तर्कों का सत्यापन किया जाएगा। अब इस मामले की अगली सुनवाई 8 अगस्त सोमवार को होगी।
पीठ ने भारत के चुनाव आयोग को मौखिक रूप से शिंदे समूह द्वारा उन्हें असली शिवसेना पार्टी के रूप में मान्यता देने के लिए उठाए गए दावे पर कोई प्रारंभिक कार्रवाई नहीं करने के लिए भी कहा। बेंच ने आदेश में कहा कि ईसीआई उद्धव समूह को सुप्रीम कोर्ट में मामले के लंबित होने के मद्देनजर अपना जवाब दाखिल करने के लिए उचित स्थगन दे सकता है। बेंच ने कहा कि 5 जजों की बेंच को रेफर करना है या नहीं, यह मुद्दों पर विचार करने के बाद तय किया जाएगा। चुनाव आयोग द्वारा हलफनामा दाखिल करने की तारीख 8 अगस्त है। वे इस मामले के लंबित होने को देखते हुए समय मांगने के लिए चुनाव आयोग के समक्ष अभ्यावेदन दाखिल कर सकते हैं। जिस पर चुनाव आयोग विचार कर सकता है।
सुनवाई के दौरान एकनाथ शिंदे ने कहा कि हमारे ऊपर अयोग्यता का आरोप गलत, हम अभी भी शिवसैनिक हैं। सुप्रीम कोर्ट में शिंदे की दलील यह याचिका महाराष्ट्र में मौजूदा राजनीति संकट को लेकर उद्धव ठाकरे गुट ने दायर की है। इन याचिकाओं में उठाए गए कुछ संवैधानिक सवालों को लेकर मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे अगुआई वाले प्रतिद्वंद्वी गुट से बुधवार को नए सिरे से जवाब दाखिल करने को कहा था।